डरने की जरूरत नहीं है अगर लॉकडाउन के दौरान आपके सोने के रूटीन में कोई गड़बड़ी हो रही है। यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे यह पूरी तरह नॉर्मल है।
तो आइए जानते हैं इस पर मनोविशेषज्ञों क्या कहना है:-
लॉकडाउन और कोरोनावायरस ने आपकी नींद पहले को पहले के मुकाबले कम कर दिया है क्या ? आपने नोटिस किया है कि पहले के मुकाबले अब आप कम सोते हैं और इसका सारा दोष आप खुद को देने लगी हैं।
ऐसे काफी सारे सवाल हैं जो आपके दिमाग में रोज आते होंगे। अब अगर यदि हम इसे नॉर्मल कह रहे हैं तो आपको इसका यकीन ही नहीं हो रहा होगा।
एक्सपर्ट के अनुसार अकेला लॉकडाउन इसका कारण नहीं है, बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग और वर्क-फ्रॉम-होम ने भी आपके स्लीपिंग डिसऑर्डर में सहयोग किया है।
इन सभी समस्याओं का हल जानने के लिए हमने साक्षी मनध्यान से बात की जो कि एक मनोचिकित्सक हैं और दि मनध्यान केयर नामक संस्था की संस्थातपक और हैप्पीनेस कोच हैं।
अपनी ज़िन्दगी को ज़रा रिवाइंड करके सोचिये। तब जब लॉकडाउन नहीं था। आपको आदत थी जिम जाने के, ऑफिस, पार्टीज, मीटिंग्स और जहां भी आप जाना चाहते थे वहां जा सकते थे। इसका मतलब आपकी फिजिकल एक्टिविटी और मेंटल एक्टिविटी काफी हद तक एक्टिव थी।
आप काफी हद तक इन सब कामों में इंवॉल्व रहते थे। पर अब आप घर में फंसे हुए हैं और बहुत हद तक उतना काम नहीं कर रहे हैं। लेकिन फिर भी आपको वर्क फ्रॉम होम करना पड़ रहा है। हां ! फिजिकल एक्टिविटी न होना भी कारण है स्लीपिंग डिसऑर्डर का।
तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे कारण जिनके चलते आपकी नींद में बाधा पड़ रही है –
डॉक्टर साक्षी का कहना है कि आजकल मैं काफी सारे लोगों में एंग्जायटी की परेशानी को देख रही हूँ। वो कहती हैं उनके काफी सारे सवाल होते हैं। यह सभी लॉक डाउनलोड, कोरोना वायरस व उसके ज़रिये फैलने वाले इंफेक्शन को लेकर इतने डरे हुए हैं कि वह इसको लेकर हजारों सवाल लेकर आते हैं। यही एंग्जायटी उन्हें चैन की नींद नहीं लेने देती।
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कस्टमाइज़ करेंवे कहती हैं, हां ! एंग्जायटी आजकल आम समस्या है, लेकिन यह तेजी से फैल रही है। लोग इसके समाधान को जाने बगैर इसके शिकार होते जा रहे हैं।
यह सच है ! डॉक्टर साक्षी कहती हैं आपको यह बात थोड़ी अजीब लगेगी लेकिन यह सच है कि अगर आपका संपर्क सूर्य की रोशनी से नहीं होता तो आपकी ग्रोथ नहीं हो पाती। सूरज की रोशनी आपके शरीर के लिए बहुत जरूरी है। वे ज़ोर देकर कहती हैं कि आजकल हम आर्टिफिशियल लाइट्स के आदी हो चुके हैं।
हमारी आंखें हमारे दिमाग को सिग्नल भेजती हैं। रात हो चुकी है अब सो जाना चाहिए। हम नहीं सुनते और हमारा दिमाग स्लीपिंग हॉर्मोन रिलीज नहीं कर पाता।
साक्षी कहती हैं बेशक आजकल आप घर में लॉकडाउन हैं। शारीरिक रूप से कम काम करतें हैं, थकते भी कम होंगें। यह भी नींद न आने का एक अहम कारण है। आप सोते नहीं क्योंकि आपका शरीर नहीं थका है। आपको सोने के लिए थकना बहुत जरूरी है।
