कई बार हम कुछ चीज़ों को जानकारी के अभाव में अनदेखा कर जाते हैं। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकता है। विटामिन बी 12 की कमी हमारे लिए नुकसानदायक साबित हो जाता है। जानकारी के अभाव में दुनिया भर के लाखों लोग विटामिन बी 12 की कमी से जूझ रहे हैं। विटामिन बी12 की कमी साइलेंट किलर के रूप में सामने आ सकता है। दरअसल इसकी कमी किसी भी उम्र, लिंग या भौगोलिक स्थिति के लोगों को प्रभावित कर सकती है। इसकी व्यापकता के बावजूद इसके लक्षणों के प्रति हम जागरूक नहीं हो पाते हैं। जानते हैं यह कैसे (Vitamin B12 deficiency) साइलेंट किलर है।
विटामिन बी12 को कोबालामिन भी कहा जाता है। यह नर्व फंक्शन, रेड ब्लड सेल निर्माण और डीएनए संश्लेषण सहित कई शारीरिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह मुख्य रूप से पशु उत्पादों में पाया जाता है। इसके कारण शाकाहारियों को विशेष रूप से इसकी कमी होने की आशंका होती है। जो लोग मांस का सेवन करते हैं, उन्हें भी उम्र, कुछ दवाओं या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कारकों के कारण विटामिन बी 12 के लो लेवल का अनुभव (Vitamin B 12 deficiency) हो सकता है।
विटामिन बी12 की कमी के लक्षण सूक्ष्म हो सकते हैं। इसे आसानी से अन्य कारणों के जिम्मेदार होना मान लिया जा सकता है। इसके कारण सही निदान नहीं हो पाता है। थकान, कमजोरी और चक्कर आना विटामिन बी12 की कमी के आम शुरुआती लक्षण हैं। इन्हें अक्सर तनाव या अत्यधिक परिश्रम के परिणाम के रूप में खारिज कर दिया जाता है। जैसे-जैसे कमी बढ़ती है, अधिक गंभीर लक्षण प्रकट हो सकते हैं। इनमें शरीर के अंगों में सुन्नता, झुनझुनी और चलने में कठिनाई जैसे तंत्रिका संबंधी कारक भी शामिल हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन के अनुसार, विटामिन बी12 की कमी भारत और दुनिया भर में एक आम स्वास्थ्य समस्या बन गई है। कम से कम 47% भारतीय आबादी लो विटामिन बी12 लेवल से पीड़ित है। केवल 26% आबादी में ही पर्याप्त विटामिन बी12 हो सकता है। भारत में बड़े पैमाने पर शाकाहारी भोजन लेने की आदत है। इसलिए यहां विटामिन बी12 की कमी होने की संभावना अधिक है।
यदि उपचार न किया जाए, तो विटामिन बी12 की कमी का सबसे चिंताजनक पहलू इसके संभावित लॉन्ग टर्म में दुष्परिणाम हो सकते हैं। लंबे समय तक कमी से अपरिवर्तनीय तंत्रिका क्षति (irreversible nerve damage), संज्ञानात्मक गिरावट ( cognitive decline) और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। गर्भवती महिलाओं में इसके कारण भ्रूण के विकास संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं। विटामिन बी 12 की कमी के कारण लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन में कमी हो जाती है। यह पर्निशियस एनीमिया कहलाती है। यह स्थायी न्यूरोलॉजिकल क्षति का कारण बन सकती है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो मृत्यु हो सकती है।
इस मूक महामारी से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। सबसे पहले विटामिन बी12 के महत्व और इसके स्रोतों के बारे में जागरूकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। व्यक्तियों को विटामिन बी12 युक्त खाद्य पदार्थों या पूरकों से भरपूर संतुलित आहार का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित करने से कमी (Vitamin B 12 deficiency) को रोकने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा हेल्थकेयर एक्सपर्ट को कमी की जांच करने में सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर हाई रिस्क वाले समूहों में।
शाकाहारी लोग विटामिन बी12 के वैकल्पिक स्रोत की पहचान करें और नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करें। इस पर शोध होना भी जरूरी है कि वे पशु उत्पादों का सहारा लिए बिना अपनी पोषण संबंधी जरूरतों को किस तरह पूरा कर सकते हैं। प्रारंभिक जांच और उपचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान कमी (Vitamin B 12 deficiency) के लॉन्ग टर्म में होने वाले परिणामों को कम कर सकते हैं।
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