मोटी महिलाओं को ज्यादा होता है जेस्टेशनल डायबिटीज का जोखिम, जानिए कैसे करना है बचाव

गर्भावस्था के समय होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज के नाम से जाना जाता है। ये न केवल प्रसव के समय जोखिम बढ़ा सकती है, बल्कि भविष्य में बच्चे की सेहत को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
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ऑक्सीडेटिव तनाव बन सकता है मधुमेह समेत तमाम रोग का कारण, चित्र: शटरस्टॉक
शालिनी पाण्डेय Updated: 29 Oct 2023, 20:27 pm IST
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जेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) दुनिया भर में तेजी से बढ़ती जा रही समस्या है। हालांकि इसके कारणों का अभी तक सही-सही पता नहीं लगाया जा सका है पर इसके कारण पैदा होने वाले जोखिम, मां और बच्चे दोनों के लिए ही नुकसानदेह हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप बेबी प्लान करने से पहले ही जेस्टेशनल डायबिटीज के बारे में जागरुक हों। ताकि इसके जाेखिम को कम किया जा सके।

क्या हैं जेस्टेशनल डायबिटीज़ के कारण

शोधकर्ता अभी तक यह पता नहीं लगा सके हैं कि आखिर क्यों, गर्भावस्था के दौरान कुछ महिलाओं को मधुमेह होता है और कुछ को नहीं। पर यह माना जा सकता है कि इस समस्या का एक बड़ा कारण मोटापा है।

इस बारे में बात करते हुए क्लाउड नाइन, गुड़गांव की गायनेकोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर रितु सेठी बताती हैं कि आमतौर पर, विभिन्न हार्मोन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखने का काम करते हैं। लेकिन गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन का स्तर बदल जाता है, जिससे शरीर के लिए ब्लड शुगर लेवल को सही तरीके से मैनेज करना कठिन हो जाता है, इससे ब्लड शुगर बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले डायबिटीज़ के प्रमुख कारण हैं –

-अधिक वजन या मोटापा होना
-फिजिकली एक्टिव नहीं होना
-रोगी में प्रीडायबिटीज होना
-पिछली गर्भावस्था के दौरान गर्भकालीन मधुमेह होना
-पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होना
-डायबिटीज़ की हिस्ट्री होना

क्यों जरूरी है इस पर ध्यान देना

जेस्टेशनल डायबिटीज़ को अगर ठीक तरह से मैनेज न किया जाए, तो इससे होने वाली मां का ब्लड शुगर शूट-अप कर सकता है यानी तेज़ी से बढ़ सकता है। हाई ब्लड शुगर, होने वाली मां को ही नहीं होने वाले बच्चे को भी नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में डिलीवरी के लिए सर्जरी (C-Section) का जोखिम भी बढ़ सकता है।

होने वाले बच्चे पर भी हो सकता है बुरा असर

यदि आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो आपके शिशु को जन्म के बाद ये दिक्कतें हो सकती हैं:

1 जन्म के समय बच्चे का ओवरवेट होना

यदि आपका ब्लड शुगर का स्तर तय सीमा से अधिक है, तो इसके कारण आपके बच्चे के सामान्य से अधिक वजनी होने की संभावना हो सकती है। बहुत भारी बच्चे जिनका वजन 9 पाउंड या उससे अधिक होता है, उन्हें नॉर्मल डिलीवरी के ज़रिए बाहर निकालने में दिक्कत हो सकती है। ऐसे में सी-सेक्शन की मदद से ही डिलीवरी कराई जा सकती है।

2 प्रीटर्म बर्थ

हाई ब्लड शुगर प्री मैच्योर डिलीवरी की वजह बन सकता है और डिलीवरी के दौरान होने वाले खतरों को भी बढ़ा सकता है।

3 सांस लेने में कठिनाई

जल्दी पैदा होने वाले शिशुओं को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। यह एक तरह का सिंड्रोम है, जिसमें सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

4 ब्लड शुगर का कम होना (hypoglycemia)

कभी-कभी शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद ब्लड शुगर लेवल कम (hypoglycemia) होता है। हाइपोग्लाइसीमिया के कारण बच्चे में आगे चलकर काफी सारी सेहत संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उनके लिए भविष्य में मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है।

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मां के लिए हो सकते हैं ये जोखिम

