33 साल की अंकिता सिंह नें जब मां बनने का फैसला लिया तो उन्होनें नहीं सोचा था कि उन्हें मिसकैरेज का सामना भी करना पड़ेगा। भ्रूण और शुक्राणु के मिलने के 5-6 सप्ताह के भीतर ही उन्हें पता चला कि यह प्रारंभिक मिसकैरेज है। अंकिता का दिल टूट गया। लेकिन इससे भी ज्यादा, उसे फिर से गर्भवती होने की कोशिश करने का डर पैदा हो गया।
ऐसा सोचने वाली वह अकेली नहीं है। बहुत सी महिलाएं जो अपनी उम्र के किसी भी चरण में मिसकैरेज से गुज़रती हैं। जिसके बाद उनके मन में भय और संदेह पैदा हो जाता है। क्या मैं फिर से गर्भवती हो पाऊंगी? क्या मेरा एक स्वस्थ बच्चा होगा? क्या मेरे साथ कोई समस्या है? मेरा गर्भपात क्यों हुआ? ऐसे और बहुत से प्रश्न मन को झकझोर कर रख देते हैं। दंपति को फिर से प्रयास करने के बारे में सामान्य से अधिक विचार करना पड़ सकता है, फिर से प्रयास करना है या नहीं, और एक बार फिर कोशिश करने से पहले कोई सावधानी बरतनी है या नहीं।
इससे पहले कि हम यह समझने की कोशिश करें कि मिसकैरेज के बाद प्रेगनेंट होने से क्यों डरना नहीं चाहिए। आइए पहले यह समझें कि गर्भपात क्या है।
प्रेगनेंसी लॉस को मिसकैरेज कहा जाता है। आमतौर पर यह गर्भावस्था के पहले भाग में होता है, जो कि 5 महीने या 20 सप्ताह से पहले होता है।
कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल, मुंबई, की वरिष्ठ प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ वैशाली जोशी हेल्थशॉट्स को बताती हैं – ”दुर्भाग्य से, गर्भपात बहुत आम है। चार गर्भधारण में से हर एक का गर्भपात हो सकता है।”
विशेषज्ञ बताते हैं – “प्रारंभिक गर्भावस्था में गर्भपात का सबसे आम कारण भ्रूण में एक दोषपूर्ण जेनेटिक माटेरियल है। यह भ्रूण की एक नई अनूठी क्रोमोसोमल असेंबली बनाने के लिए माता-पिता दोनों से जेनेटिक माटेरियल के मिश्रण के दौरान होता है। जब प्रकृति को अपनी गलती का एहसास होता है, तो गर्भावस्था की वृद्धि रुक जाती है और गर्भपात हो जाता है।”
डॉ जोशी साझा करती हैं – असामान्य कारण मां में प्रतिरक्षा संबंधी समस्याएं, या महिला में जन्म से गर्भाशय या जननांग अंगों का दोषपूर्ण या असामान्य विकास है। आमतौर पर इन परिस्थितियों में, गर्भपात बार-बार होता है और सही चिकित्सा और शल्य चिकित्सा उपचार द्वारा इसे रोका जा सकता है।
जिस तरह गर्भावस्था एक महिला के लिए जीवन बदलने वाला अनुभव है, उसी तरह गर्भपात भी उसके शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक जीवन पर स्थायी प्रभाव छोड़ सकता है।
जबकि मासिक धर्म की शुरुआत के बाद 4-6 सप्ताह में शारीरिक परिवर्तन वापस आ जाते हैं, शोक की प्रक्रिया से उबरने में अधिक समय लग सकता है।
इसलिए डॉक्टर जोशी की सलाह है कि जब महिला मानसिक और भावनात्मक रूप से ठीक हो जाए तो उसे दोबारा गर्भधारण करने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए।
वह आगे कहती हैं “यदि पिछली गर्भावस्था के नुकसान एक्टोपिक प्रेगनेंसी या मोलर प्रेगनेंसी के कारण होते हैं, तो ऐसे मामलों में आपके स्त्री रोग विशेषज्ञ से जांच के बाद भविष्य की गर्भधारण की कोशिश की जानी चाहिए।”
हां य़ह सही हैं। सिर्फ इसलिए कि एक मिसकैरेज हो गया है, इसका मतलब यह नहीं है कि आपका दृष्टिकोण नकारात्मक हो गया है।
डॉ जोशी का सुझाव है – “यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि हर गर्भावस्था अलग होती है और सकारात्मक और सतर्क दृष्टिकोण रखने से महिलाओं को भविष्य की गर्भावस्था में चिंताजनक समय से निपटने में मदद मिलती है।”
वह कहती हैं कि चिकित्सकीय साक्ष्यों से पता चला है कि सफल गर्भधारण की संभावना गर्भपात के बाद भी उतनी ही होती है। वह अमेरिकन प्रेग्नेंसी एसोसिएशन (एपीए) के तथ्यों का हवाला देते हुए कहती हैं: “गर्भपात का सामना करने वाली कम से कम 85 प्रतिशत महिलाओं को बाद में स्वस्थ गर्भावस्था होती है।”
ओव्यूलेशन की प्रक्रिया गर्भपात के बाद मासिक धर्म की शुरुआत के साथ शुरू होती है। यह गर्भपात के पहले छह महीनों के भीतर कभी भी हो सकता है।
डॉ जोशी कहती हैं – नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार, गर्भपात के तुरंत बाद गर्भवती होने वाली महिलाओं की जीवित जन्म दर अधिक समय तक प्रतीक्षा करने वालों की तुलना में अधिक थी – 36 प्रतिशत की तुलना में 53 प्रतिशत। अतिरिक्त शोध में पाया गया कि जो लोग गर्भपात के तीन महीने के भीतर फिर से गर्भवती हो गए, उन्होंने तीन महीने के बाद गर्भधारण करने वालों की तुलना में एक और गर्भावस्था के नुकसान के जोखिम को कम किया।
विशेषज्ञ कहती हैं – “भविष्य की गर्भावस्था की योजना, आत्मविश्वास और वैज्ञानिक ज्ञान के साथ बनाएं। एक अच्छे डॉक्टर की सलाह और पार्टनर के सपोर्ट के साथ आप फिर से गर्भवती होने क एबारे में सोच सकती हैं।
इसलिए आशान्वित रहें और मजबूत बने रहें।
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