बदलते वातावरण और लाइफस्टाइल के कारण आईबीडी (Inflammatory bowel disease) की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कभी-कभी कुछ बदली हुई परिस्थितियों में भी यह समस्या हो सकती है, जैसे प्रेगनेंसी। गर्भावस्था में बहुत सारी महिलाएं इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के हल्के लक्षणों का सामना करती हैं। पर इन्हें समय रहते कंट्रोल करना जरूरी है। वरना यह प्रेगनेंसी में कई जटिलताएं बढ़ा सकती है। आइए जानें गर्भावस्था में क्या हो सकता है आईबीडी का दुष्प्रभाव (inflammatory bowel disease in pregnancy)।
यदि आप प्रेग्नेंट है और आपको आईबीडी की समस्या है, तो आपको और भी ज्यादा सतर्क हो जाना चाहिए। हाल ही में एक स्टडी सामने आई है। जिसके अनुसार आईबीडी (Inflammatory bowel disease) प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए काफी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।
लंबे समय से डाइजेस्टिव ट्रैक्ट में हुई सूजन के लिए आईबीडी टर्म का प्रयोग किया जाता है। यह समस्या शरीर में कई तरह की असामान्य स्थितियां पैदा कर देती है। जिससे अंत में यह गैस्ट्रोइन्टेस्टनल ट्रैक्ट को बुरी तरह प्रभावित कर देती है।
डायरिया
पेट दर्द
मलाशय से खून आना
वजन कम होना
थकान महसूस होना
अभी तक आईबीडी होने का कोई सटीक कारण सामने नहीं आया है। परंतु संभावना है कि यह कमजोर इम्यून सिस्टम या इम्यून सिस्टम का आपके वातावरण के तहत रिस्पांस नहीं कर पाना हो सकता है। जैसे कि गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल ट्रैक्ट में सूजन पैदा करने वाले वायरस और बैक्टीरिया को इम्यून सिस्टम पूरी तरह नहीं रोक पाते।
इस स्थिति में आपको आईबीडी होने की संभावना बनी रहती है। इसके साथ ही यह समस्या जेनेटिक भी हो सकती है। यदि आपकी फैमिली में किसी को भी आईबीडी है, तो यह आसानी से आपको भी प्रभावित कर सकता है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कोलोरेक्टल डिजीज में प्रकाशित एक स्टडी में बताया गया है कि सामान्य लोगों की तुलना में आईबीडी गर्भवती महिलाओं के लिए ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर सकती है। महिलाओं के रिप्रोडक्टिव इयर्स में आईबीडी से प्रभावित होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है।
प्रकाशित स्टडी में 2016 से लेकर 2018 के बीच 8 मिलियन गर्भवती महिलाओं को एग्जामिन किया गया। जिसमें 14,129 महिलाओं में आईबीडी की समस्या देखी गई।
आईबीडी से ग्रसित महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज, पोस्टपार्टम हैम्रेज, हाइपरटेंसिव कॉम्प्लिकेशंस, प्रीटर्म डिलीवरी, फेटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन और फेटल डेथ होने की संभावना ज्यादा होती है। इसके साथ ही आईबीडी से ग्रसित महिलाओं को डिलीवरी के बाद लंबे समय तक हॉस्पिटल में रहना पड़ सकता है। ऐसी महिलाओं की प्रेगनेंसी मेडिकल कॉस्ट भी ज्यादा होती है।
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