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जानिए क्या होता है स्ट्रेस फ्रेक्चर? कहीं आप भी तो इसके जोखिम में नहीं

क्या आपा भी अपनी किसी चोट को नज़रअंदाज़ कर रही हैं? इसे इग्नोर न करें यह बन सकता है स्ट्रेस फ्रेक्चर का कारण। जानिए इस समस्या के बारे में।
Published On: 4 Oct 2022, 08:31 pm IST
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इसके चलते हड्डिया कमज़ोर हो जाती है, जो फिसलने भरने से टूटने लगती है। चित्र : शटरस्टॉक

क्या आपको अपने हाथ पैरों पर कभी कुछ उठाते करते बहुत दबाव महसूस किया है? यह तब होता है जब अक्सर पैरों में किसी तरह की चोट लग जाती है या हड्डी में स्प्रेन आ जाता। आकार हम इन छोटी – मोटी चोट को इग्नोर कर देते हैं। और उसी हाथ या कंधे की हड्डी पर बार – बार ज़ोर पड़ता रहता है। जिसकी वजह से यह आगे चलकर फ्रेक्चर (Fracture) का रूप ले लेता है – जिसे हम स्ट्रेस फ्रेक्चर (Stress Fracture) का नाम देते हैं। इस तरह की चोट अक्सर हमें लगती रहती हैं और यदि हम इनपर ध्यान न दें तो यह घातक रू ले लेती हैं।

इसलिए आप सभी के लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि स्ट्रेस फ्रेक्चर क्या होता है? और क्या आप इसके जोखिम में हैं? यदि हां तो किस तरह आप अपना बचाव कर सकती हैं। क्योंकि दिवाली का त्योहार नजदीक है – ऐसे में घर की सफाई करते हुये बहुत लोगों को चोट लग जाती है। इसलिए स्ट्रेस फ्रेक्चर के बारे में समझना ज़रूरी है।

जानिए क्या है स्ट्रेस फ्रेक्चर?

क्लीवलैंड क्लीनिक के अनुसार स्ट्रेस फ्रैक्चर हड्डी में एक बहुत छोटी का क्रैक है। यह बार – बार हड्डी पर पड़ रहे स्ट्रेस या ट्रौमा के कारण होता है और आमतौर पर एथलीट में देखा जाता है। पिंडली की हड्डी, पैर, एड़ी, कूल्हे और पीठ के निचले हिस्से में स्ट्रेस फ्रेक्चर हो सकते हैं।

एक तनाव प्रतिक्रिया जो अनुपचारित होती है वह एक स्ट्रेस फ्रैक्चर में विकसित हो सकती है। स्ट्रेस फ्रैक्चर के उपचार में आमतौर पर आराम करना शामिल होता है।

क्यों हो जाता है स्ट्रेस फ्रेक्चर?

स्ट्रेस फ्रैक्चर के जोखिम कारकों को दो बुनियादी श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: बाहरी और आंतरिक। स्ट्रेस फ्रेक्चर के बाहरी कारणों में शामिल हैं –

चोट के बावजूद जिम एक्सरसाइज़ करना
गलत स्पोर्ट्स ट्रानिंग लेना
चोट लागने के बाद आराम न करना
ढलान वाली सतह या सड़क पर दौड़ना
चोट के बावजूद डांस करना
सही पोषण न लेना या खराब डाइट
विटामिन डी का स्तर कम होना

विटामिन डी की कमी और हड्डियां कमज़ोर होने की वजह से हो सकता है स्ट्रेस फ्रेक्चर। चित्र शटरस्टॉक

स्ट्रेस फ्रेक्चर के बाहरी कारणों में शामिल है –

आयु: यह बूढ़े लोगों में कमजोर हड्डी की वजह से भी हो सकता है।

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वजन: कम बीएमआई या कम वजन वाले व्यक्ति की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं और हाई बीएमआई वाले व्यक्ति को भी चोट लगने का खतरा होता है।

लिंग: अनियमित मासिक धर्म या मासिक धर्म नहीं होने पर महिलाओं को स्ट्रेस फ्रेक्चर का जोखिम हो सकता है।

चिकित्सीय स्थितियां: ऑस्टियोपोरोसिस या अन्य बीमारियां जो हड्डियों की मजबूती और घनत्व को कमजोर करती हैं।

तो आप स्ट्रेस फ्रेक्चर से खुद को कैसे बचा सकती हैं

एक बार जब आपको दर्द महसूस हो, तो व्यायाम करना बंद कर दें। व्यायाम पर तभी लौटें जब आप दर्द न हों।

अपने चिकित्सक को जल्द से जल्द दिखाएं यदि शरीर के किसी अंग में आपको किसी प्रकार की समस्या या दर्द है।

सही खेल उपकरण का प्रयोग करें।

उचित जूते पहनें। रनिंग शूज़ को हर 300 मील पर बदल लें।

नई खेल गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू करें और धीरे-धीरे समय, गति और दूरी बढ़ाएं।

किसी खेल या गतिविधि को फिर से शुरू करते समय, अपनी तीव्रता को 50% तक कम करें।

प्रारंभिक मांसपेशियों की थकान को रोकने में मदद करने के लिए वेट ट्रेनिंग का अभ्यास करें।

उम्र बढ़ने के साथ आने वाली हड्डियों के घनत्व के नुकसान को रोकने में मदद करें।

कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर स्वस्थ आहार लें जो आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखेगा।

यदि आपको ऑस्टियोपीनिया या ऑस्टियोपोरोसिस है, तो अपने डॉक्टर से चर्चा करें कि इन स्थितियों को चिकित्सकीय रूप से कैसे प्रबंधित किया जाए।

यदि दर्द या सूजन वापस आती है, तो कोई भी एक्टिविटी बंद कर दें और कुछ दिनों के लिए आराम करें। अगर दर्द जारी रहता है, तो अपने डॉक्टर को दिखाएं।

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डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

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