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बारिश में भीगे बिना भी हो सकता है फ्लू, एक एक्सपर्ट बता रहे हैं फ्लू से जुड़े मिथ्स और फैक्ट

बारिश के मौसम में नहाना, लॉन्ग ड्राईव पर निकलना, कुछ मसालेदार खाना किसी सेलिब्रेशन से कम नहीं है। पर यह मौसम अपने साथ कुछ बीमारियां भी लेकर आता है। फ्लू बरसात में होने वाली ऐसी ही एक समस्या है, जिसके बारे में जानना उससे बचाव का महत्वपूर्ण तरीका हो सकता है।
Published On: 10 Sep 2024, 03:38 pm IST
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Dr. L. N. Taneja
इनपुट फ्राॅम
iss mausam me water and mosquito borne disease ke alawa flu ka bhi khatra rahta hai.
इस मौसम में जल और मच्छर जनित बीमारियों के अलावा फ्लू का जोखिम भी रहता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

मानसून का आना किसे अच्छा नहीं लगता? इस मौसम में बारिश की बूंदें चिलचिलाती गर्मी से राहत देती हैं। लेकिन इसी मौसम में बहुत सारी बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। खासतौर से बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए। जिनकी इम्युनिटी कमजोर होती है। अगर आप वर्किंग मॉम हैं, तो इस मौसम में आपको अपने और अपने बच्चों दोनों की सेहत के बारे अतिरिक्त ध्यान देना पड़ सकता है। इस मौसम में अन्य जल और मच्छर जनित बीमारियों के अलावा फ्लू का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, जरूरी है कि मानसून में अपने बच्चों को फ्लू (Flu in monsoon) से बचाने के लिए आप भी इससे जुड़े मिथ्स और फैक्ट (Myths and fact about flu in monsoon) के बारे में अच्छी तरह जान लें।

अकसर बरसात में फ्लू क्यों हो जाता है और इससे अपने बच्चों को कैसे बचाएं, यह जानने के लिए हमने डॉ. एल. एन. तनेजा से बात की। डॉ तनेजा सीनियर पीडियाट्रिशियन हैं। फिलहाल वे मैक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली में प्रिंसिपल कंसल्टेंट हैं। डॉ तनेजा मानसून में होने वाले फ्लू और उसके बारे में प्रचलित कुछ धारणाओं की सच्चाई बता रहे हैं।

यहां हैं मानसून में होने वाले फ्लू और उससे बचाव के बारे में प्रचलित मिथ्स और फैक्ट 

flu barish me bhigne se nahi balki ek virus ke karan hota hai
असल में फ्लू वायरस के कारण होता है, बारिश में भीगने से नहीं । चित्र : अडोबीस्टॉक

मिथ : बारिश में भीगने से फ्लू होता है।

सच: फ्लू वायरस के कारण होता है, बारिश में भीगने से नहीं।

असल में फ्लू वायरस चार प्रकार के होते हैं और वे सर्दी के मौसम में व नमी वाले मौसम में उभरते हैं। इसलिए, मानसून के दौरान इनका प्रसार बढ़ जाता है। बच्चे बारिश में भीगें या पूरे मौसम में बारिश के पानी से बचे रहें, तब भी इन वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

हालांकि यह सच है कि ज्यादा समय तक गीला रहने से बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे फ्लू जैसे संक्रमण की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। टीका इस तरह के वायरस से बच्चों की हिफाजत कर सकता है और उन्हें फ्लू की चपेट में आने से बचा सकता है।

मिथ : मॉनसून में बच्चों को घर के अंदर रखने से फ्लू से बचाव हो सकता है।

सच: बच्चों को फ्लू का संक्रमण घर के अंदर या बाहर कहीं से भी हो सकता है।

किसी संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या बात करने से हवा में बनने वाले सूक्ष्म ड्रॉपलेट्स से फ्लू का प्रसार होता है। ये ड्रॉपलेट किसी वस्तु या सतह, जैसे स्कूल की डेस्क, खिलौने या दरवाजे पर भी जमा हो सकते हैं। ऐसे में अगर बच्चे ऐसी किसी सतह को छूने के बाद नाक या मुंह को छू लें, तो वे संक्रमण का शिकार हो सकते हैं।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

फ्लू का टीकाकरण बच्चों को ऐसे फ्लू और उसके कारण होने वाली जटिलताओं से बचा सकता है।इसके अलावा, बच्चों को समय-समय पर साबुन और पानी से हाथ धोने के लिए प्रेरित करना और बिना जरूरत आंख, नाक या मुंह को छूने से बचने की सीख देना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

apko jhar sal flu ki vaccine leni pad sakti hai
सुरक्षित रहने के लिए आपको हर साल फ्लू की वैक्सीन लेनी पड़ सकती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

मिथ : मानसून से पहले फ्लू से बचाव का एक टीका जीवनभर फ्लू से बचा सकता है।

सच: फ्लू से बचाव के लिए हर साल टीका लगवाने की जरूरत होती है।

‘शेपशिफ्टर्स’ की तरह फ्लू के वायरस हर साल अपना स्वरूप बदलते रहते हैं। इसीलिए इनसे बचाव के लिए हर साल टीका लगवाने की जरूरत पड़ती है। डब्ल्यूएचओ हर साल उस समय के वायरस के विश्लेषण के आधार पर फ्लू का टीका तैयार करने के लिए फॉर्मूलेशन को अपडेट करता है। इसीलिए जरूरी है कि अपने बच्चों को फ्लू से बचाव के लिए हर साल टीका लगवाएं।

मानसून के दौरान बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने चाहिए। कई बार फ्लू के कारण सांस लेने में परेशानी जैसी कुछ गंभीर परेशानियां हो जाती हैं। जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है। यहां तक कि सामान्य मामलों में भी कई बार बच्चों को पूरी तरह ठीक होने में कई हफ्ते का समय लग जाता है और उन्हें कुछ जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।

इस बार मानसून में अपने बच्चों को फ्लू का शिकार न होने दें। अपने पीडियाट्रिशियन से आज ही फ्लू से बचाव के टीके के बारे में बात करें।

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लेखक के बारे में
योगिता यादव
योगिता यादव

योगिता यादव एक अनुभवी पत्रकार, संपादक और लेखिका हैं, जो पिछले दो दशकों से भी ज्यादा समय से हिंदी मीडिया जगत में सक्रिय हैं। फिलहाल वे हेल्थ शॉट्स हिंदी की कंटेंट हेड हैं, जहां वे महिलाओं के स्वास्थ्य, जीवनशैली, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी सामग्री का संयोजन और निर्माण करती हैं।योगिता ने दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, जी मीडिया और अमर उजाला जैसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में कार्य किया है। वे 'हेल्दी ज़िंदगी' नाम का उनका हेल्थ पॉडकास्ट खासा लोकप्रिय है, जिसमें वे विशेषज्ञ डॉक्टरों और वेलनेस एक्सपर्ट्स से संवाद करती हैं।

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