इन 5 स्वास्थ्य जोखिमों का कारण बन सकती हैं डायबिटीज, भूलकर भी न करें इग्नोर

डायबिटीज की समस्या केवल हाई ब्लड शुगर लेवल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह तमाम अन्य तरीकों से आपके शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है।
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ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें। चित्र शटरस्टॉक।
अंजलि कुमारी Updated: 29 Oct 2023, 20:34 pm IST
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दिन प्रतिदिन डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं डायबिटीज एक कैसी समस्या है, जिसे पूरी तरह से रिवर्स नहीं किया जा सकता। आप उचित देखभाल, परहेज और दवाइयों के साथ एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, डायबिटीज की समस्या केवल हाई ब्लड शुगर लेवल तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह तमाम अन्य तरीकों से आपके शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकती है। वहीं विभिन्न प्रकार की बीमारियों के खतरे को भी बढ़ा देती है।

यदि आप बिना सोचे समझे रिफाइन शुगर तथा अन्य प्रकार से मीठे व्यंजनों को डाइट में शामिल कर रही है तो आज से सचेत हो जाएं। वहीं यदि आप डायबिटीज की पेशेंट हैं, तो शरीर को पूर्ण देखभाल देना शुरू करें, अन्यथा डायबिटीज आपके लिए जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है (long-term effects of diabetes)।

जानें किन स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ा देती है डायबिटीज (long-term effects of diabetes)

1. डायबिटीज से बढ़ जाता है हृदय रोग का खतरा

खून में ग्लूकोज का बढ़ता स्तर हृदय फंक्शन को कंट्रोल करने वाले ब्लड वेसल्स और नर्वस को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं समय के साथ यह नर्वस को अधिक प्रभावित करते हैं, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीजों में बेहद कम उम्र में ही हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। वहीं डायबिटीज के मरीज में सामान्य व्यक्ति की तुलना में हार्ट स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है।

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ह्रदय स्वाथ्य का ध्यान रखना है बेहद महत्वपूर्ण। चित्र : एडॉबीस्टॉक

2. किडनी फेलियर का कारण बन सकती है डायबिटीज

प्रत्येक किडनी तमाम छोटे फिल्टर से बनी होती है, जिसे हम नेफ्रॉन कहते हैं। यदि आपको डायबिटीज है और आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहता है, तो समय के साथ ब्लड वेसल्स का नुकसान होना शुरू होता है, जिससे की किडनी के साथ ही नेफ्रोंस भी काम करना बंद कर देते हैं। वहीं डायबिटीज के मरीजों में हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी अधिक होता है, जो किडनी डैमेज का एक सामान्य कारण है।

किडनी की बीमारी में शुरुआती स्टेज में किसी प्रकार के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, इसलिए हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज के मरीजों को एक उचित समय काल पर अपने किडनी की जांच करवाते रहनी चाहिए।

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3. डायबीटिक रेटिनोपैथी

यह आंख संबंधी एक सामान्य समस्या है, जिससे वर्किंग एज एडल्ट में भी ब्लाइंडनेस की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। डायबीटिक रेटिनोपैथी की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब हाई ब्लड शुगर लेवल रेटिना के ब्लड वेसल्स को डैमेज कर देते हैं। डैमेज्ड ब्लड वेसल्स में सूजन आ जाती है और यह लीक होना शुरू हो जाते हैं, जिसकी वजह से ब्लड फ्लो बेहद कम हो जाता है। वहीं शुरुआत में धुंधली तस्वीर नजर आती है, उसके बाद धीरे-धीरे यह पूर्ण ब्लाइंडनेस में भी बदल सकता है।

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धीरे-धीरे यह पूर्ण ब्लाइंडनेस में भी बदल सकता है। चित्र : एडॉबीस्टॉक

4. मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है नकारात्मक असर

ब्लड शुगर लेवल के बढ़ने से आपके मूड में फ्रिक्वेंट बदलाव आते हैं। वहीं तमाम अन्य प्रकार की मानसिक स्थिति जैसे की थकान, बेचैनी होना, किसी बात को सोचने में समस्या आना, अधिक चिंतित रहना, यह सभी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटीज के मरीजों में डिप्रेशन और एंजायटी का खतरा अधिक होता है।

5. ओरल हेल्थ पर भी पड़ता है नकारात्मक असर

डायबिटीज से पीड़ित ज्यादातर मरीजों में दांत संबंधी समस्या बिल्कुल सामान्य है। सामान्य लोगों की तुलना में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डेंटल संबंधी समस्याएं होने का खतरा तीन गुना तक अधिक होता है। इसके अलावा इस दौरान मसूड़े भी प्रभावित हो सकते हैं। यदि आपको डायबिटीज है तो नियमित रूप से डेंटिस्ट से चेकअप करवाती रहें। इससे कोई भी समस्या अधिक गंभीर रूप से आपको प्रभावित नहीं करेगी।

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इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट अंजलि फूड, ब्यूटी, हेल्थ और वेलनेस पर लगातार लिख रहीं हैं। ...और पढ़ें

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