इन्फ्लेमेशन यानी की सूजन चोट, संक्रमण, कीटाणुओं, केमिकल्स या रेडिएशन जैसे उत्तेजक पदार्थों के प्रति शरीर की इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया का एक सामान्य हिस्सा है। जब शरीर इम्यून रिस्पांस को ट्रिगर करने के लिए केमिकल रिलीज करती है, तो इस स्थिति में सूजन पैदा हो सकता है। चोट या संक्रमण के पूरी तरह से ठीक हो जाने पर सूजन की प्रक्रिया समाप्त हो जाती है। हालांकि, इस प्रकार के सूजन 1 से 2 दिनों में ठीक हो जाते हैं या कई बार इन्हे ठीक होने में हफ्ता लग जाता है।
सूजन शरीर के लिए सकारात्मक रूप से कार्य करता है, परंतु यदि यह सूजन सालों तक बना रहे, जिसे आमतौर पर क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन कहा जाता है, तो यह आपकी सेहत को कई रूपों में नुकसान पहुंचा सकता है। आजकल की भाग दौड़ और तनाव भरी जिंदगी में इन्फ्लेमेशन एक आम स्थिति बन चुकी है। भविष्य में इसका परिणाम सेहत को कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित कर सकता है, इसलिए समय रहते इन पर ध्यान देना जरूरी है।
योगा इंस्टीट्यूट की फाउंडर, आयुर्वेद एक्सपर्ट और हेल्थ कोच डॉक्टर हंसा जी योगेंद्र ने इन्फ्लेमेशन को मैनेज करने के कुछ खास आयुर्वेदिक टिप्स दिए हैं। इन्हें फोलो कर आप अपने क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन के खतरे को कम कर सकती हैं (ayurvedic tips to manage chronic inflammation)। तो चलिए जानते हैं इस बारे में अधिक विस्तार से।
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अपने शरीर की सुरक्षा हम स्वयं कर सकते हैं, इसकी जिम्मेदारी किसी और कि नहीं होती। पाचन अग्नि को उत्तेजित करने और इन्फ्लेमेशन को कम करने वाले गर्म, पके हुए खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दें। अदरक और हल्दी, दो सबसे महत्वपूर्ण एंटी इन्फ्लेमेटरी सुपरफूड्स हैं, इन्हें अपने नियमित खाद्य पदार्थों में जरूर ऐड करें।
आयुर्वेद के अनुसार एक दैनिक दिनचर्या बनाएं, जो आपकी सर्कैडियन रिदम के साथ तालमेल बिठाए। जीभ को साफ करने से लेकर ऑयल से खुद की मालिश करने तक, ये अनुष्ठान आपकी सेहत को बढ़ावा देते हैं। ब्लड सर्कुलेशन को उत्तेजित करते हैं, और इन्फ्लेमेशन को कम करते हुए सामग्र सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां सूजन को कम करने में विशेष रूप से प्रभावी साबित हो सकती हैं। यहां कुछ एंटी इन्फ्लेमेटरी जड़ी बूटियां के नाम बताए गए हैं:
नीम: नीम में एंटी इन्फ्लेमेटरी और एंटी माइक्रोबॉयल प्रॉपर्टी पाई जाती हैं। इसका उपयोग अक्सर त्वचा की सूजन और जोड़ों के दर्द के इलाज के लिए किया जाता है।
तुलसी (पवित्र तुलसी): तुलसी को “जड़ी-बूटियों की रानी” के रूप में जाना जाता है। यह एक स्ट्रांग एंटी इन्फ्लेमेटरी जड़ी बूटी है, साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एडाप्टोजेनिक गुण मौजूद होते हैं। यह शरीर को तनाव से लड़ने के लिए सक्रिय करती है, और शरीर में सूजन के प्रभाव को कम कर देती है।
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कस्टमाइज़ करेंआमलकी (भारतीय करौदा): आमलकी विटामिन सी से भरपूर होती है और इसमें शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं।
अपनी शारीरिक क्षमता और शक्ति के अनुसार व्यायाम, योग आदि जैसी शारीरिक गतिविधियों में भाग लें। सिस्टम पर ज़्यादा बोझ डाले बिना मेटाबॉलिज्म को शुरू करने के लिए सुबह के समय हल्के व्यायाम करें। संतुलित वर्कआउट रूटीन सूजन को बढ़ाने वाले असंतुलन को रोकने में मदद करता है।
तनाव यानी कि स्ट्रेस क्रॉनिक इन्फ्लेमेशन का एक बहुत बड़ा कारण है। भावनात्मक संतुलन बनाए रखने और पित्त असंतुलन को कम करने के लिए मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइ, और योग जैसे एंटी स्ट्रेस एक्टिविटी को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इसके अलावा स्ट्रेस ट्रिगर से दूर रहें और खुश रहने का प्रयास करें।
पर्याप्त और आरामदायक नींद सेलुलर रिपेयर को बढ़ावा देती है, मेटाबॉलिज्म को अनुकूलित करती है और इन्फ्लेमेशन मैनेजमेंट का समर्थन करती है। रात की नींद आपकी सूजन को जल्दी कम करने में मदद करती है। नींद के दौरान शरीर सूजन को हिल करती है।
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