दिल्ली-एनसीआर सहित देश के तमाम शहरों की हवा अब ‘जहरीली’ हो चुकी है। देश में लगातार बढ़ता AQI का स्तर लोगों में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को भी कई गुना तक बढ़ा रहा है। प्रदूषण के कारण हवा में हानिकारक कण व्यक्ति के ‘रेस्पिरेटरी सिस्टम’ में दाखिल हो जाते हैं, जिसके बाद व्यक्ति को तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से गुज़रना पड़ता है। खराब हवा में सांस लेने के कारण व्यक्ति को सबसे ज्यादा फेफड़े संबंधित बीमारी होने का खतरा है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 70 लाख लोगों की असामयिक मृत्यु होती है। जिसकों विभाजित करके WHO ने बताया की इसका मतलब यह है कि हर घंटे 800 लोग या हर मिनट 13 लोग की मृत्यु सिर्फ वायु प्रदूषण के कारण ही हो रही है । साथ ही WHO ने यह भी बताया कि कुल मिलाकर, कुपोषण, शराब और शारीरिक निष्क्रियता सहित कई अन्य जोखिम कारकों की तुलना में वायु प्रदूषण अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार है ।
वहीं, WHO ने वायु प्रदूषण के कारण बच्चों पर पड़ने वाले प्रभावों पर कहा कि वायु प्रदूषण के कारण हर साल लगभग 6 लाख बच्चों की हर साल मृत्यु हो रही है।
वायु प्रदूषण के कारण मानव शरीर में सबसे ज्यादा अहम अंगों में से एक फेफड़े खराब हवा के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। जिसके कारण तमाम साधारण लंग्स डिजीज से लेकर ‘लंग कैंसर’ के होने की संभावनाएं भी बढ़ने लगी हैं। हवा में मौजूद हानिकारक कणों के कारण व्यक्ति के फेफड़ों में होने वाली तमाम समस्याओं और उनसे बचाव के लिए हेल्थशॉट्स ने न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा से बातचीत की। डॉ. मिश्रा ने बताया कि वायु प्रदूषण के कारण लोगों में इन दिनों ‘लंग्स कैंसर’ का खतरा बहुत अधिक बढ़ गया है।
वायु प्रदूषण और लंग्स कैंसर के बीच संबंध पर डॉ. मिश्रा बताते है कि, हवा में मौजूद विशेष रूप से हानिकारक सूक्ष्म कण (पीएम2.5) और जहरीली गैसें, फेफड़ों की विभिन्न समस्याओं को जन्म देती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा खतरनाक लंग कैंसर की स्थिति भी देखने को मिलती है ।
साथ ही डॉ. मिश्रा ने बताया कि प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही हानिकारक हवा के संपर्क में आने से तमाम तरह के कारक ‘लंग कैंसर’ की स्थिति को जन्म देते हैं।
प्रदूषित हवा में अक्सर बेंजीन, फॉर्मेल्डिहाइड, पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन और कार्सिनोजेन्स जैसे हानिकारक पदार्थ होते हैं, जो फेफड़ों में जा सकते हैं। ये कार्सिनोजेन फेफड़ों की कोशिकाओं में डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं और कैंसर के विकास का कारण बनते हैं।
वायु प्रदूषण में सूक्ष्म कण पदार्थ (पीएम2.5) और अन्य जहरीले पार्टिकल होते हैं जो रेस्पिरेटरी सिस्टम में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस उत्पन्न करते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण डीएनए डैमेज, सूजन और सेल्स डैमेज जैसी स्थिति हो सकती है, जो कैंसर की शुरुआत और प्रगति से जुड़े बहुत बड़े कारक हैं।
वायु प्रदूषकों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से असामान्य या कैंसरग्रस्त कोशिकाओं का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की प्रतिरक्षा प्रणाली की क्षमता कमजोर होती है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा प्रभावी रूप से कैंसर सेल्स फेफड़ें में जाने लगते हैं।
वायु प्रदूषण के कारण होने वाले ‘लंग कैंसर’ के बचाव पर डॉ.मिश्रा बताते हैं कि यदि आमतौर पर हम कुछ साधारण लेकिन महत्वपूर्ण सुरक्षात्मक कदम उठा लें, तो इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। साथ ही उनके अनुसार अपने फेफड़ों को हानिकारक कणों और वायु प्रदूषकों के संपर्क से बचाना आवश्यक है।
हवा के हानिकारक प्रदूषकों से बचने के लिए पहले तो कोशिश करें कि घर से बाहर न निकले, लेकिन यदि आपका बाहर निकलना बहुत जरूरी है तो मास्क का उपयोग करें। मास्क का चयन करने से पहले यह जरूर याद रखें कि आपको हवा में मौजूद सूक्ष्म से सावधानी रखनी हैं, इसलिए सही और अच्छा मास्क चुने। वहीं, जब भी आप घर से निकले, तो मास्क पहनकर ही निकले।
यदि आप घर में रह रहें हैं तो घर में खिड़की-दरवाज़ें बंद रखें क्योंकि ऐसा करने से बाहरी हवा में मौजूद हानिकारक कण आपके घर में दाखिल नहीं हो पाएंगे। लेकिन यदि फिर भी यदि आपको लगता हैं कि आपके घर की हवा प्रदूषित हो चुकी हैं, तो एयर प्यूरीफायर का प्रयोग करें।
बाहरी वायु प्रदूषण के जोखिम को कम करने के लिए अपडेटेड रहना जरूरी है। उच्च वायु प्रदूषण, जैसे स्मॉग या धुंध की अवधि के दौरान बाहरी गतिविधियों से बचें। साथ ही स्थानीय वायु गुणवत्ता स्तरों के बारे में जागरूक रहें और खराब वायु गुणवत्ता वाले दिनों में सावधानी बरतें। अपने क्षेत्र में वास्तविक समय में वायु गुणवत्ता की जांच करने के लिए वायु गुणवत्ता ऐप्स या वेबसाइटों का उपयोग करें।
एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और खनिजों से भरपूर संतुलित आहार फेफड़ों के स्वास्थ्य में मदद करता है और प्रदूषण से संबंधित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कम करता है। साथ ही भरपूर पानी पीने से आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है और आपके रेस्पिरेटरी सिस्टम पर प्रदूषण के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
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