दिल्ली के कुछ अस्पतालों में पिछले साल से रिकेट्स के मामलों में वृद्धि दर्ज की जा रही है। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर (ISIC) के अनुसार पिछले साल रिकेट्स के मामलें में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अधिकांश रोगी 2-12 वर्ष की आयु के हैं। कोविड – 19 महामारी के बीच, एक नई बीमारी के ये आंकड़े हैरान कर देने वाले हैं! इसलिए ज़रूरी है कि हम इसके पीछे के कारण को समझें और सही कदम उठाएं।
रिकेट्स बच्चों में विटामिन डी, कैल्शियम या फॉस्फोरस की कमी के कारण होने वाला एक विकार है, जिसके परिणामस्वरूप हड्डियों में दर्द, कमजोरी और विभिन्न विकृतियां होती हैं। विटामिन डी या कैल्शियम की कमी रिकेट्स का सबसे आम कारण है। विटामिन डी की कमी से कैल्शियम और फास्फोरस का अवशोषण कम हो जाता है। साथ ही, हड्डियों में कैल्शियम और फास्फोरस के उचित स्तर को बनाए रखने में कठिनाई से रिकेट्स हो सकता है।
कोई भी बच्चा जिसे अपने आहार से या सूरज की रोशनी से पर्याप्त विटामिन डी या कैल्शियम नहीं मिलता है, उसे रिकेट्स हो सकता है। लेकिन सांवली त्वचा वाले बच्चों में यह स्थिति अधिक आम है, क्योंकि इसका मतलब है कि उन्हें पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करने के लिए अधिक धूप की आवश्यकता होती है। ये बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है, मगर इसकी संभावना बेहद कम है।
सूखा रोग आमतौर पर दुर्लभ है और कुपोषण के कारण होता है। इसलिए, कोविड-19 से पहले, अस्पताल में आने वाले रोगी ज़्यादातर गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से हुआ करते थे। मगर, पिछले एक साल से, संपन्न परिवारों के सुपोषित बच्चे भी रिकेट्स का शिकार हो रहे हैं, जो कि बेहद चिंताजनक बात है।
डॉक्टरों का कहना है कि इन बच्चों में विटामिन डी की कमी लंबे समय तक घर में रहने के कारण हुई है। साथ ही, कुपोषण, सूर्य के संपर्क और कैल्शियम की कमी भी इसका कारण हो सकती है। लॉकडाउन के दौरान गतिहीन जीवनशैली भी इसका एक अहम कारण है।
1. बच्चों को संतुलित और पौष्टिक आहार खिलाएं, खासकर विटामिन D युक्त या जिसमें कैल्शियम हो जैसे – मछली, अंडे, दूध-दही, रागी, अनाज आदि
2. उन्हें बाहर खेलने के लिए भेजें, यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है
3. अगर आपका बच्चा छोटा है तो, उसके शरीर की मालिश करें और धूप का सेवन कराएं
अंत में, बच्चों के पैरों या रीढ़ की हड्डी में दर्द, कमजोरी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सीय सलाह लें!
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