डॉ. साक्षी कहती हैं कि इन उपकरणों से निकलने वाली लाइट पूरी तरीके से आर्टिफिशियल होती है। जो कि आपकी आंखों के लिए अच्छी नहीं होती। जबकि आपकी आंखें आपको बार-बार ऐसे साइन देती हैं कि आप थक चुकी हैं। अब आंखें बंद कीजिए और सो जाइए, लेकिन आप हैं कि मानते नहीं इसलिए भी स्लीपिंग डिसऑर्डर होता है। स्लीपिंग डिसऑर्डर का सबसे बड़ा और अहम कारण यही है।
स्लीपिंग सॉल्यूशन प्रोवाइडर की तरफ से करवाए गए वार्षिक शोध में यह सामने आया कि सोशल मीडिया इस्ते्माल करने वाले 44% लोगों में ओटीपी यानी over-the-top रात को देर से सोने की आदत मुख्य तौर पर देखी गई है।
सबसे पहले तो पैनिक मत कीजिए, घबराइए नहीं। अगर आपका स्लीपिंग पैैटर्न बाय चांस ऐसा हो गया है। जोकि पहले के मुकाबले अस्त-व्यस्त है। चाहे वजह समय है या लोग, सबसे पहले अपने आप से कहिए कि सब कुछ नॉर्मल है। आप ठीक कर सकते हैं, बहुत सिंपल है। अपने आपको समझाइए कि कुछ नियमो का पालन करने पर सब ठीक हो सकता है।
अपनी कुछ आदतें बदल कर आप इस डिसऑर्डर से निजात पा सकते हैं
1. 30 मिनट एक्सरसाइज: जी हां बस तीन मिनट! आपको कोई बहुत ज्यादा एक्सरसाइज नहीं करनी है। बहुत हैवी एक्सरसाइज की भी जरूरत नहीं है। कोई सिंपल एक्सरसाइज चुनिए और उसे 30 मिनट तक कीजिए।
2. फिक्र मत कीजिए : डॉक्टर साक्षी के अनुसार आप एक्सरसाइज सुबह कर रहे हैं या शाम को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता। पर अगर आप सुबह को चुनते हैं, तो वह बेहतर ऑप्शन जरूर हो सकता है। सबसे ज्यादा जरूरी है एक्सरसाइज करना।
3.कुछ देर धूप में रहिए: सुबह के समय जब सूरज की रोशनी कम होती है या शाम के समय जब वह मद्धम किरणों के साथ होता है। इस समय धूप में रहना फायदेमंद होता है। वे कहती हैं सूरज की तेज किरणों का आपको सामना नहीं करना है। जब सूरज की रोशनी थोड़ी मद्धम हो जाती है उस वक्त आप उसकी रोशनी में कुछ मिनटों के लिए बैठ सकते हैं।
4. बहुत तेज रोशनी से बचें: ब्राइट लाइट्स को अवॉइड कीजिए। खासकर शाम के समय, वे कहती हैं कि सोने से पहले कभी भी ब्राइट रोशनी में ना बैठे। आप अपने कमरे में थोड़ी डिम लाइट का प्रयोग जरूर कर सकते हैं। सोने से कुछ घंटे पहले कभी भी तेज रोशनी को अपनी आंखों पर ना पढ़ने दे।
5.खाने का रखे खास ख्याल: डॉक्टर भोजन पर महत्व देते हुए कहती हैं, न ही बहुत हैवी और न ही बहुत कम खाएं। खासकर रात को। उनका मानना है कि दोनों ही मामलों में आप सो नहीं पाएंगी। डॉक्टर के अनुसार एक बैलेंस डाइट लेना आपके लिए बेहतर ऑप्शन हो सकता है। कम खाएं और छोटे-छोटे पोशंस में खाएं। हर 3 घंटे में कुछ खाएं और सोने से पहले ज्यादा हैवी ना खाएं।
6. लैपटॉप और फ़ोन्स: वे सलाह देती हैं कि जो लोग लैपटॉप और फोन अधिक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें नाइट मॉड ऑप्शन को इस्तेमाल जरूर करना चाहिए। वह कहती हैं कि यह सिंपल सी टेक्नीक है जिसका आप इस्तेमाल कर सकती हैं। विश्वास कीजिए कि आपको स्लीपिंग डिसऑर्डर में कमी देखने को मिलेगी।
अंत में वो हमसे कहती हैं कि गहरी सांस लीजिए क्योंकि स्लीपिंग डिसऑर्डर कोई डरने की बात नहीं है। सिर्फ सोइए अपनी नींद पूरी कीजिए और खुश रहिए, निश्चिन्त रहिये।