आजकल के अस्वस्थ खानपान के कारण हम कई तरह की परेशानियों से ग्रस्त है। इसमें तमाम तरह की बीमारियों से लेकर कई आम समस्याएं भी शामिल है। इन्हीं आम समस्याओं में गैस बनना और उसके बाद होने वाली ‘फार्टिंग’ भी शामिल है। वहीं, अक्सर आपने कई बार गौर किया होगा कि रात में जैसे ही आप बेड पर लेटते है और आपका शरीर रिलैक्स मोड में जाता है। वैसे ही आप एक ‘फार्टिंग मशीन’ बन जाते हैं।
आमतौर पर सीमित मात्रा में फार्टिंग करना कोई परेशानी वाली बात नहीं हैं लेकिन अगर आप यह असीमित मात्रा में करते हैं और आपको अत्यधिक गैस बनती हैं, तो स्वाभाविक रूप से यह बहुत बड़ी समस्या हैं और आपको इसपर अवश्य ध्यान देना चाहिए।
अस्वस्थ खाने और खराब शैली के साथ रहने के कारण व्यक्ति का पेट फूलता है, जिसके कारण पाचन तंत्र में बनने वाली गैस मलाशय से होते हुए शरीर से बाहर निकल जाती है और इस प्रक्रिया को फार्टिंग कहते है। यह गैस नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन, मीथेन और सल्फर युक्त कम्पाउंड सहित विभिन्न गैसों से बनती है। मेडिकल टर्मिनोलॉजी में इसे ‘फिलैटयुलेन्स'() कहा जाता है और आम बोलचाल की भाषा में इसे ‘फार्टिंग’ कहा जाता है।
फार्टिंग को शर्मनाक मानने वाले लोगों को यह समझना जरूरी है कि एक सामान्य शारीरिक क्रिया है। वही, जर्नल ऑफ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी और हेपाटोलॉजी में छपी एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि फार्ट करना एक स्वस्थ प्रक्रिया है और साथ ही इसे यदि आप शरीर में ही रखते हैं, तो आपको इससे तमाम स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती है।
ऑस्ट्रेलिया स्थित यूनीवर्सिटी ऑफ न्यूकासेल की प्रोफेसर क्लैयर कोलिन्स के अनुसार फार्टिंग करना शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। फार्टिंग करने से हमारा पाचन तंत्र अच्छा होता है और यदि लंबे समय तक हम गैस को रोके रहते हैं तो डायवर्टिक्युलाइटिस नामक बीमारी भी हो सकती है।
गैस बनने और फार्टिंग की समस्या के आमतौर पर कई इलाज भी है। यूके की संस्था नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार गैस बनने के मुख्य कारण अस्वस्थ आहार करना और खराब जीवनशैली है। इसके साथ ही ऐसे तमाम कारण हैं जिससे रात में फार्टिंग की समस्या अधिक बढ़ जाती है।
हम लोगों का पाचन तंत्र बड़ी संख्या में गुड और बैड बैक्टीरिया का घर होता है। ये बैक्टीरिया कोलन में अपाच्य भोजन को तोड़ने और फर्मेंट करने में मदद करते हैं। इस फर्मेंटेशन के दौरान, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसें बाय-प्रोडक्ट के रूप में उत्पन्न होती हैं। जिसके बाद ये गैसें ब्लोटिंग से लेकर फार्टिंग तक के लिए जिम्मेदार होती है और वहीं, अक्सर रात में हम खाना खाने के बाद सीधे बिस्तर पर चले जाते है, जिसके बाद फिजिकल एक्टिविटी न होने के कारण हमारा आहार पचता नहीं हैं और उसमें बैक्टेरियल एक्टिविटी शुरू हो जाती है, जिसके बाद फार्टिंग की समस्या आ सकती है।
अक्सर आपने सुना होगा कि हमें अपने आहार का चुनाव सोच-समझ के करना चाहिए। वहीं, हमारे द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ भी गैस के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे बीन्स, दाल, पत्तागोभी, ब्रोकोली, प्याज और कार्बोनेटेड पेय, पाचन के दौरान अधिक गैस पैदा करते हैं। जिसके कारण रात में समस्या होती है।
रात में हमें हमेशा हल्का भोजन करना चाहिए। अक्सर इसके पीछे का तर्क आपने सुना होगा कि रात में सोते हुए हमारा मेटाबोलिज्म धीमे हो जाता है, जिससे पाचन संबंधी समस्या बढ़ सकती है। यदि हम रात में बहुत अधिक भोजन करते हैं और उसके बाद यदि बिना शारीरिक शर्म जैसे पोस्ट-मील वर्कआउट और वॉल्किंग जैसी गतिविधियां नहीं करते तो इस खाने के कारण हमारे शरीर में कई तरह की गैसे बनने लगती हैं और इसके कारण फार्टिंग की समस्या बढ़ती है।
आमतौर पर उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ भी गैस उत्पादन में योगदान करते हैं क्योंकि उन्हें पचाना कठिन होता है। वहीं, रात के समय हमारे पाचन तंत्र धीरे कार्य करता है, जिसके कारण कोलोन में बैक्टीरिया की गतिविधि बढ़ जाती है, यह दुष्प्रभाव के रूप में गैस उत्पादन का कारण बन सकता है और फार्टिंग को बढ़ाता है।
नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार हमें कुछ ऐसे दैनिक कार्य हैं, जिन्हें रात में करने से बचना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो हमारे शरीर में गैस का उत्पादन कम होगा और जिसके परिणामस्वरूप ‘फार्टिंग’ की समस्या भी कम होगी।
एनसीएस के अनुसार कम मात्रा में खाना खाने से रात के समय पेट फूलने और फार्टिंग की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपके पाचन तंत्र के लिए कम भोजन को प्रोसेस करना आसान होता है, और वे कम गैस उत्पादन और असुविधा पैदा कर सकते हैं।
भोजन को अच्छी तरह चबाने से वह छोटे, अधिक डायजेस्टिबल पार्टिकल्स में टूट जाता है। यह आपके पेट और पाचन एंजाइमों को अधिक प्रभावी ढंग से काम करने में मदद करता है, जिससे पाचन बेहतर होता है और कोलन में बिना पचे भोजन का फर्मेंटेशन कम होता है। जब भोजन पेट में ठीक से नहीं टूटता है, तो यह बड़ी आंत तक पहुंच सकता है जहां यह गैस उत्पादन का स्रोत बन जाता है।
साथ ही धीरे-धीरे खाने से आपके शरीर को यह पहचानने के लिए अधिक समय मिलता है कि आपका पेट कब भर गया है। यह अधिक खाने से रोकने में मदद कर सकता है, इससे गैस्ट्रिक असुविधा, निचले एसोफेजियल स्फिंक्टर पर दबाव और गैस उत्पादन में वृद्धि को सीधे तौर पर रोकता है।
नियमित शारीरिक गतिविधि स्वस्थ मल त्याग को बढ़ावा देने और नियमितता बनाए रखकर पाचन में सुधार करने में मदद करती है। व्यायाम भोजन को पाचन तंत्र के माध्यम से अधिक कुशलता से आगे बढ़ने में मदद करता है, जिससे अपाच्य भोजन के कोलोन तक पहुंचने की संभावना कम हो जाती है, जो गैस उत्पादन का एक स्रोत हो सकता है। इसके साथ ही तनाव के कारण भी फर्टिंग की समस्या हो सकती है। व्यायाम तनाव और चिंता को कम करने के लिए जाना जाता है।
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