प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले मधुमेह से आपको भी कई परेशानियां हो सकती हैं जिनमें ये दिक्कतें प्रमुख हैं:

हाई ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया

गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप के साथ-साथ प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को भी बढ़ाता है। इसके कारण गर्भावस्था के दौरान होने वाली मां का रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है। जिससे अन्य कई खतरे भी पैदा हो सकते हैं, जो कई बार मां और बच्चे के लिए जानलेवा भी हो सकता है।

सर्जिकल डिलीवरी (C-Section) होना

यदि आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो डिलीवरी के लिए आपका सी-सेक्शन होने की अधिक संभावना है।

Ciserean delivery kee sambhaavna badh jaati hai
सिजेरियन डिलीवरी की बढ़ जाती है। चित्र:शटरस्टॉक

भविष्य में भी हो सकता है मधुमेह

यदि आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो भविष्य में गर्भावस्था के दौरान आपको इसके दोबारा होने का जोखिम रहता है। जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे आपके लिए टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा भी बढ़ता जाता है।

तो क्या हैं वे तरीके जो जेस्टेशनल डायबिटीज से बचा सकते हैं?

जेस्टेशनल डायबिटीज़ रोकने वाले तरीकों की कोई गारंटी नहीं होती है, लेकिन गर्भावस्था से पहले आप जितनी अधिक हेल्दी हैबिट्स को अपनी लाइफस्टाइल में शामिल करेंगी उतना ही बेहतर रहेगा। यदि आपको गर्भावधि मधुमेह है, तो ये आदतें अपनाकर आप भविष्य में गर्भधारण को आसान और टाइप 2 मधुमेह होने के जोखिम को कम कर सकती हैं।

1 हेल्दी डाइट लें

अपनी डाइट में ऐसी चीज़ें शामिल करें जिनमें फाइबर अधिक हो पर फैट और कैलोरी कम। फलों, सब्जियों और साबुत अनाज को अपने रोज़ के खाने में शामिल कर आप अपने वजन को नियंत्रण में रख सकती हैं।
स्वाद या पोषण से समझौता किए बिना अपने वेट मैनेजमेंट गोल को पाने के लिए अपनी प्लेट में वेरिएशन एड करें। ऐसे खाने से परहेज़ करें जो जिनका ग्लाइसेमिक लेवल ज्यादा हो। क्योंकि इनसे आपके शरीर में इन्सुलिन की मात्रा बढ़ जाएगी। इस तरह के डायबिटीज़ में आपकी बॉडी तो इन्सुलिन बनाती है पर बॉडी सेल्स इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते। दूसरे शब्दों में आपकी बॉडी में इन्सुलिन रेसिस्टेंस की स्थिति पैदा हो जाती है

Periods ke dauran healthy khaye
वेट मैनेज करने के लिए हेल्दी खाएं। चित्र: शटरस्टॉक

2 एक्टिव रहिए

गर्भावस्था से पहले और दौरान व्यायाम करने से आपको गर्भावधि मधुमेह को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है। सप्ताह के अधिकांश दिनों में 30 मिनट की माइल्ड एक्सरसाइज करें। रोजाना ब्रिस्क वॉक करें यानी तेजी से चलें। साइकिल चलाना और स्विमिंग करना भी अच्छा विकल्प हैं। जब आप काम के लिए निकलें तो अपनी गाड़ी डेस्टिनेशन से ज़रा दूर ही पार्क करें। या ब्रेक ले कर टहलें।

3 बेबी प्लान करने से पहले वेट मैनेज करें

यदि आप गर्भवती होने के बारे में सोच रही हैं, तो पहले अपनी बॉडी के एक्स्ट्रा किलोज़ कम करने पर काम करें। अपने खाने की आदतों में बदलाव लाएं और अधिक से अधिक सब्जियां और फल खाएं।

4 वेट बढ़ने से रोकें

गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना नॉर्मल भी है और हेल्दी भी, लेकिन बहुत जल्दी बहुत अधिक वजन बढ़ने से का खतरा बढ़ सकता है। अपने हेल्थ केयर एक्सपर्ट से पूछें कि आपके लिए आइडियल वेट क्या है और उसी के अनुसार अपना वेट गोल प्लान करें। इसमें आप एक्सपर्ट की मदद भी ले सकती हैं।

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