scorecardresearch

प्रेगनेंसी में एक्लेम्पसिया और प्रीक्‍लैंप्‍सिया का होना मां और बच्चे दोनों के लिए हो सकता है खतरनाक, जानिए इसके बारे में सब कुछ

कई महिलाओं की प्रेगनेंसी तुलनात्मक रूप से आसान होती है। जबकि कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का सामना करती हैं। यह एक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है।
Updated On: 2 Feb 2023, 11:47 am IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
pregnancy eclampsia se kya hota hai
गर्भ में बच्चे को अपनी हड्डियों को विकसित करने के लिए भरपूर मात्रा में कैल्शियम की जरूरत होती है। चित्र : शटरस्टॉक

कई महिलाओं की प्रेगनेंसी तुलनात्मक रूप से आसान होती है। जबकि कई महिलाएं गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का सामना करती हैं। यह एक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है।

प्रीक्लेम्पसिया और एक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या हैं। इस स्थिति में, मां का उच्च रक्तचाप (High blood pressure) भ्रूण में रक्त की आपूर्ति कम कर देता है। जिससे गर्भ में पल रहे बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की सप्लाई कम होने लगती है। एक्लेम्पसिया प्रीक्लेम्पसिया का विकसित रूप है। एक्लेम्पसिया तब होता है जब प्रीक्लेम्पसिया (eclampsia and preeclampsia in pregnancy) से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को दौरा या कोमा जैसी स्थिति होती है। क्या है यह और इस स्थिति से कैसे बचा जा सकता है, आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।

स्त्री रोग विशेषज्ञ और टेस्ट ट्यूब बेबी स्पेशलिस्ट अपोलो दिल्ली और आर्केडी विमन हेल्थ केयर एंड फर्टिलिटी की डायरेक्टर डॉ. पूजा दिवान ने बताया कि अगर किसी महिला को प्रेगनेंसी से पहले हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो उस हाइपरटेंशन कहा जाता है और अगर प्रेगनेंसी से 20  हफ्ते पहले ब्लड प्रेशर का पता चलता है तो उसे प्रेगनेंसी इंडयूज हाइपरटेंशन या  प्रीक्लेम्पसिया कहा जाता है।

डॉ. पूजा दिवान के अनुसार अगर किसा महिला का BP 140 उपर और 90 नीचे से उपर हो तो उसे प्रेगनेंसी इंडयूज हाइपरटेंशन कहते है। इसमें कई औरतों को यूरिन को साथ प्रोटीन की लीकेज  भी होती है इसे प्रोटीनयूरिया कहते है। हाई ब्लड प्रेशर और प्रोटीन लीकेज दोनों को मिलाकर प्रीक्लेम्पसिया कहा जाता है।

प्रीक्लेम्पसिया और एक्लेम्पसिया का कारण

मायो क्लिनिक के अनुसार प्रीक्लेम्पसिया के कारण में कई कारक शामिल हो सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्लेसेंटा में शुरू होता है – वह अंग जो गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को पोषण देता है। गर्भावस्था की शुरुआत में, नई रक्त वाहिकाएं विकसित होती हैं और प्लेसेंटा को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पूर्ति को पूरा किया जाता है।

प्रीक्लेम्पसिया से पीड़ित महिलाओं में, ये रक्त वाहिकाएं ठीक से विकसित या काम नहीं करती हैं।

ये भी पढ़ें- ब्रेस्टफीडिंग के बाद भी बच्चे की ग्रोथ है धीमी, तो फॉलो करें एक्सपर्ट के बताये ये खास टिप्स

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

क्या है प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण

मायो क्लिनिक के अनुसार उच्च रक्तचाप के साथ, प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण और लक्षण शामिल हो सकते हैं:

मूत्र में अतिरिक्त प्रोटीन (प्रोटीनुरिया) या किडनी की समस्या
रक्त में प्लेटलेट के स्तर में कमी (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया)
लिवर एंजाइम में वृद्धि जो लिवर की समस्याओं का संकेत देती है
सिरदर्द
दृष्टि में परिवर्तन, धुंधली दृष्टि
फेफड़ों में तरल पदार्थ के कारण सांस लेने में तकलीफ
पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, आमतौर पर पसलियों के नीचे
जी मिचलाना और उल्टी

