प्रेगनेंसी यानी गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अपने शरीर के प्रति अधिक सचेत रहने की सलाह दी जाती है। इस दौरान महिलाओं का शरीर आम दिनों की तुलना में अधिक संवेदनशील होता है, जिसकी वजह से कोई भी समस्या आसानी से उन्हें प्रभावित कर सकती है। वहीं गई छोटी-मोटी भूल भी प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशंस का कारण बन सकती है। प्रेगनेंसी के पहले और प्रेगनेंसी के बाद कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि किसी भी प्रकार की प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशंस न आए। कॉम्प्लिकेटेड प्रेगनेंसी बच्चे और मां दोनों की सेहत के लिए उचित नहीं होती (tips to avoid pregnancy complications)।
एक हेल्दी और कॉम्प्लिकेटेड फ्री प्रेगनेंसी के लिए डॉ. आस्था दयाल, डायरेक्टर – आब्सटेट्रिक्स और गायनेकोलॉजी, सी के बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम ने कुछ जरूरी टिप्स दिए हैं। प्रेग्नेंट महिलाओं से लेकर वे सभी महिलाएं जो प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं, उन्हें इन टिप्स को बेहद गंभीरता से फॉलो करना चाहिए। तो चलिए जानते हैं, इस बारे में अधिक विस्तार से।
स्वस्थ जीवनशैली के लिए फल, सब्जी, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार की सलाह दी जाती है। सुनिश्चित करें कि आपको पर्याप्त आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्राप्त हो रहे हों। प्रेगनेंसी में आपकी बॉडी को विशेष रूप से पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, इसलिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि शरीर को पर्याप्त पोषण मिल रहा है। इससे मां एवं बच्चे दोनों की सेहत बनी रहती है, और प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशंस का खतरा कम हो जाता है।
आस्था दयाल के अनुसार “प्रत्येक पैरेंटल अपॉइंटमेंट को फॉलो करें और उसमें उपस्थित हों। शुरुआत से ही यदि नियमित देखभाल की जाए तो किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या को प्रबंधित करने और बच्चे के ग्रोथ को समझने और किसी भी परेशानी को आसानी से मैनेज करने में मदद मिलती है।”
एमनियोटिक द्रव के स्तर को बनाए रखने और हाइड्रेटेड रहने के लिए, खूब सारा पानी पिएं। यदि प्रेगनेंसी में आपकी बॉडी हाइड्रेटेड नहीं होती है, तो प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशंस का खतरा बढ़ जाता है। इन्हे अवॉइड करने के लिए पानी पीने के साथ ही अन्य हाइड्रेटिंग फल एवं सब्जियों का भी सेवन करें।
धूम्रपान, शराब आदि जैसे नशीले पदार्थ का सेवन न करें। इसके साथ ही कैफीन की मात्रा को भी सीमित रखने की सलाह दी जाती है। यह सभी पदार्थ आपके और आपके बच्चों की सेहत के लिए हानिकारक हो सकते हैं। इसके अलावा ये प्रेगनेंसी के दौरान कॉम्प्लिकेशंस का कारण बन सकते हैं।
डॉक्टर कहती हैं “यदि आपको किसी भी प्रकार की सेहत संबंधी समस्या है, तो प्रेगनेंसी के पहले इनकी जांच करवाएं। इसके अलावा प्रेगनेंसी के दौरान भी समय-समय पर अपने डॉक्टर की सहायता से, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और थायरॉयड जैसी समस्याओं पर नियंत्रण बनाए रखें।”
प्रेगनेंसी में हार्मोनल बदलाव, शारीरिक परिवर्तन आदि के कारण महिलाओं में मूड स्विंग और स्ट्रेस होना बिल्कुल कॉमन होता है। ऐसे में तनाव को कम करने के लिए, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, ध्यान या मसाज करवा सकती हैं। तनाव का लंबे समय तक बना रहना मां एवं बच्चे दोनों के लिए अनहेल्दी साबित हो सकता है।
तीव्र पेट दर्द, ब्लीडिंग, अचानक से सूजन होना, बहुत तेज सिरदर्द और भ्रूण की गति में परिवर्तन जैसे लक्षणों पर नजर रखें। ऐसा कुछ भी महसूस होने पर फौरन डॉक्टर मिलें और सलाह लें, इन्हे नजरंदाज करना भारी पड़ सकता है।
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