सेहत के प्रति सजग और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखने वाले लोगों के लिए शहद एक बेहद महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ है। मीठे के सब्स्टीट्यूट के तौर पर प्रयोग किया जाने वाला शहद पिछले कई दशकों से चीनी का एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प है।
हमेशा से ही आयुर्वेद ने शहद को प्रयोग करने पर जोर दिया है क्योंकि आयुर्वेद में शहद को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है और इसे विभिन्न रोगों के इलाज के लिए भी प्रयोग किया जाता है। दरअसल, शहद को आयुर्वेद में ‘योगवाहि’ और ‘योग्य’ माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सबसे उत्तम हैं। इसीलिए इसके नियमित सेवन से शरीर को स्वस्थ बनाएं रखने में मदद मिलती है।
नेशनल सेंटर और बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, शहद एक प्राकृतिक औषधि है, जो एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidants), एंटी इंफ्लामेंटरी (Anti-inflammatory) और एंटी माइक्रोबियल (Anti-microbial) तत्वों से युक्त है। इसके साथ ही रिपोर्ट में बताया गया कि शहद में एमिनो एसिड, कैल्शियम, मिनरल्स,विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन ए, और पोटेशियम जैसे कई खनिज मौजूद होते है, जो समग्र स्वस्थ्य विकास के लिए फायदेमंद है।
शहद के इन्हीं स्वास्थ्य लाभ के कारण आजकल कई फिटनेस फ्रीक्स इसे नियमित तौर पर उपयोग करते हैं। शहद को साधारण तरह से खाने के साथ-साथ लोग हनी बेक्ड केक्स, कुकीज़ और अन्य तरह से शहद को पकाकर खाते है।
यदि, आप भी ऐसा करतीं हैं और आपको लगता है कि ऐसा करने से आपको विभिन्न स्वास्थ्य लाभ मिलेंगे तो आप गलत है, क्योंकि शहद को गर्म कर से खाने से इसमें मौजूद तमाम पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं और इसे ऐसे खाने के बाद आपको तमाम तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी हो सकती है।
नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन की एक रिपोर्ट बताती है कि, यदि शहद को 60 से 140 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाएं तो शहद में भूरापन आने लगता है और इससे हानिकारक प्रभाव पैदा होता है।
साथ ही रिपोर्ट में पाया गया कि 60º और 140°C गर्म शहद के नमूनों में हाइड्रोक्सीमिथाइल फरफुराल्डिहाइड (HMF) नामक कंपाउंड में वृद्धि देखी गई, जो कि स्वास्थ्य के लिए एक हानिकारक तत्व होता है ।
अधिक समय तक गर्म करते रहने के कारण शहद में उत्पन्न होने वाले इस हानिकारक HMF के प्रभाव बताते हुए प्रण हेल्थकेयर की संस्थापक और आयुर्वेदिक एंड गट कोच डॉ डिंपल बतातीं हैं कि, एक शोध करते समय जब मधुमक्खी के छत्ते पर HMF युक्त शहद डाला गया, तो उसमें मौजूद सभी मधुमखियों की तुरंत मृत्यु हो गई।
वहीं, अन्य एक्सपेरिमेंट का हवाला देते हुए डॉ. डिंपल बतातीं हैं कि, एक शोध में कुछ चूहों को 5 से 11 दिन तक लगातार HMF दिया गया, जिसके बाद 11 दिन के बाद कई तरह के हानिकारक प्रभावों के कारण उन चूहों की मृत्यु हो गई। इसलिए शहद को बिना गर्म किए, रॉ फॉर्म में ही एक औषधि के रूप में प्रयोग किया जाना चाहिए।
घी और शहद को एक साथ मिलाकर खाने पर डॉ.डिंपल बताती हैं कि ,घी और शहद को बराबर अनुपात में मिलाने से भी यह एक टॉक्सिक एलिमेंट बना लेते है और आपके स्वास्थ्य के लिए परेशानी भी खड़ी कर सकते है ।
डॉ. डिंपल बतातीं हैं कि घी और शहद को मिलाने पर ‘क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम’ (Clostridium botulinum) नामक पदार्थ शरीर में तेजी से फैलता है, जिसके कारण सांस संबंधी समस्याएं, पेट दर्द और यहां तक कि कैंसर तक का कारण भी बन सकता है।
दरअसल, क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है, जो कम ऑक्सीजन की स्थिति में भी खतरनाक विषाक्त पदार्थों का उत्पादन कर सकता है ।
डॉ. डिंपल शहद को खाने के तरीके को लेकर बताती है कि आयुर्वेद के अनुसार, शहद एक औषधि है इसलिए इसे इसके असली रूप में ही खाना चाहिए। वहीं, यदि शहद को गर्म करना ही है, तो इसे 35-40°C (95-104°F) पर गर्म करना सबसे अच्छा है। शहद को हानिकारक प्रभावों से दूर रखने के लिए इसका तापमान 40°C (104°F) से अधिक नहीं जाना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार, व्यक्ति को कितना शहद खाना चाहिए इसपर डॉ. डिंपल बताती है कि आयुर्वेद के अनुसार, आमतौर पर 70 किलो वजन वाले व्यक्ति को अधिकतम एक दिन में 30 से 45 ग्राम ही शहद खाना चाहिए।
इसलिए यदि आप भी शहद को उसके स्वास्थ्य लाभों को प्राप्त करने के लिए खा रहे हैं तो शहद को उसके मूल रूप में खाना ही पौष्टिक होता है। वहीं, यदि आप शहद से बनी कोई चीज़ खा रहें हैं तो सुनिश्चित करें कि शहद 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म न हो।
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