दूसरों पर पूरी तरह निर्भरता एक शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को विकलांग बना देती है। इसलिए ज़रूरी है कि आत्मविश्वास अर्जित करना बचपन से ही सिखाया जाए, जिससे बच्चे आगे चलकर अपने काम स्वयं कर सकें। ऐसे में माता-पिता की भूमिका बेहद अहम हो जाती है, क्योंकि एक वही हैं जो अपने बच्चों को सही दिशा प्रदान कर सकते हैं। ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स (Global Day of Parents) के अवसर पर आपको जानने चाहिए वे टिप्स जो आपके बच्चे में आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने माता-पिता की इसी भूमिका को समझते हुए 2012 में 1 जून को “ग्लोबल डे ऑफ पेरेंट्स ” (Global Day of Parents) की शुरुआत की थी। यह दिवस दर्शाता है कि बच्चों के पालन-पोषण और सुरक्षा की प्राथमिक जिम्मेदारी माता-पिता की होती है। इसलिए, इस वर्ष इसकी थीम “Appreciate all parents throughout the world” यानी दुनिया भर में सभी माता-पिता की सराहना” रखी गयी है।
एक आत्मविश्वासी व्यक्ति को अपने परिश्रम पर भरोसा होता है और वह बेहिचक अपने विचारों को प्रकट करता है। यहां तक कि वो अपने फैसले भी स्वयं लेना पसंद करता है। यह पूरी तरह से माता-पिता पर निर्भर है कि वह शुरुआत से ही बच्चे को इसके लिए तैयार करें।
हर माता-पिता अपने बच्चे को दुनिया की सारी बुराइयों से बचाना चाहते हैं। फिर चाहें वह किसी छोटी चोट लगने से बचाना हो या गलतियां करने से रोकना। अपने बच्चे को हर बात में बचा लेना और उसके लिए चीजों को सरल बनाने की कोशिश स्वाभाविक है, परन्तु यह आदत न चाहते हुए भी आपके बच्चे को अपने पैरों पर खड़े होने नहीं देगा।
ऐसा करने से बच्चे हर चीज़ के लिए आप पर निर्भर होने लगेंगे और मज़बूत नहीं बन पाएंगे। बच्चों को यह जानने की जरूरत है कि असफल होना ठीक है और उदास, चिंतित या क्रोधित महसूस करना बिल्कुल सामान्य है।
माना कि माता-पिता अपनी तरफ से बेहतर चुनाव करते हैं फिर चाहें वे सही खिलौने हों या कपड़े। परन्तु बच्चों की हर छोटी-बड़ी चीज के लिए फैसले लेने से आप उन्हें खुद के निर्णय लेना नहीं सिखा पाएंगे। इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चों को उनके फैसले खुद लेने दें। वो अपने लिए छोटे-छोटे निर्णय ले सकते हैं- जैसे किस खिलौने से खेलना है या कौन सी स्टोरी बुक पढ़नी है आदि।
शुरुआत से ही अपने बच्चों को घर के छोटे-छोटे कामों का हिस्सा बनाएं। ऐसा करने से उन्हें बचपन से ही अपनी ज़िम्मेदारी समझने और उसे निभाने का अहसास होगा। आप अपने बच्चों से घर के छोटे काम करवा सकती हैं – जैसे किसी को पानी पिलाना, घर की सफाई करना, खाना परोसना आदि। मगर ध्यान रहे उनसे कोई बड़े काम न करवाएं क्योंकि बचपन का आनंद लेना भी महत्वपूर्ण है।
गलती करना कुछ नया सीखने का हिस्सा है, इसलिए उन्हें गलतियां करने से पहले ही न रोक दें, न ही उनकी गलतियों पर नाराज हों। यदि आपका बच्चा कोई गलती करता है तो उसपर गुस्सा न करें बल्कि उस गलती से सीख लेने की सलाह दें। अगर किसी छोटे कॉम्पीटिशन में उसकी हार हुई है, तो उसे अधिक आशावादी बनने में मदद करें। हार और गलतियों को मन में बैठा लेने से आत्मविश्वास में कमी आती है। इसलिए उन्हें हमेशा प्रोत्साहित करें।
आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए खुद पर भरोसा करना बेहद ज़रूरी है और इसकी आदत बचपन से ही डाली जानी चाहिए। जीवन में कई छोटी-बड़ी पराजय होती रहती हैं। इसे दिल पर लगा लेने और सारी गलती की सजा खुद को देने से आत्मविश्वास कम होने लगता है।
इसलिए, अगर आपके बच्चे के स्कूल में मार्क्स कम आए हैं या वह किसी विषय में फेल हो गया है तो उसे आगे बढ़ने की सलाह दें और उससे कहें की हमें तुम पर पूरा भरोसा है। वाकई में यह शब्द किसी को भी प्रोत्साहित कर सकते हैं!
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