बीते महीने से भारत में डेंगू के मामले काफी ज्यादा बढ़ने लगे हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर छत्तीसगढ़ तक डेंगू के कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में डेंगू के बारे में सही समय पर जानकर उसका इलाज करना और डेंगू के बारे में लोगों को जागरूक होना बहुत जरूरी है। कभी-कभी जिसे हम मामूली बुखार समझ लेते हैं, वह अंत में डेंगू का बुखार निकलता है, जो शरीर को पूरी तरह तोड़ देता है।
आज हम आपके साथ डेंगू कि उन गंभीर स्थितियों की बात कर रहे हैं, जिनमें आपको अस्पताल जाने की अत्यंत आवश्यकता है। लेकिन उससे पहले कुछ अन्य बातें जान लेते हैं।
आप सब ने डेंगू मच्छर के बारे में जरूर सुना होगा। यही मच्छर डेंगू के पीछे का मुख्य कारण है। डेंगू एक मादा एडीज इजिप्टी मच्छर ( female aedes aegypti mosquito ) से होता है। जिसके काटने पर डेंगू बुखार आने लगता है। इस मच्छर की पहचान करना बेहद आसान है, इस मच्छर के शरीर पर चीते जैसी धारी होती हैं। यह मच्छर दिन में खासकर सुबह प्रातः काल के वक्त काटता है।
एक अहम जानकारी यह भी है कि डेंगू का मच्छर बरसात के मौसम और उसके बाद वालों महीनों में ज्यादा पनपता है। एडिज इजिप्टी मच्छर ( aedes aegypti mosquito ) बहुत ऊंचाई तक उड़ नहीं पाते हैं, इसलिए यह हमेशा आपके पैरों के नीचे ही काटता है।
डेंगू कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है, उसके बाद भी डेंगू वायरस काफी तेजी से फैलता है। असल में जब कोई डेंगू से पीड़ित व्यक्ति को कोई सामान्य मच्छर काटता है, तो वो खून भी चूसता है। जिसके बाद डेंगू का वायरस मच्छर के साथ चला जाता है। जब वह मच्छर किसी अन्य व्यक्ति को काटता है तो वायरस उसके खून तक भी पहुंच जाता है। जिससे डेंगू का वायरस धीमे-धीमे फैलने लगता है।
जब किसी व्यक्ति को डेंगू मच्छर काटता है, तो उसके करीब 3 से 5 दिन के बाद मरीज में डेंगू बुखार के लक्षण देखने को मिलते हैं। हालांकि कुछ मामलों में यह समय 3 से 10 दिन का भी देखा गया है। अलग-अलग प्रकार के डेंगू अलग-अलग दिन का समय लक्षण दिखाने में लगाते हैं।
डेंगू वायरस तीन प्रकार का होता है, सामान्य डेंगू ( common dengue ), डेंगू हैमरेजिक बुखार (DHF) ( dengue hemorrhagic fever ) और डेंगू शॉक सिंड्रोम ( dengue shock syndrome ) (DSS)।
इसमें DHF और DSS सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं। इनमें जान जाने की संभावनाएं भी होती हैं। हालांकि सामान्य डेंगू अपने आप ठीक भी हो जाता है।
कपकपी चढ़कर बुखार आना
शरीर और सिर में भयानक दर्द होना
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कस्टमाइज़ करेंकमजोरी, बदन टूटना, जोड़ों में दर्द
गला दर्द होना
नाक और मसूड़ों से खून बहना
शौच या उलटी में खून आना
स्किन पर गहरे नीले-काले रंग के छोटे या बड़े चिकत्ते
तेज बुखार के साथ बेचैनी होना
बहुत ज्यादा ठंड लगना
व्यक्ति अपना होश खोने लगता है
अचानक बीपी लो होना
डेंगू फीवर के लक्षण दिखने पर फौरन अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। आपके लक्षण कितने बड़े हैं उसके हिसाब से आपका ट्रीटमेंट शुरू होता है। यदि आपके सामान्य डेंगू है तो आपको डॉक्टर घर पर रहकर ही परहेज और बेहतर इलाज करने की सलाह देगा।
यदि आपके लक्ष्या अन्य डेंगू के हैं और आप की स्थिति या प्लेटलेट्स बेहद कम हो रहे हैं तो आपको अस्पताल जाने की आवश्यकता है। डेंगू के बुखार को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। इससे मल्टी ऑर्गन फैलियर भी हो सकता है।
इसमें सेल्स के अंदर मौजूद फ्लूइड बाहर निकल जाता है। पेट के अंदर पानी जमा हो जाता है। लंग्स और लिवर पर बुरा असर पड़ता है और ये काम करना बंद कर देते हैं।
डेंगू के हड्डी तोड़ बुखार की शुरुआत फेज 1 से शुरू होती है। इसको फेरबाइल के नाम से जाना जाता है। इसमें उल्टी, सिरदर्द, भूख नहीं लगना, चक्कर आना पहले फेज के लक्षण होते हैं । यह बुखार घर पर ही ठीक हो सकता है, लेकिन घर पर भी डॉक्टर द्वारा लिखी गई दवाई और परेज़ का पालन करना ज़रूरी है।
दूसरी स्टेज में हालत काफी क्रिटिकल होता है इसमें बुखार 168 तक भी पहुंच सकता है साथ ही शरीर में सूजन आना, लाल दाने आना, पेट फुलना, लिवर का बढ़ जाना, लाल चकत्ते पड़ने पर ब्लीडिंग होने जैसी समस्या होने लगती है। कई बार जब हिमोटोक्रिट की स्थिति होती हैं तो शरीर में प्लेटलेट्स कम पड़ने लगती है और अस्पताल में भर्ती होने और दीप लगवाने की आवश्यकता पड़ जाती है।
तीसरा फेज रिकवरी फेज होता है। इसमें व्यक्ति का बुखार धीरे-धीरे उतरने लगता है और प्लेटलेट्स बढ़ने लगती है। रिकवरी फेस के बाद भी व्यक्ति को कई हफ्तों तक कमजोरी महसूस हो सकती है। क्योंकि जब शरीर में प्लेटलेट्स कम होती है तो हीमोग्लोबिन बढ़ने लगता है ।
आयुर्वेद में डेंगू बुखार के लिए कोई भी पेटेंट दवा मौजूद नहीं है। हालांकि कई नुस्खे जरूर बताए गए हैं। इसमें गिलोय का पानी, पपीते का पत्ता, बकरी के दूध के प्लेटलेट्स को बढ़ाने के बारे में बताया गया है।
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