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मां बनने वाली हैं, तो आपके लिए जरूरी है थायराइड के बारे में जानना  

थायरॉइड आपके गले में तितली के आकार की ग्रंथि होती है। पर प्रेगनेंसी के दौरान इससे निकलने वाले हॉर्मोन को कंट्रोल न किया जाए, तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।  
गर्भावस्था में थायरॉयड का बढ़ना या घटना मां और बच्चा, दोनों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है। चित्र:शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 23 Jun 2022, 18:30 pm IST
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किसी भी स्त्री के लिए एक नई जिंदगी को गर्भ में धारण करने से ज्यादा खुशी कोई नहीं हो सकती है। बच्चे के गर्भ में आने से लेकर उसके आकार और हरकतों का धीरे-धीरे बढ़ना एक अलग तरह का अनुभव देता है। पर क्या आप जानती हैं कि बेबी की सही ग्रोथ के लिए आपको गर्भावस्था के दौरान थायराइड कंट्रोल में रखना बहुत जरूरी है। इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए इसे अंत तक पढ़ें।  

प्रेगनेंसी से पहले और प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। खानपान, एक्सरसाइज से लेकर  अपने शरीर में हो रहे हार्मोनल बदलावों तक, सभी पर ध्यान देना जरूरी है। प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉयड पर कंट्रोल क्यों जरूरी है, इसके लिए हमने बात की गुरुग्राम के क्लाउड नाइन हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट गायनेकोलॉजी डॉ. रितु सेठी से।

पहले समझिए थायराॅइड और प्रेगनेंसी 

डॉ. रितु सेठी कहती हैं “वजन में बदलाव थायराॅयड हार्मोन के कारण होता है। गर्दन में छोटी तितली के आकार का एक ग्लैंड मौजूद होता है, जो थायराॅयड हार्मोन रिलीज करता है। ये हार्मोन शरीर की मेटाबॉलिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। इस हार्मोन के कम या ज्यादा रिलीज होने से शरीर का मेटाबॉलिज्म असंतुलित हो सकता है। इसकी वजह से वजन असामान्य रूप से बढ़ या घट सकता है। 

ज्यादातर बॉडी में असामान्य रूप से नमक की उपस्थिति और वाटर रिटेंशन/ लॉस के कारण वजन प्रभावित होता है। वजन में असामान्य रूप से बदलाव होना थायरॉयड ग्रंथि के खराब होने का संकेत भी हो सकता है। इसलिए इस अंडरलाइंग कंडीशन को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए। प्रेगनेंसी के दौरान ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (Human Chorionic Gonadotropin–HCG) हार्मोन बनता है। इसकी वजह से ही थायरॉयड हार्मोन का स्तर प्रभावित होता है। यदि यह थोड़ा-बहुत बढ़ता है, तो चिंता की बात नहीं है, लेकिन बहुत अधिक बढ़ जाने पर डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए। ‘ 

थायरॉयड के कारण हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म की समस्या होती है। हाइपोथायरायडिज्म यानी थायरॉयड ग्लैंड जरूरत से कम हार्मोन का निर्माण करती है। हाइपरथायरायडिज्म यानी थायरॉयड ग्लैंड जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण करती है।

बच्चे के लिए जरूरी थायरॉयड

प्रेगनेंसी के पहले तीन महीने में शिशु के ब्रेन और नर्वस सिस्टम के डेवलपमेंट के लिए थायरायड हार्मोन बहुत जरूरी होता है। बच्चे को यह हार्मोन प्लेसेंटा के जरिये मिलता है। इसलिए मां का थायरॉयड लेवल कंट्रोल होना भी जरूरी है। प्रेगनेंसी के 12वें हफ्ते के बाद से बच्चे की थायराइड ग्रंथि थायराइड हार्मोन बनाना शुरू कर देती है।

 प्रेगनेंसी के दौरान यदि थायरॉयड से होने वाली समस्याओं से बचना चाहती हैं, तो यहां हैं पांच उपाय

1 डॉक्टर की सलाह

समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेती रहें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार प्रतिदिन एक्सरसाइज करें। यदि थायरॉयड नहीं है, तो एक्सरसाइज करने से आप इससे बची रहेंगी। यदि है, तो थायरॉयड नियंत्रण में होगा। डॉक्टर के परामर्श पर योगा इंसट्रक्टर के निर्देशन में योग व मेडिटेशन भी कर सकती हैं।

2 थायरॉयड लेवल की जांच

समय-समय पर डॉक्टर से थायरॉयड लेवल की जांच कराती रहें। हर तीन महीने में टीएसएच लेवल की जांच जरूरी है। सामान्य महिलाओं में टीएसएच का स्तर 0.4-4 mIU/L होता है, जबकि प्रेगनेंट लेडी में 0.1-3 के बीच हो सकता है। पूरे नौ महीने में टीएसएच का लेवल घटता-बढ़ता रह सकता है।

3 हाइपरथायरायडिज्म में थायरॉयड मेंटेन करने के लिए क्या खाएं

 यदि आपको हाइपरथायरायडिज्म है, तो कम आयोडीन वाली डाइट लें। आयोडीन थायरायड हार्मोंस के निर्माण में मदद करता है। इसलिए आप अपनी डाइट में ओट्स, अंडे का व्हाइट पार्ट, ताजे फल-सब्जियाें, सोयाबीन आदि को शामिल कर सकती हैं। हाइपरथायरायडिज्म में शरीर में कैल्शियम व विटामिन-डी की मात्रा भी बढ़ानी पड़ती है।

4 हाइपोथायरायडिज्म में थायरॉयड मेंटेन करने के लिए क्या खाएं

यदि आपको हाइपोथायरॉयडिज्म है, तो अपने भोजन में सेलेनियम और टायरोसिन की मात्रा को बढ़ाएं। सेलेनियम के सेवन से शरीर में थायराइड हार्मोंस की मात्रा संतुलित होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। 

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सेलेनियम के लिए सूरजमुखी के बीज, नट्स जैसे कि काजू, बादाम, अखरोट तथा मूंगफली को भी अपने भोजन में शामिल करें। टायरोसिन थायराइड हार्मोंस का निर्माण करता है। उनकी मात्रा को संतुलित करता है। इसलिए टायरोसिन से भरपूर मांस, डेयरी प्रोडक्ट्स और पॉड्स को खाएं।  

5 वॉकिंग

प्रेगनेंसी के दौरान वॉकिंग कई समस्याओं को दूर रखता है। चित्र:शटरस्टॉकवजन को नियंत्रित रखने और मांसपेशियों को मजबूती देने के लिए सुबह और शाम आधा घंटा टहलें। खुली हवा में टहलने पर शुद्ध हवा मिलेगी और मूड भी बढ़िया होगा।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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