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पसीने के बारे में ये इमोशनल बात शायद आप भी नहीं जानती होंगी! 

आपके सुख और दुख में सिर्फ आंसू ही नहीं आते, पसीना भी हथेलियां भिगोने लगता है। यहां हैं पसीने के बारे में कुछ ऐसे ही जरूरी तथ्य। 
Updated On: 7 Jun 2022, 11:56 pm IST
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Reason for excessive sweating
यहां जानिए जरूरत से ज्यादा पसीना आने की वजह। चित्र : शटरस्टॉक

कभी आपको अपनी जिंदगी का सबसे ज्यादा टेंशन वाला पल याद है? क्या आपने गौर किया कि तब आपके चेहरे पर पसीने की बूंदें थी या हथेलियां पसीने से भीगने लगी थीं? असल में ये एंग्जाइटी स्वेटिंग (Anxiety Sweating) है। यानी जब आप भावनात्मक रूप से तनाव में होती हैं, तब आपका शरीर इसे पसीने के रूप में दर्शाता है। आइए जानते हैं क्या है आपकी भावनाओं और पसीने का कनैक्शन। 

कब-कब आता है पसीना? 

आमतौर जब मौसम गर्म होता है या आप बहुत ज्यादा मेहनत करती हैं, तो आपके शरीर का टेम्प्रेचर बढ़ जाता है। इसे सामान्य करने के लिए या बॉडी को ठंडा करने के लिए हमारे पोर्स से स्वेटिंग होने लगती है। ये बॉडी का नेचुरल रिएक्शन होता है। 

पर कुछ लोगों में भावुक होने पर यानी खुशी मिलने या किसी प्रकार का डर पैदा होने पर यहां तक कि स्ट्रेस (Stress) होने पर भी उनके शरीर के कुछ भागों से लगातार स्वेटिंग होने लगती है। एंग्जाइटी स्वेटिंग (Anxiety Sweating) पर विस्तार से जानने के लिए हमने बात की जनरल फिजिशियन डॉ. अमित सिन्हा से।

क्यों होती है एंग्जाइटी स्वेटिंग?

हमारा सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम (sympathetic nervous system) जिम्मेदार है एंग्जाइटी स्वेटिंग के लिए। दरअसल, सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम का ही भाग है। यह हमारे शरीर के कई अंगों और प्रक्रियाओं को संचालित करता है।

जब आपके मस्तिष्क को लगता है कि सामने किसी तरह का खतरा है, तो सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम बॉडी को खतरे से लड़ने का संकेत भेजने लगता है। यह खतरा वास्तविक हो सकता है या खुद माइंड द्वारा इमेजिन किया हुआ भी। व्यक्ति को जब अप्रत्याशित खुशी मिलती है। 

परीक्षा में आशा से अधिक नंबर आना, साधारण होते हुए भी सुंदरता की तारीफ, तो उस समय भी वह स्ट्रेस में आ जाता है। यह स्ट्रेस मस्तिष्क को खतरे का संकेत देता है। इस स्ट्रेस से लड़ने के लिए बॉडी को अधिक एनर्जी की जरूरत पड़ती है। इससे बॉडी टेम्प्रेचर (Body Temprature) बढ़ जाता है। बढ़े हुए टेम्प्रेचर को घटाने के लिए स्वेटिंग ग्लैंड (Sweat gland) एक्टिव हो जाता है और शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने लगता है। इसे हाइपर हाइड्रोसिस (Hyperhidrosis) कहते हैं। यदि आपका स्वेट ग्लैंड लगातार काम करता रहता है, तो एंग्जाइटी डिसऑर्डर भी हो सकता है। इसमें व्यक्ति आने वाले दिन, परिस्थिति और घटनाओं को लेकर हमेशा चिंतित रहने लगता है।

शरीर के किस अंग में आता है ज्यादा पसीना

एंग्जाइटी स्वेटिंग की समस्या से ग्रस्त लोगों के शरीर के कई अंग हैं, जहां पसीना बहुत अधिक आता है। इससे न सिर्फ उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है, बल्कि कॉन्फिडेंस लेवल भी घटता है। किसी भी समारोह या पब्लिक प्लेस में जाने में उन्हें झिझक होने लगती है।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

हथेलियों (palms)

तलवों (soles of feet)

बगलों (armpits)

चेहरे (face)

जांघों (Thighs)

एंग्जाइटी स्वेटिंग के कारण व्यक्ति को अधिक पसीना आने से सिर दर्द, कांपना, हाथों में शून्यता महसूस करना, सांस लेने में दिक्कत होना, जी मिचलाना आदि जैसी समस्या भी होती है।

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एंग्जाइटी स्वेटिंग से बचने के लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें। चित्र : शटरस्टॉक

पसीना रोकने के उपाय

डॉ. अमित सिन्हा बताते हैं, “इमोशंस से जुड़े स्वेटिंग को रोकने के जितने भी उपाय हैं, वे बहुत अधिक कारगर नहीं हैं। इससे कुछ हद तक ही पसीने को रोका जा सकता है।’

1 एंटीपर्सपिरेंट का इस्तेमाल : 

एक ऐसे एंटीपर्सपिरेंट का इस्तेमाल करें, जिसमें एलूमीनियम क्लोराइड का कंसन्ट्रेशन ज्यादा हो। इसे अपने अंडरआर्म, हथेलियों या तलवों पर अप्लाई कर सकती हैं। इसे अप्लाई करने के पहले डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें।

2 आयनटोफोरेसिस (Iontophoresis) की प्रक्रिया : 

इस प्रक्रिया में हाथों, पैरों और अंडरआर्म्स को पानी के अंदर रखकर इलेक्ट्रिसिटी के वीक करेंट दिए जाते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्वेट ग्लैंड को ब्लॉक कर देता है। इसका प्रभाव कुछ दिनों के लिए ही रहता है। आपको दोबारा इस ट्रीटमेंट को लेना होगा।

3 बोटोक्स इंजेक्शन : 

बोटुलिनम यानी बोटॉक्स का इंजेक्शन भी लगाया जा सकता है। बोटॉक्स न्यूरोट्रांसमीटर एसिटाइलकोलाइन रिलीज को रोक देता है, जो स्वेट प्रोडक्शन को ट्रिगर करता है। इस प्रक्रिया में कई बार इंजेक्शन दिए जाते हैं। बोटॉक्स का प्रभाव भी 1-2 साल तक ही रहता है।

4 रिलैक्स करें : 

यदि आपको लगता है कि किसी प्रकार की चिंता या डर आपको परेशान करने वाला है, तो तुरंत इन विचारों को झटक दें। स्वयं को शांत करें और रिलैक्स महसूस कराएं। ऐसे योग का सहारा लें, जो आपको तनावमुक्त करे। इसमें सबसे अधिक कारगर गहरी सांस लेने और छोड़ने वाला योग कारगर होता है।

यहां पढ़ें :-आपके निजी अंगों के लिए परेशानी बन रहा है पसीना? ये 3 तरीकें करेंगे स्किन फ्रिक्शन से बचाव

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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