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ब्लोटिंग, अपच और कब्ज का कारण है ये लाइफस्टाइल मिस्टेक्स, कहीं आप भी तो नहीं कर रहीं?

अनियमित खानपान से पेट में एसिड का सामना करना पड़ता है, जिससे पेट में ऐंठन, एसिडिटी और ब्लोटिंग की समस्या बनी रहती है। इससे नींद न आने की समस्या के अलावा हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। मगर इससे घबराने की जगह कारणों को खोजना आवश्यक है।
Published On: 14 Oct 2024, 10:00 am IST
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Digestion ko kaise karein boost
खीरे की इस कांजी की मदद से शरीर को प्रोबायोटिक्स और फाइबर की प्राप्ति होती है। चित्र : अडॉबीस्टॉक

शरीर को हेल्दी रखने के लिए पाचतंत्र का मज़बूत होना आवश्यक है। मगर कई बार ओवरइटिंग करने या कंटेमिनेटिड फूड का सेवन करने से पेट में एसिड बनने लगता है, जिससे पेट में ऐंठन, एसिडिटी, अपच और ब्लोटिंग का कारण (Causes of bloating) बनने लगता है। इसका असर न केवल मूड बल्कि नींद की गुणवत्ता और हृदय पर भी नज़र आता है। मगर इस समस्या से घबराने की जगह इसके कारणों को खोजना बेहद आवश्यक है। जानते हैं वो कौन् सी गलतियां है, जो इनडाइजेशन का कारण (causes of indigestion) साबित होती हैं।

क्यों पाचन संबधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है (Why do you have to face digestive problems?)

इस बारे में बातचीत करते हुए डायटीशियन मनीषा गोयल बताती हैं कि शरीर में विटामिन और मिनरल की कमी पाचन संबधी समस्याओं को बढ़ा देती है। इसके अलावा अनियमित और स्पाइसी फूड्स का सेवन पेट में दर्द और ब्लोटिंग का कारण बनने लगता है। कई मामलों में न्यूट्रिएंट्स के एब्ज़ोर्प्शन की कमी भी पाचनतंत्र को असंतुलित बना देती है। इसके अलावा शारीरिक सक्रियता की कमी भी डाइजेशन को स्लो बना सकती है।

वे लोग जो सिडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो करते है, उन्हें एसिडिटी का खतरा बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं। खाने के बाद सौंफ का सेवन करें। इसके अलावा अदरक को आहार में शामिल करने से पेट सबंधी समस्याओं से बचा जा सकता है।

Indigestion ka karan
वे लोग जो सिडेंटरी लाइफस्टाइल फॉलो करते है, उन्हें एसिडिटी का खतरा बना रहता है। इससे राहत पाने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीएं। चित्र :- अडोबी स्टॉक

रोज़मर्रा के जीवन की ये गलतियां बनने लगती हैं इनडाइजेशन का कारण (Causes of indigestion)

1. अनहेल्दी इटिंग हेबिट्स

देर रात तक खाना और ज्यादा मात्रा में खाना इनडाइजेशन की समस्या को बढ़ा सकता है। इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड का अत्यधिक सेवन गट में माइक्रोबियल इंफे्क्शन का कारण साबित होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिज़ीज़ के अनुसार स्पाइसी, ग्रीसी और फैटी फूड से इनडाइजेशन का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा खाना खाने के बाद एकदम से लेट जाना भी पेट में दर्द और अपच का कारण साबित होता है।

2. शारीरिक सक्रियता की कमी

नियमित रूप से व्यायाम न करने से मेटाबॉलिज्म स्लो होने लगता है। इसके चलते गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स डिज़ीज़ और इरिटेबल बॉवल सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है। दरअसल, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने यानि नियमित व्यायाम करने से इंटेस्टाइनल फंक्शन उचित बना रहता है, जिससे कब्ज की समस्या से राहत मिलती है। इसके अलावा रोज़ाना एक्सरसाइज़ न करने से एसिड रिफ्लक्स का जोखिम भी बढ़ जाता है।

sedentary lifestyle se kaise bachein
शारीरिक रूप से सक्रिय रहने यानि नियमित व्यायाम करने से इंटेस्टाइनल फंक्शन उचित बना रहता है, । चित्र : शटरस्टॉक

3. भरपूर मात्रा में पानी न पीना

पानी पीने से शरीर को ज़रूरी मिनरल्स की प्राप्ति होती है। इसकी मदद से पेट की लाइनिंग और इंटेस्टाइन अपना कार्य सुचारू रूप से करते हैं। पानी की उच्च मात्रा न मिलने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी बनी रहती है, जिससे पेट में ऐंठन का सामना करना पड़ता है, जो कब्ज का कारण साबित होता है। साथ ही पानी की कमी के चलते पेट में डाइजेस्टिव एसिड की कमी बढ़ने लगती है। इससे गैस्ट्राइटिस और एसिड रिफ्लक्स का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में नियमित रूप से दिन में 8 से 10 गिलास पानी अवश्य पीएं। इसके अलावा हेल्दी पेय पदार्थों को भी विकल्प के तौर पर चुन सकते हैं।

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4. अल्कोहल और एसिडिक पेय पदार्थों का सेवन

रोज़मर्रा के जीवन में शराब का सेवन करने से शरीर में निर्जलीकरण का कारण बनने के अलावा पोषक तत्वों के अवशोषण में भी कमी आने लगती है। इसके चलते ब्लोटिंग, कुपोषण और अनहेल्दी बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। शरीर में पोषक तत्वों की कमी के चलते वेटलॉस, लो ब्लड प्रेशर और एनीमिया की समस्या बनी रहती है। साथ ही अन्य स्वास्थ्यय संबधी समस्याओं का जोखिम भी बढ़ जाता है।

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रोज़मर्रा के जीवन में शराब का सेवन करने से शरीर में निर्जलीकरण का कारण बनने के अलावा पोषक तत्वों के अवशोषण में भी कमी आने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

5. हर पल तनाव में रहना

दिनों दिन तनाव बढ़ने से शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का सिक्रीशन बढ़ने लगता है। इससे एसिड रिफ्लक्स का सामना करना पड़ता है। दरअसल, तनाव से गट बैक्टीरिया असंतुलित होने लगते है, जिससे पाचन संबधी समस्याएं बढ़ जाती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार मध्यम से उच्च तनाव वाले लोगों में एसिड रिफ्लक्स के लक्षण होने की संभावना कम तनाव वाले लोगों की तुलना में 1.95 गुना अधिक होती है। उच्च तनाव स्तर वाले लोगों में जीईआरडी के लक्षण आमतौर पर देखने को मिलते हैं।

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

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