शरीर को हेल्दी रखने के लिए पाचतंत्र का मज़बूत होना आवश्यक है। मगर कई बार ओवरइटिंग करने या कंटेमिनेटिड फूड का सेवन करने से पेट में एसिड बनने लगता है, जिससे पेट में ऐंठन, एसिडिटी, अपच और ब्लोटिंग का कारण (Causes of bloating) बनने लगता है। इसका असर न केवल मूड बल्कि नींद की गुणवत्ता और हृदय पर भी नज़र आता है। मगर इस समस्या से घबराने की जगह इसके कारणों को खोजना बेहद आवश्यक है। जानते हैं वो कौन् सी गलतियां है, जो इनडाइजेशन का कारण (causes of indigestion) साबित होती हैं।
इस बारे में बातचीत करते हुए डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी पाचन संबधी समस्याओं को बढ़ा देती है। इसके अलावा अनियमित और स्पाइसी फूड्स का सेवन पेट में दर्द और ब्लोटिंग का कारण बनने लगता है। कई मामलों में न्यूट्रिएंट्स के एब्ज़ोर्प्शन की कमी भी पाचनतंत्र को असंतुलित बना देती है। इसके अलावा शारीरिक सक्रियता की कमी भी डाइजेशन को स्लो बना सकती है।
वे लोग जो सिडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो करते है, उन्हें एसिडिटी का खतरा बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं। खाने के बाद सौंफ का सेवन करें। इसके अलावा अदरक को आहार में शामिल करने से पेट सबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है।
1. अनहेल्दी इटिंग हेबिट्स
देर रात तक खाना और ज्यादा मात्रा में खाना इनडाइजेशन की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन गट में माइक्रोबियल इंफे्क्शन का कारण साबित होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के अनुसार स्पाइसी, ग्रीसी और फैटी फूड से इनडाइजेशन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा खाना खाने के बाद एकदम से लेट जाना भी पेट में दर्द और अपच का कारण साबित होता है।
नियमित रूप से व्यायाम न करने से मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है। इसके चलते गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ और इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है। दरअसल, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने यानि नियमित व्यायाम करने से इंटेस्टाइनल फंक्शन उचित बना रहता है, जिससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। इसके अलावा रोज़ाना एक्सरसाइज़ न करने से एसिड रिफ्लक्स का जोखिम भी बढ़ जाता है।
पानी पीने से शरीर को ज़रूरी मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से पेट की लाइनिंग और इंटेस्टाइन अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं। पानी की उच्च मात्रा न मिलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी बनी रहती है, जिससे पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है, जो कब्ज का कारण साबित होता है। साथ ही पानी की कमी के चलते पेट में डाइजेस्टिव एसिड की कमी बढ़ने लगती है। इससे गैस्ट्राइटिस और एसिड रिफ्लक्स का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में नियमित रूप से दिन में 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पीएं। इसके अलावा हेल्दी पेय पदार्थों को भी विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं।
रोज़मर्रा के जीवन में शराब का सेवन करने से शरीर में निर्जलीकरण का कारण बनने के अलावा पोषक तत्वों के अवशोषण में भी कमी आने लगती है। इसके चलते ब्लोटिंग, कुपोषण और अनहेल्दी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी के चलते वेटलॉस, लो ब्लड प्रेशर और एनीमिया की समस्या बनी रहती है। साथ ही अन्य स्वास्थ्यय संबधी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है।
दिनों दिन तनाव बढ़ने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का सिक्रीशन बढ़ने लगता है। इससे एसिड रिफ्लक्स का सामना करना पड़ता है। दरअसल, तनाव से गट बैक्टीरिया असंतुलित होने लगते है, जिससे पाचन संबधी समस्याएं बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मध्यम से उच्च तनाव वाले लोगों में एसिड रिफ्लक्स के लक्षण होने की संभावना कम तनाव वाले लोगों की तुलना में 1.95 गुना अधिक होती है। उच्च तनाव स्तर वाले लोगों में जीईआरडी के लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं।
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