करेला! यह उन सब्जियों में से एक है जिन्हें देखकर हम मुंह बना लेते हैं, क्योंकि यह बहुत कड़वा होता है। मगर मुझे करेला तब से पसंद आने लगा जबसे इनसे मेरी मां की डायबिटीज कंट्रोल करने में मदद मिली है।
जी हां, हमने करेले के फ़ायदों के बारे में सुना है – चाहे वह जूस के रूप में सेवन करना हो, या मसालेदार सब्जी बनाकर, या फिर भरवां या तला हुआ खाना। मगर मां को इसके रस में पैर डुबोते देखना मेरे लिए अलग था।
उन्होनें मुझे बताया कि यह अनोखा सुझाव हमारी हाउस हेल्प की ओर से आया है। इसने मेरे जिज्ञासु मन को झकझोर दिया। यह पूछे जाने पर कि उन्हें यह कहां से मिली, उन्होंने प्राकृतिक उपचारों पर एक किताब में इस ‘नुस्खे’ के बारे में पढ़ा, जिसका जिक्र मेरी दादी भी करती थीं।
जबकि मेरी मां को अपने आहार में करेला शामिल करने से कोई फर्क नहीं पड़ा। मैंने सोचा कि यह ‘करेला पेडीक्योर’ एक मज़ाक है!!
आपको अपने पैरों को पानी में लगभग 30 मिनट तक डुबोना होगा, जब तक कि करेले का स्वाद आपके मुंह तक न पहुंच जाए। हां, ऐसा होता है, मेरी मां ने मुझे अपने अनुभव से बताया।
3-4 करेले लें
इन्हें पीसकर पेस्ट बना लें
इसमें एक गिलास सदा पानी डालें
इसे एक बाल्टी में डाल दें। यह मात्रा आपके पैरों को केवन पंजों तक ढकने के लिए पर्याप्त होनी चाहिए।
करेले के जूस की बाल्टी में अपने पैर डुबोएं
इन्हें लगभग 30 मिनट के लिए बाल्टी में रख दें
मुंह में करेले का स्वाद आने के बाद पैरों को बाहर निकालें और साफ पानी से धो लें
उन्हें तौलिए से अच्छी तरह पोंछकर सुखा लें
मैंने इसके बार एमें ऑनलाइन पढ़ने की कोशिश की और मुझे यह जानकार हैरानी हुई की कई लोगों नें इसे आजमाया है। तो वहीं, कुछ लोग इस बात से चिंतित थे कि क्या पैर भिगोना मधुमेह के पैरों के लिए सही समाधान है।
जहां तक मेरी मां का सवाल है, उन्होंने कहा कि 10 दिनों तक करेले के रस में पैर भिगोने से शुगर का स्तर थोड़ा कम हो गया। उसका शुगर लेवल 160 से गिरकर 130 हो गया। उन्होनें यह सुनिश्चित किया कि उसके पैर ठीक से साफ हो जाएं और बाद में सूख जाएं।
एस्टर अस्पताल के कंसल्टेंट जनरल मेडिसिन, डॉ अविनाश कुम्भर ने हेल्थशॉट्स को बताया कि करेले का रस मधुमेह कंट्रोल करने के लिए फायदेमंद होता है, अगर कोई मरीज इसका मौखिक रूप से सेवन करता है।
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कस्टमाइज़ करेंकुंभर ने समझाया – “वैज्ञानिक रूप से यह प्रमाणित नहीं किया गया है कि करेले के रस में पैर डुबाने के बाद समान लाभ होते हैं। मगर यह साबित हो गया है कि नियमित व्यायाम, अच्छा आहार, उचित नींद और दवा की मदद से शुगर नियंत्रण और ठोस जीवनशैली में बदलाव से मधुमेह के नियंत्रण में मदद मिल सकती है।”
पोषण विशेषज्ञ आकृति अरोड़ा ने हमें बताया कि कैसे करेले के पोषक तत्व और लाभ हमारे जीवन को सही बना सकते हैं।
डॉ. अरोड़ा ने हेल्थशॉट्स को बताया – “करेला कैटेचिन, गैलिक एसिड, एपिक्टिन और क्लोरोजेनिक एसिड जैसे एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर है। इसमें विटामिन ए और विटामिन सी और पोटेशियम, फोलेट, जिंक और आयरन जैसे खनिजों का एक विशाल भंडार है। यह सभी स्वस्थ वसा और प्रोटीन से भरपूर है।”
जिस किसी को भी डायबिटीज मेलिटस का पता चलता है, उसे डॉक्टरों द्वारा भी करेला खाने की सलाह दी जाती है। करेला ऊतकों में चीनी का उपयोग करने के तरीके में सुधार कर सकता है और इंसुलिन के स्राव को बढ़ावा देता है, जिससे रक्त शर्करा के स्तर को स्वाभाविक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
करेला में तीन सक्रिय पदार्थ होते हैं – पॉलीपेप्टाइड, विसीन और चरंती – जिनका मधुमेह विरोधी प्रभाव होता है। इनमें इंसुलिन जैसे गुण और रक्त शर्करा को कम करने वाले प्रभाव होने की पुष्टि की गई है।
इसमें पाया जाने वाला लेक्टिन, शरीर में रक्त शर्करा की मात्रा को कम करने में मदद करता है, जो ऊतकों पर कार्य करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, लेक्टिन हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव को ट्रिगर करने के लिए जिम्मेदार है, जिसका मूल रूप से शरीर में रक्त शर्करा के स्तर को कम करना है।
जिन लोगों को मधुमेह होता है, उनके लिए अक्सर जल्दी ठीक होना मुश्किल होता है। करेला रक्त के प्रवाह और रक्त के थक्के को नियंत्रित करता है जो घावों को जल्दी भरने और संक्रमण में कमी लाने में मदद करता है।
शरीर की सहनशक्ति और ऊर्जा का स्तर आमतौर पर वृद्ध मधुमेह रोगियों में कम होता है। प्रतिदिन सेवन करने पर करेला इनमें सुधार दिखता है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करने में भी मदद करता है और अनिद्रा जैसी नींद की समस्याओं को कम करता है।
करेले के लाल बीज खाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे पेट खराब हो सकता है।
किसी भी चीज की अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इसलिए, जो लोग मधुमेह से पीड़ित हैं और इसके लिए दवाएं ले रहे हैं, उन्हें इस सब्जी का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए क्योंकि बड़ी मात्रा में सेवन करने पर इसके गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
गर्भवती महिलाओं को करेले खाने से बचना चाहिए क्योंकि इससे फेविस्म, अपच और गंभीर मामलों में फूड पॉइजनिंग हो सकती है।
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