आपकी फिटनेस को नुकसान पहुंचा सकती है कम बोन डेंसिटी, यहां जानिए कैसे
हमने विज्ञापनों में, डाॅक्टरों से यह बहुत बार सुना है कि 30 की उम्र के बाद बोन डेंसिटी कम होने लगती है। पर हमारी जानकारी बस यही तक सीमित है। जबकि बोन डेंसिटी क्या है, यह क्यों कम होने लगती है और क्या इसे कम होने से बचाया जा सकता है? ऐसे कुछ प्रश्न है, जिनके बारे में जानना आपके लिए जरूरी है। आखिर हेल्दी बोन्स ही आपकी फिटनेस और जीवन यात्रा को बेहतर बना सकती हैं।
अगर आपको भी लगता है कि आपकी हड्डियां पहले से काफी कमजोर हो गई है,तो इसके लिए बोन डेंसिटी का कम होना जिम्मेदार हो सकता है। कई बार ऐसा होता है कि वक्त से पहले ही हड्डियां कमजोर महसूस होने लगती हैं। हल्की सी चोट लगने पर उनमें समस्या होने लगती है। यह संकेत हैं कि आपको अपनी बोन हेल्थ पर ध्यान देने की जरूरत है। तो आइए जानते हैं बोन हेल्थ और बोन डेंसिटी के बारे में कुछ जरूरी तथ्यात्मक जानकारियां।
पहले समझिए क्या है बोन डेंसिटी
मानव शरीर में मौजूद हर हड्डी में कुछ टिश्यू (Tissue) होते हैं। उन्हीं टिश्यू में हड्डियों के खनिज (Bone Minerals) पाए जाते हैं। खनिज की मात्रा को बोन डेंसिटी (Bone Density) कहा जाता है। शरीर की हड्डियां जितनी मजबूत होंगी हमारी बॉडी भी उतना ही मजबूत रहेगी। जब हड्डियां मजबूत होती हैं, तो शरीर की बनावट और कार्य क्षमता भी बेहतर रहती है। असल में हड्डियां ही आपके संपूर्ण शरीर को समर्थन देती हैं। हालांकि उम्र बढ़ने के साथ बोन डेंसिटी कम होना स्वभाविक है। पर कुछ चीजों पर ध्यान देकर हम इन्हें लंबे समय तक हेल्दी रख सकते हैं।
चलिए जानते हैं क्यों कम हो जाती है बोन डेंसिटी
हमारी हड्डियां कैल्शियम, फास्फोरस ,प्रोटीन समेत कई अन्य प्रकार के मिनरल्स से बनती हैं। जब हमारा खान-पान और जीवनशैली खराब होने लगती है, शारीरिक सक्रियता कम होने लगती है, तब हड्डियां इन मिनरल्स को खोने लगती हैं और वे कमजोर हो जाती हैं।
अगर बोन डेंसिटी कम हो जाती है, तो ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। जिसमें मामूली सी चोट लगने पर भी फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
दरअसल हमारी हड्डियां लगातार रिन्यूअल की स्थिति में होती हैं। यानी नई हड्डियां बनती हैं और पुरानी हड्डियां टूट जाती हैं। जब हम जवान होते हैं, तो हमारा शरीर पुरानी हड्डियों को तोड़ने की तुलना में तेजी से नई हड्डी बनाता है और आप की हड्डी का मांस बढ़ता है।
जब हम 20 की उम्र में पहुंचते हैं तो प्रक्रिया पहले के मुकाबले धीमी पड़ जाती है। 30 साल की उम्र तक अपने चरम स्थिति के बोन मास तक पहुंच जाती है। आपकी बोन डेंसिटी का कम होना इस बात पर निर्भर करता है कि आपने अपनी युवावस्था में कितना बोन मास प्राप्त किया।
दी इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित किए गए एक लेख के अनुसार ऑस्टियोपोरोसिस (ओपी) दुनिया भर में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है। अध्ययनों से पता चला है कि एशियाई महिलाओं में उनके कोकेशियान समकक्षों की तुलना में ऑस्टियोपोरोसिस का जोखिम ज्यादा है। हालांकि भारत की सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन 50 वर्ष से अधिक उम्र की चार महिलाओं में से एक को ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित माना जाता है।
क्या हैं लो बोन डेंसिटी के लक्षण
बोन डेंसिटी कम होने के शुरुआती दौर में किसी भी प्रकार के लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं। लेकिन एक बार जब आपकी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, तो आपको नीचे दिए गए लक्षण महसूस हो सकते हैं।
- पीठ दर्द
- कमर दर्द
- समय के साथ ऊंचाई का कम होना
- झुकी हुई मुद्रा
- एक हड्डी जो अपेक्षा से अधिक आसानी से टूट जाती है।
कैसे होती है बोन डेंसिटी की जांच?
इसकी जांच एक्स-रे का उपयोग से की जाती है। एक्स-रे से ये मापा जाता है कि हड्डी के एक खंड में कितने ग्राम कैल्शियम और अन्य अस्थि खनिज मौजूद हैं। जिन हड्डियों का सबसे अधिक परीक्षण किया जाता है, वे रीढ़, कूल्हे और कभी-कभी कोहनी शामिल है।
बोन डेंसिटी टेस्ट बोन स्कैन से अलग होते हैं। हड्डी के स्कैन के लिए पहले से एक इंजेक्शन की आवश्यकता होती है और आमतौर पर इसका उपयोग हड्डी में फ्रैक्चर, कैंसर, संक्रमण और अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।
हालांकि वृद्ध महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस अधिक आम है, पुरुष भी इस स्थिति के शिकार हो सकते हैं। आपके जेंडर या उम्र के बावजूद, आपका डॉक्टर अस्थि घनत्व परीक्षण (Bone density test) की सिफारिश कर सकता है। यदि आपकी हाइट कम हो रही हो, हड्डी टूट गई हो, लंबे समय तक कुछ स्टेरॉयड दवाओं का सेवन किया हो आदि।
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