ब्रेस्टफीडिंग के बाद भी बच्चे की ग्रोथ है धीमी, तो फॉलो करें एक्सपर्ट के बताये ये खास टिप्स
मां बनते ही महिलाओं की जिम्मेदारियां और चिंताएं दुगनी हो जाती है। वहीं माताओं के लिए बच्चे का वजन भी एक बड़ी चिंता का विषय होता है। ब्रेस्टफीड कर रहे बच्चों का बढ़ता वजन उनके सेहतमंद होने की निशानी है। हालांकि, नियमित रूप से स्तनपान करवाने के बाद भी कई बच्चों का वजन धीमी गति से बढ़ता है। कई बार माताएं अपने बच्चों के अंडरवेट होने से काफी ज्यादा चिंतित हो जाती हैं और उनके मन में कई तरह के सवाल उठने लगते हैं। वहीं वे सोच में पड़ जाती हैं, कि उनके बच्चे का वजन क्यों नहीं बढ़ रहा! यदि आपके मन मे भी ऐसे ही सवाल आते हैं, तो परेशान न हों। यहां जानें जन्मे बच्चे के वजन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
नई नई मां बनी महिलाओं को अक्सर अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं। चाहे वह आपके बच्चे के स्वास्थ्य की रेगुलर चेकअप करवानी हो या देखना हो कि आपके नवजात शिशु का वजन बढ़ रहा है या नहीं।
हेल्थशॉट्स ने मदरहुड हॉस्पिटल्स, बनशंकरी, बेंगलुरु के कंसल्टेंट बाल रोग विशेषज्ञ और नियोनेटोलॉजिस्ट, डॉ. संतोष कुमार से इस विषय पर बातचीत की। उन्होंने इससे जुड़े कई महत्वपूर्ण फैक्ट बताए हैं। उन्होंने बताया कि स्तनपान करने वाले बच्चों का वजन धीरे-धीरे क्यों बढ़ता है।
यहां जानें शिशुओं में धीमी गति से वजन बढ़ने का कारण
डॉ कुमार कहते हैं की पूरी तरह स्वस्थ नवजात शिशु में व्यक्तिगत ग्रोथ पैटर्न के कारण धीमी गति से वजन बढ़ने की समस्या देखने को मिलती है।
1. नियमित भोजन की कमी
सभी नई माताओं को 1 महीने से छोटे बच्चों को दिन में कम से कम 2 से 3 बार दूध पिलाने की सलाह दी जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि माताएं नियमित और पौष्टिक भोजन लें। उनका आहार भी बच्चे की ग्रोथ और सेहत को प्रभावित करता है।
2. आपका शिशु स्तनपान के दौरान ठीक से लैच नहीं कर रहा है
स्तनपान के दौरान, यदि आपका बच्चा सही तरीके से लैच नहीं कर रहा है, तो इसका मतलब है कि बच्चों को सही मात्रा में पोषण नहीं मिल रहा। क्योंकि लैच के बिना, आपका शिशु ठीक से फीड नहीं हो पाता है।
3. स्तनपान के दौरान असुविधा महसूस होना
यदि आपके बच्चे को स्तनपान के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का अनुभव हो रहा है, तो हो सकता है कि आपका बच्चा ब्रेस्टफीड करना नहीं चाह रहा हो।
4. दूध आने में देरी होना
स्तनपान के दौरान आपका आहार यह सुनिश्चित करता है कि आप और आपका बच्चा स्वस्थ हैं। स्तनपान के दूध उत्पादन की शुरुआत में देरी होने का एक कारण आपकी डाइट भी हो सकती है। ब्रेस्टफीडिंग मदर को अपनी डाइट का उचित खयाल रखना चाहिए ताकि बच्चे की जरूरत पूरी हो सके।
5. शार्ट ब्रेस्टफीडिंग सेशन
शार्ट ब्रेस्टफीडिंग सेशन बच्चों में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी का कारण बन सकता है। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि एक स्तनपान सत्र कम से कम 15 से 20 मिनट का हो।
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अब जाने कितना होना चाहिए शिशु का वजन
सभी मां यह जरूर जानना चाहती हैं कि उनका बच्चा सामान्य रूप से बढ़ रहा है या नहीं। इसका एक सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने बच्चे के वजन में हो रही वृद्धि की तुलना उसकी उम्र के नवजात शिशुओं के औसत वजन बढ़ने से करें। लेकिन विशेषज्ञ का मानना है कि इसे समझना थोड़ा मुश्किल है। सामान्य रूप से बच्चों का ग्रोथ उनके जेंडर, स्तनपान, विभिन्न जातीय समूह, ग्रोथ का समय, और बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा सामान्य रूप से बढ़ रहे बच्चों के ग्रोथ को लेकर प्रकाशित एक चार्ट में बताया गया कि आमतौर पर पहले तीन महीनों में हर रोज बच्चों में 30 से 40 ग्राम तक वजन के बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है। यह तीन से छह महीने के बाद प्रति दिन 20 ग्राम की औसत वृद्धि दर को धीमा कर देता है।
क्या होता है जब आपका बच्चा धीमी गति से बढ़ता है
यदि बाकी सब कुछ ठीक है परंतु आपके बच्चे का वजन अभी भी सही दर से नहीं बढ़ रहा, तो डॉक्टर आपको फॉर्मूला दूध पिलाने की सलाह दे सकते हैं। यदि आपका नवजात शिशु पर्याप्त मात्रा में ब्रेस्ट मिल्क का सेवन करने में असमर्थ है, तो उसके भोजन में कैलोरी की संख्या अन्य तरीकों से बढ़ाई जा सकती है। वहीं यदि आपके बच्चे को धीमे ग्रोथ के कारण अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याएं हो रही है, तो आपको फौरन डॉक्टर से मिलकर इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए। क्योंकि ऐसे मामलों में देरी सही नहीं है।
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इन टिप्स से शिशु के हेल्दी ग्रोथ में मिलेगी मदद
1. अच्छी लैचिंग सुनिश्चित करें
लैच करना सभी शिशुओं को नहीं आता है। उन्हें स्तनपान के दौरान किसी प्रकार की परेशानी न हो यह सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको शांत वातावरण में ब्रेस्टफीड करवाना चाहिए। यदि लैच आपके लिए दर्दनाक है, तो सावधान हो जाएं अन्यथा यह स्तनपान प्रक्रिया के लिए अच्छा नहीं है।
2. तनाव से दूर रहें
यदि आपके शिशु का वजन सामान्य दर से नहीं बढ़ रहा है तो ऐसे में चिंतित होने की जगह समझदारी से काम लें। क्योंकि कई बाढ़ तनाव के कारण भी मिल्क सप्लाई कम हो जाता है। वहीं एक्सपर्ट की माने तो यदि बच्चा दूध नहीं पी रहा या मिल्क प्रोडक्शन कम है तो 1 से 2 दिन के लिए अपनी सभी चिंताओं को त्याग कर अपने माइंड को फ्रेश रखने की कोशिश करें। यह मिल्क सप्लाई को बढ़ाने में मदद करेगा।
3. बच्चे की त्वचा से अपनी त्वचा का संपर्क बढ़ाएं
जब आपका शिशु स्तनपान नहीं कर रहा होता है, तो शिशु को अपनी छाती से लगये रखें। इसे त्वचा से त्वचा का संपर्क कहा जाता है। यह आपके बच्चे के फीडिंग संकेतों को समझने में आपकी मदद करता है। विशेषज्ञ की माने तो नवजात शिशुओं को हर तीन घंटे में 40 से 60 मिलि मां के दूध या फार्मूला का सेवन करवाना जरूरी है।
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