क्यों प्रेगनेंसी में खतरनाक है प्रीक्लेम्पसिया

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ चाइल्ड हेल्थ एंड ह्यूमन डेवलपमेंट के अनुसार गर्भावस्था के दौरान प्रीक्लेम्पसिया ज्यादातर मामलों में हल्का होता है। पर इसका विकसित रूप एक्लम्पसिया जल्दी ही बढ़ जाता है। ऐसे में प्रीक्लेम्पसिया और एक्लम्पसिया दोनों ही मां और शिशु के स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

eclampsia blood pressure
प्रीक्लेम्पसिया से पीड़ित महिलाओं में किडनी, मस्तिष्क के साथ अन्य अंग और रक्त प्रणालियों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

हो सकती है किडनी और मस्तिष्क संबंधी समस्या

प्रीक्लेम्पसिया से पीड़ित महिलाओं में किडनी, मस्तिष्क के साथ अन्य अंग और रक्त प्रणालियों को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रीक्लेम्पसिया से गर्भ नाल प्रभावित हो सकती है। यह स्थिति गर्भाशय में प्लेसेंटा के अलग होने (जिसे प्लेसेंटा एबॉर्शन कहा जाता है), समय से पहले जन्म, और गर्भावस्था के नुकसान या स्टिलबर्थ का कारण बन सकती है। कुछ मामलों में, प्रीक्लेम्पसिया से ओरगन फेल या स्ट्रोक का खतरा भी हो सकता है।

गंभीर मामलों में, प्रीक्लेम्पसिया एक्लेम्पसिया में विकसित हो सकता है, जिसमें दौर भी शामिल हैं। एक्लेम्पसिया में दौरे से एक महिला के लिए खतरा बढ़ सकता है। यदि भ्रूण को प्रसव नहीं होता है, तो ये स्थितियां माँ और भ्रूण की मृत्यु का कारण बन सकती हैं।

ये भी पढ़ें- दिल के मरीजों के लिए संजीवनी साबित हो रही हैं कुछ अत्‍याधुनिक तकनीक, जानिए इनके बारे में सब कुछ

क्या प्रीक्लेम्पसिया से बचाव हो सकता है?

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार वर्तमान में प्रीक्लेम्पसिया को रोकने के लिए कुछ चीजें की जा सकती हैं। क्योंकि कुछ स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं (मधुमेह, उच्‍च रक्‍तचाप, ल्‍यूपस) प्रीक्लेम्पसिया से जुड़ी होती हैं, गर्भवती होने से पहले महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर होना चाहिए। अधिक वजन न हो और गर्भवती होने के बाद उचित वजन को बनाए रखना जरूरी है।

विशेषज्ञ के अनुसार जिन महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया का खतरा अधिक है, जैसे वे महिलाओं जिन्हे पिछली गर्भावस्था के दौरान गंभीर या शुरुआती प्रीक्लेम्पसिया हुआ है। वो इसे रोकने के लिए कम खुराक वाली एस्पिरिन लें सकती है।

गर्भावस्था के दौरान अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए प्रसवपूर्व देखभाल करना सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। प्रीक्लेम्पसिया उन कई चीजों में से एक है, जिन पर आपके डॉक्टर नज़र रखते है लेकिन आपको भी सावधानी रखने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें- डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रख सकता है खाना खाने के बाद सिर्फ 5 मिनट टहलना, यहां जाने कैसे

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
संध्या सिंह
संध्या सिंह

दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज़्म ग्रेजुएट संध्या सिंह महिलाओं की सेहत, फिटनेस, ब्यूटी और जीवनशैली मुद्दों की अध्येता हैं। विभिन्न विशेषज्ञों और शोध संस्थानों से संपर्क कर वे  शोधपूर्ण-तथ्यात्मक सामग्री पाठकों के लिए मुहैया करवा रहीं हैं। संध्या बॉडी पॉजिटिविटी और महिला अधिकारों की समर्थक हैं।

अगला लेख