अमीनो एसिड के बारे में तो आप सभी जानते होंगे। इस महत्वपूर्ण पोषक तत्व को खाद्य स्रोत तथा सप्लीमेंट्स के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। शरीर के कई अंगों को सही से कार्य करने के लिए अमीनो एसिड की आवश्यकता होती है। हालांकि, अमीनो एसिड (amino acid) भी कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से सभी अमीनो एसिड की गुणवत्ता अलग-अलग होती है। वहीं इनका संतुलन बनाये रखना बेहद जरूरी है, अन्यथा शरीर पर इनका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जिस प्रकार किसी भी चीज की अधिकता उचित नहीं है, ठीक उसी प्रकार आइसोल्यूसीन नामक अमीनो एसिड के संतुलन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
आज हम बात करेंगे ऐसे ही अमीनो एसिड आइसोल्यूसीन (Isoleucine) के बारे में, जिसकी अधिकता सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है। हेल्थ शॉट्स ने इस बारे में फिटनेस और लाइफस्टाइल एक्सपर्ट यश अग्रवाल से बात की। चलिए जानते हैं, आखिर आइसोल्यूसीन क्या है और यह सेहत को किस तरह से प्रभावित कर सकती है।
आइसोल्यूसीन एक आवश्यक अमीनो एसिड है। आइसोल्यूसीन रेड ब्लड सेल्स के अंदर ऑक्सीजन ले जाने वाला एक पिग्मेंट है और हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है। यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने, ऊर्जा बढ़ाने और सहनशक्ति में सुधार करने में भी सहायता करता है। आइसोल्यूसीन (Isoleucine) को मांसपेशियों के चोट को तेजी से हील करने और मांसपेशियों के विकास और दुबले शरीर के निर्माण में मदद करने के लिए जाना जाता है।
आइसोल्यूसीन के खाद्य स्रोत की बात करें तो यह अंडा, सोया प्रोटीन, चिकन, चीज, मछली नट्स, सीड्स, डेयरी प्रोडक्ट्स सहित फलियों में मौजूद होते हैं।
अमीनो एसिड (एए) को सिंगल AAs या AA कॉम्बिनेशन में लिया जाना चाहिए। इन्हें मल्टीविटामिन, प्रोटीन और फ़ूड सप्लीमेंट के रूप में प्राप्त किया जा सकता है। इसके साथ ही ये टेबलेट, फ्लूइड और पाउडर के रूप में भी उपलब्ध होते हैं।
यदि आप अपने आहार में पर्याप्त प्रोटीन ले रही हैं, तो आपको अपने शरीर के लिए आवश्यक सभी आइसोल्यूसीन (Isoleucine) मिल जाएंगे। ऐसी कोई स्थिति नहीं हैं, जिसमें आपको आइसोल्यूसीन की मात्रा को बढ़ाने की आवश्यकता होती है।
अत्यधिक आइसोल्यूसीन का सेवन शरीर में अमीनो एसिड के संतुलन को बाधित कर सकता है। संभावित रूप से इससे प्रोटीन सिंथेसिस पर भी नकारात्मक असर पड़ता है, और यह प्रोटीन कंपोजिशन में असंतुलन पैदा कर सकता है।
आइसोल्यूसिन का उच्च स्तर सामान्य मेटाबॉलिक प्रोसेस को डिस्टर्ब कर सकता है। वहीं इससे ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म और इंसुलिन सेंसटिविटी पर भी नकारात्मक असर पड़ता है, जो इंसुलिन रेजिस्टेंस जैसी स्थितियों में योगदान कर सकता है।
अत्यधिक आइसोल्यूसीन का सेवन न्यूरोट्रांसमीटर संतुलन को प्रभावित कर सकता है, जिसे संभावित रूप से ब्रेन फंक्शन पर नकारात्मक असर पड़ता है। इससे न्यूरोलॉजिकल सिम्पटम्स जैसे मूड में बदलाव, संज्ञानात्मक हानि या गंभीर मामलों में न्यूरोलॉजिकल विकार भी हो सकते हैं।
अमीनो एसिड किडनी द्वारा प्रोसेस किए जाते हैं होते हैं, इसकी अत्यधिक मात्रा इन अंगों पर दबाव डाल सकती है। इससे संभावित रूप से किडनी डिसफंक्शन का सामना करना पड़ सकता है, या पहले से मौजूद किडनी की स्थिति और अधिक खराब हो सकती है।
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बहुत अधिक आइसोल्यूसीन के सेवन से जी मचलने, दस्त या पेट में ऐंठन जैसी पाचन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान शरीर आइसोल्यूसीन के अत्यधिक मात्रा को संसाधित करने और अवशोषित करने के लिए संघर्ष कर रहा होता है।
अत्यधिक उच्च आइसोल्यूसीन स्तर अन्य आवश्यक अमीनो एसिड के साथ संतुलन को बाधित कर सकता है। इससे समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण कुछ अमीनो एसिड में कमी आ सकती है।
कुछ लोगों को आइसोल्यूसीन सहित अन्य अमीनो एसिड से एलर्जी हो सकती है। इसके अत्यधिक सेवन से हल्के लक्षणों से लेकर गंभीर एनाफिलेक्सिस जैसी एलर्जी प्रतिक्रियाओं का खतरा बढ़ जाता है।
अमीनो एसिड लिवर में मेटाबॉलाइज होते है। वहीं इसके अत्यधिक सेवन से लिवर फंक्शन पर नकारात्मक असर देखने को मिल सकता है। लीवर पर लंबे समय तक तनाव रहने से लीवर डिसऑर्डर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, या शरीर को डिटॉक्स करने की इसकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।
नोट : एक्सपर्ट के अनुसार यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अतिरिक्त आइसोल्यूसीन के प्रति व्यक्तिगत सहनशीलता और प्रतिक्रिया अलग-अलग हो सकती है, और विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियां या दवाएं अमीनो एसिड को संसाधित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए संतुलित पोषण और संयम महत्वपूर्ण हैं। यदि अमीनो एसिड सेवन के बारे में चिंताएं हैं, तो स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर या आहार विशेषज्ञ से परामर्श करना उचित है।
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