Cataract in children : जन्मजात भी हो सकता है बच्चों में मोतियाबिंद, जानें इसकी वजह और उपचार

बड़ों के साथ-साथ बच्चों में भी मोतियाबिंद देखने को मिल रहे हैं। यह क्यों होता है और क्या इसका उपचार किया जा सकता है, विशेषज्ञ से जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।
bachchon ko bhi ho sakta hai cataract
बच्चों को भी हो सकता है कैटेरेक्ट। चित्र : अडोबी स्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 12 Aug 2023, 13:40 pm IST
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उम्र बढ़ने के साथ मोतियाबिंद यानी कैटेरेक्ट होता है। आंखों की यह समस्या बुजुर्गों में आम है। इन दिनों बच्चों में भी कैटेरेक्ट की समस्या देखी जा रही है। दरअसल, इसके पीछे कुछ रोग हो सकते हैं। डायबिटीज या रुमेटीइड आर्थराइटिस भी इसके कारण होते हैं। कभी-कभी डाउन सिंड्रोम जैसी आनुवंशिक समस्याएं भी इसकी वजह बन जाती हैं। आइये विशेषज्ञ से जानते हैं बच्चों में होने वाली समस्या कैटेरेक्ट (cataract in children) के बारे में।

क्या है कैटेरेक्ट की समस्या (Cataract Problem)

शार्प साइट की वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. राशि ताओरी बताती हैं, ‘कैटेरेक्ट आंख के लेंस पर धुंधलापन है। लेंस सामान्यतः पारदर्शी होती है। कैटेरेक्ट लाइट रेज को लेंस से गुजरने और रेटिना पर ध्यान केंद्रित करने से रोकता है। रेटिना आंख के पीछे की टिश्यू लाइनिंग है, जो प्रकाश के प्रति सेंसिटिव होती है। जब लेंस बनाने वाला प्रोटीन धुंधला हो जाता है, तो कैटेरेक्ट हो जाता है। इससे बच्चे के आंखों के देखने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। बच्चों में मोतियाबिंद दुर्लभ है। यह आंख के एकतरफ या दोनों तरफ प्रभावित कर सकता है।’

बच्चों में जन्मजात भी हो सकती है यह समस्या (Congenital cataracts)

डॉ. राशि ताओरी कहती हैं, ‘कुछ मोतियाबिंद छोटे होते हैं और देखने में कोई परेशानी पैदा नहीं होती है। समस्या अधिक होने यानी प्रगतिशील होने पर मोतियाबिंद बच्चों में देखने की समस्या पैदा कर सकते हैं। वयस्कों में ज्यादातर मोतियाबिंद उम्र बढ़ने के कारण होता है। बच्चों में जन्मजात मोतियाबिंद (Congenital cataracts), सेकंडरी मोतियाबिंद (Secondary Cataract), ट्रॉमा के कारण होने वाला कैटरेक्ट (traumatic cataract) भी हो सकता है। कभी कभी जेनेटिक एंजाइम की कमी के कारण होने वाला चयापचय संबंधी विकार भी इसका कारण (cataract in children) बन जाता है। बच्चों में रेडिएशन के संपर्क में आने पर भी मोतियाबिंद हो जाता है।’

इन कारणों से हो सकता है मोतियाबिंद (Cataract Causes)

1 चोट
2 डायबिटीज
3 पॉइजनिंग
4 स्टेरॉयड का उपयोग
5 रुमेटीइड आर्थराइटिस जैसी समस्या
6 ग्लूकोमा जैसी आंखों की गंभीर बीमारी के कारण हो सकता है

बच्चा यदि आंख में होने वाली समस्याओं के बारे में बताये, तो उसका तुरंत निदान कराना जरूरी है। चित्र : अडोबी स्टॉक

इन लक्षणों से की जा सकती है पहचान (Cataract Symptoms)

डॉ. राशि ताओरी के अनुसार, प्रत्येक बच्चे में लक्षण थोड़े अलग हो सकते हैं। टॉर्च से चमकाने पर पुतली सफेद दिखाई देती है। आंखों के आकार या स्थिति ठीक नहीं होना, आई बॉल के लय में दिक्कत, आंखें आगे-पीछे, ऊपर-नीचे, इधर-उधर करने में समस्या भी लक्षण हो सकते हैं। धुंधली दृष्टि या आंखों पर बादल छाये जैसा लगना भी लक्षण हैं।
लाइट का बहुत अधिक चमकीला दिखना, किसी वस्तु के चारों ओर प्रकाश का घेरा देखना जैसी समस्या होने की शिकायत बच्चा करे, तो यह कैटेरेक्ट का लक्षण है।

डायग्नूज कराना जरूरी (Cataract Diagnosis)

बच्चा यदि आंख में होने वाली समस्याओं के बारे में बताये, तो उसका तुरंत निदान कराना जरूरी है। आई स्पेशिएलिस्ट उनकी आंखों की जांच करेंगे। आई चार्ट टेस्ट के माध्यम से बच्चे की विभिन्न दूरियों से देखने की क्षमता की जांच हो जाएगी। ट्रीटमेंट में आई ड्रॉप डालकर आई बॉल का फैलाव कर लिया जाता है। इससे आंख के लेंस, रेटिना और ऑप्टिक नर्व की भी जांच कर ली जायेगी। इससे कैटेरेक्ट की समस्या अधिक (cataract in children) हो गई है या कम है, यह भी पता चल पायेगा

बच्चे के लक्षणों, उम्र और उसके स्वास्थ्य पर  बच्चे के मोतियाबिंद का इलाज निर्भर करता है। चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे किया जाता है इलाज (Cataract Treatment)

डॉ. राशि ताओरी के अनुसार, बच्चे के लक्षणों, उम्र और उसके स्वास्थ्य पर भी इसका इलाज निर्भर करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि स्थिति कितनी गंभीर है। बच्चे के मोतियाबिंद के प्रकार के आधार पर उपचार का निर्णय लिया जाता है। कुछ मामलों में बच्चे को चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की आवश्यकता हो सकती है। इससे बच्चे को बेहतर तरीके से देखने में मदद मिल सकती है। 1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को मोतियाबिंद हटाने और नया लेंस डालने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ जाती है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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