12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ इस बार उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी होने का दावा भी कर लिया है। हिन्दू धर्म के इस महत्वपूर्ण आयोजन में करोड़ो लोगों के जुटने की उम्मीद है। इस दौरान स्नान का एक विशेष धार्मिक महत्व है। लेकिन इस विशेष मौके पर ये उनके लिए मुसीबत है जिनकी बीमारी उन्हें ठंडे पानी में नहाने की इजाज़त नहीं देती। जैसे – अर्थराइटिस के मरीज। ऐसे लोगों में जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ जाने के खतरे हैं। क्या ऐसे में कुम्भ स्नान उनके लिए सही विकल्प है? कैसे इन खतरों से बचते हुए वे कुम्भ स्नान (Arthritis safety tips for Maha kumbh) कर सकते हैं। आज हम आपको यही बताने वाले हैं।
सर्दियों में अक्सर कुम्भ के दौरान नदी का पानी ठंडा होता है। ऑर्थो सर्जन डॉक्टर वत्सल खेतान के अनुसार, ठंडे पानी में स्नान करने से शरीर का टेम्परेचर अचानक गिर सकता है जिससे जोड़ों में खून का संचार धीमा हो जाता है। इससे जोड़ों में दर्द और सूजन बढ़ सकती है। खासकर रुमेटॉयड अर्थराइटिस या ऑस्टियोआर्थराइटिस के पेशेंट्स में ऐसा अक्सर होता है। इसके अलावा ठंडा पानी जोड़ों और मांसपेशियों को कठोर बना सकता है जिससे आपकी ये समस्या और बढ़ जाएगी।
ठंडे पानी में स्नान करने से शरीर की मांसपेशियाँ और जोड़ कठोर हो जाते हैं। ऐसे में यह किसी के लिए समस्या बन सकती है। लेकिन जो लोग पहले से ही अर्थराइटिस जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। उनके लिए ये मुसीबत और बड़ी बन सकती है।
कई बार ऐसी स्थिति में उनके पैर में तुरन्त सूजन और तेज़ दर्द होने लगता है। ये दर्द इतना बढ़ सकता है कि ऐसे लोगों को चलने फिरने में भी दिक्कत हो सकती है।
डॉक्टर वत्सल बताते हैं कि कई बार अर्थराइटिस बैक्टीरियल, वायरल इन्फेक्शन की वजह से भी होता है। ठंडे पानी में जाने पर ये आपके शरीर मे फैल भी सकता है और शरीर की अन्य हड्डियों को भी प्रभावित करता है क्योंकि बैक्टीरिया और वायरस के लिए ठंडा माहौल वरदान से कम नहीं है। ऐसी स्थिति में आपकी अर्थराइटिस की समस्या और गम्भीर होती जाएगी।
अर्थराइटिस के पेशेंट्स की हड्डियां पहले से ही कमजोर होती हैं। ठंडे माहौल में इन पर बुरा असर तो पड़ता ही है लेकिन ठंडे पानी मे नहाने के बाद जब आप कुम्भ जैसी जगहों पर होते हैं जहाँ पैदल चलना आपकी मजबूरी हो। तब आपको थकान और कमजोरी ज्यादा महसूस हो सकती है क्योंकि हड्डियां पहले से ही आपका साथ नहीं दे रही होतीं।
एक स्टडी जिसमें 3000 से भी ज्यादा लोग शामिल थे, उसके नतीजों के अनुसार, ऐसे लोग जिन्हें रूमेटाइड अर्थराइटिस था, सर्द माहौल में उन्हें दर्द में बढ़ोतरी, सूजन और शारीरिक थकान जैसी समस्याओं से ज्यादा जूझना पड़ा।
वैसे तो पानी मे या फिसलन भरे माहौल में ऐसे खतरे किसी भी इंसान को हो सकते हैं। लेकिन अर्थराइटिस या हड्डियों की किसी भी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति में ये खतरे और बढ़ जाते हैं क्योंकि जरा सी चोट उनकी समस्या में और इजाफा कर सकती है।
अर्थराइटिस से जूझ रहे लोगों को कुम्भ में जाने से पहले ये काम (Arthritis safety tips for Maha kumbh) जरूर करना है। आप सबसे पहले अपने डॉक्टर से मिलें। उनसे इस बारे में सलाह लें कि क्या आपका कुम्भ में जाना सही रहेगा? अगर वह इस बात की अनुमति देते हैं तभी आप जाने की सोचिए। लेकिन उसके बावजूद जरूरी दवाइयां अपने साथ रखें और डॉक्टर के कहे अनुसार उन्हें लेते रहें।
कुम्भ जैसी जगह पर यह तो तय है कि पानी ठंडा ही होगा। ऐसे में आप फिर भी नहाना चाहते हैं तो स्नान से पहले अपने शरीर को हल्के गुनगुने पानी से धोकर गर्म करें या थोड़ी देर तक हल्की एक्सरसाइज करें।
ताकि मांसपेशियाँ और जोड़ों में लचीलापन आ सके और ठंडे पानी से आपकी हड्डियों पर असर कम हो। आर्थराइटिस पेशेंट्स ये तरीका (Arthritis safety tips for Maha kumbh) जरूर फॉलो करें।
अगर आप अर्थराइटिस से पीड़ित हैं (Arthritis safety tips for Maha kumbh) और उसके बाद भी ठंडे पानी में नहाने जा रहे हैं तो नहाने के बाद जितना हो सके तुरंत गरम कपड़े पहनें। यह शरीर की गर्मी बनाए रखने में मदद करेगा और आपकी हड्डियों पर ठंडे पानी के असर को कम करेगा।
कुम्भ के दौरान ठंडे पानी से स्नान के बाद अगर आपके जोड़ों में दर्द हो रहा है तो ऐसी सूरत में सिंकाई के लिए हॉट पैड या गर्म पानी की बोतल यूज (Arthritis safety tips for Maha kumbh) करें और जहाँ दर्द हो रहा है वहां सिंकाई करें। गर्म तेल की मालिश भी ऐसे वक्त पर काम आ सकती है। दर्द ज्यादा बढ़ने पर इमरजेंसी सर्विसेस का सहारा लेने से हिचकें नहीं।
नहाने से पहले और बाद में भी हल्का स्ट्रेचिंग करें। इससे आपके जोड़ों में लचीलापन बना रहेगा और ठंडे पानी की वजह मांसपेशियाँ कसने से बचेंगी। अर्थराइटिस पेशेंट्स को व्यायाम के बाद थोड़ी सी स्ट्रेचिंग जरूर करनी चाहिए ताकि हड्डियों में गर्माहट वापस लौट आए और आप शरीर के ठंडे तापमान का उनपर फ़र्क़ ना पड़े।
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