बदलते पर्यावरण और बदलती लाइफस्टाइल में बच्चों में बड़ी बीमारियों के खतरे लगातार बढ़ रहे हैं। पहले जो बीमारियां केवल बड़ी उम्र के लोगों में दिखती थीं अब बच्चों में भी कॉमन होती जा रही हैं। इनमे से एक है टाइप 1 डायबिटीज। बच्चों में इस बीमारी (Type 1 diabetes in children) के खतरे बढ़ रहे हैं। आज हम इसी पर बात करने वाले हैं। समझेंगे कि क्यों हो रहा है ऐसा और इससे बचाव के तरीके क्या हैं?
जामा नेटवर्क नाम की एक संस्था ने इन बढ़े हुए मामलों (Type 1 diabetes in children) की एक अलग तस्वीर दिखाती हुई एक रिपोर्ट जारी की थी। साल 2023 की इस रिपोर्ट के अनुसार
कोविड-19 महामारी के पहले 12 महीनों में बचपन के टाइप 1 डायबिटीज के मामलों में 16% (95% CI, 10%-23%) का इज़ाफा हुआ, और महामारी के अगले 12 महीनों में यह बढ़कर 28% (95% CI, 18%-39%) हो गया। जब इसे महामारी से पहले के एक साल से तुलना किया गया, तो बच्चों में यह वृद्धि काफी ज्यादा थी, क्योंकि महामारी से पहले टाइप 1 डायबिटीज के मामलों में सालाना बढ़ोतरी महज 2% से 3% के बीच होती थी।
फ़्रन्टियर्स नाम की एक संस्था ने इस तस्वीर को और साफ किया है और बच्चों में बढ़े इन मामलों (Type 1 diabetes in children) को लेकर अनुमान भी जाहिर किया। रिपोर्ट कहती है कि 2021 में, 19 साल से कम उम्र के बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज नए मामलों की संख्या 355,900 थी (95% CI: 334,200–377,300)। और ऐसा अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या हर साल 100,000 बच्चों से भी अधिक हो सकती है।
टाइप 1 डायबिटीज डायबिटीज का ही एक प्रकार है। ये अधिकतर बच्चों (Type 1 diabetes in children) और युवाओं में पाया जाता है। इससे पीड़ित लोगों के शरीर का अपना ही इम्यून सिस्टम शरीर में इंसुलिन बनाने वाली सेल्स पर हमला कर देता है।
इंसुलिन एक हार्मोन है जो खून में शुगर (ग्लूकोज) के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। इसी वजह से जब शरीर में इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता, तो खून में शुगर का स्तर बढ़ जाता है और शरीर में एनर्जी की कमी होने लगती हैं।
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉक्टर अनुभव जायसवाल के अनुसार टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children) में जीन एक बड़ा कारण होता है। अगर परिवार में किसी को टाइप 1 डायबिटीज है, तो उस बच्चे में भी इस रोग के विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
सीडीसी नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि बच्चों में अधिकतर ये तब होता है जब शरीर में इम्यून सिस्टम शरीर के ही सेल्स पर हमला कर देती है, जो बीटा सेल्स को नष्ट कर देती है और शरीर में इंसुलिन का उत्पादन रुक जाता है। इंसुलिन प्रोडक्शन का रुकना डायबिटीज का बड़ा कारण है।
नेचर नाम की एक संस्था की रिपोर्ट कहती है कि वायरस जैसे कॉकसाकी वायरस या रोटावायरस के कारण भी शरीर में इम्यून सिस्टम को असामान्य प्रतिक्रिया हो सकती है, जिससे टाइप 1 डायबिटीज विकसित हो सकता है।
पर्यावरणीय कारकों का भी टाइप 1 डायबिटीज में भूमिका हो सकता है, जैसे कि अस्वस्थ आहार ज्यादा प्रदूषण, और विटामिन D की कमी।
डायबिटीज जैसी बीमारियों से बच्चे (Type 1 diabetes in children) को बचाने के लिए उन्हें संतुलित और स्वस्थ आहार देना जरूरी है।
आहार में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, प्रोटीन, और स्वस्थ फैट शामिल करना चाहिए। अधिक मीठा और फैटी चीजों से बचने का प्रयास करें।
डॉक्टर अनुभव के अनुसार, डायबिटीज के खतरे से बच्चों को (Type 1 diabetes in children) बचाने के लिए विटामिन D का स्तर शरीर में सही बनाए रखना जरूरी है। विटामिन D की कमी से ऑटोइम्यून बीमारियां और टाइप 1 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है। सूरज की रोशनी, विटामिन D सप्लीमेंट्स और विटामिन D से भरपूर चीजें खाने में शामिल करें।
नियमित तौर पर व्यायाम से हमारा इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। बच्चों को बाहर खेलने की आदत डालें और उन्हें कम से कम 30-60 मिनट तक व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें।
बच्चों को साफ सफाई की आदत डालें ताकि वो किसी भी तरह के इन्फेक्शन से बचे रहें। इसमें उनके समय समय पर हाथ धुलवाना, नहाना और साफ कपड़े पहनाना शामिल हैं। आप अगर खुद भी बच्चों के पास जाएं तो साफ-सफाई का खुद भी ध्यान रखें।
यदि किसी बच्चे के परिवार में टाइप 1 डायबिटीज का इतिहास है, तो उनके लिए नियमित रूप से शुगर लेवल की जांच कराना जरूरी है। समय पर डायबिटीज की पहचान हो जाने से इलाज भी आसान हो जाता है।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children) के संकेत और लक्षणों को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि समय रहते इलाज शुरू किया जा सके। इन लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और यदि ये लक्षण बढ़ने लगे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
1.ज्यादा प्यास- बच्चों को बार-बार प्यास लगने की शिकायत हो रही हो तो डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।
2. ज्यादा पेशाब- अगर बच्चे को बार बार पेशाब लग रहा है तो डॉक्टर की देख रेख में इलाज जरूरी है।
3. थकान और कमजोरी – टाइप 1 डायबिटीज से पीड़ित बच्चे को बार बार थकान और कमजोरी जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
4. धुंधली नजर – कई बार डायबिटीज से पीड़ित बच्चों (Type 1 diabetes in children) की नजर भी कमजोर हो जाती है और उन्हें धुंधला दिखाई देने लगता है। अगर ऐसी कोई शिकायत बच्चे को हो रही हो तो डॉक्टर से मिलना जरूरी है।
यदि आपके बच्चे में इनमें से कोई लक्षण दिखाई दे, तो बिना देर किए एक डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर द्वारा रक्त परीक्षण के माध्यम से टाइप 1 डायबिटीज का निदान किया जा सकता है। ध्यान रखिए कि अगर बीमारी की पहचान जल्दी हो जाती है, तो उचित इलाज और इंसुलिन थेरेपी से बच्चे को डायबीटीज के खतरों से दूर किया जा सकता है।
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