अनियमित दिनचर्या और अनहेल्दी फूड्स ने जो समस्याएं सबसे ज्यादा बढ़ाई हैं, उनमें कब्ज भी शामिल है। कब्ज न केवल आपको दिन भर डिस्टर्ब रखती है, बल्कि कई और समस्याओं का कारण भी बनती है। बढ़ती उम्र के साथ-साथ कुछ दवाएं भी हैं, जो कब्ज का कारण बनती हैं। कभी-कभार शौच ठीक से न हो पाना, किसी के लिए भी सामान्य है। पर जब लगातार ऐसा होने लगे, तो इस पर ध्यान दिया जाना बहुत जरूरी है। दिसंबर को कब्ज जागरुकता (Constipation Awareness Month) के लिए समर्पित किया गया है। आइए जानते हैं क्रोनिक या भयंकर कब्ज के बारे में और इससे बचने के उपाय।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज की एक रिपोर्ट के अनुसार कब्ज़ किसी तरह की बीमारी नहीं हैं, लेकिन किसी अन्य बीमारी का एक लक्षण जरूर हो सकती है। आमतौर पर कब्ज़ थोड़े या लंबे समय तक के लिए हो सकती है।
लंबे समय तक होने वाली कब्ज़ की समस्या को मेडिकल भाषा में ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ (Chronic Constipation) कहा जाता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यूनाइटेड स्टेट्स में ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ की समस्या एक आम बात है। यूएस में 100 लोगों में से लगभग 16 लोग इस समस्या से पीड़ित है। जिसमें लगभग 33 फीसदी लोगों की उम्र 60 या उससे अधिक है।
जयपुर स्थित नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल में कंसल्टेंट गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि कब्ज़ (Constipation) एक सामान्य समस्या है। इसमें व्यक्ति का बोवेल मूवमेंट कम हो जाता है या अनियमित हो जाता है। जिससे व्यक्ति को मलत्याग करने में समस्याएं होने लगती है। जो बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी को भी हो सकती है।
डॉ. श्रीकांत बताते हैं कि कई लोगों को भ्रम होता है कि यदि वे हर दिन मलत्याग नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें कॉन्स्टिपेशन की समस्या है। जबकि यदि व्यक्ति को तीन से चार दिन तक स्टूल पास करने में समस्याएं हो, तो ऐसी स्थिति को ‘कॉन्स्टिपेशन’ कहा जाता है। वहीं, यदि यह समस्या कई हफ़्तों या कई महीनों तक चलती हैं, तो इसे ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ कहा जाता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अनुसार, व्यक्ति को यदि लंबे समय तक कुछ लक्षण दिखने लगे तो इसका मतलब हैं कि उसे ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन‘ की समस्या है।
– यदि कोई व्यक्ति एक सप्ताह में तीन से कम बार मल त्याग करता है, तो उसे ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ की समस्या है।
– यदि मल हार्ड, ड्राई और लम्प्स जैसा होता है तो यह भी ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ का एक लक्षण है।
-मल त्यागने में कठिनाई या असहनीय दर्द होना।
-ऐसा महसूस होना कि अभी पेट साफ नहीं हुआ है और कुछ बाकी रह गया है।
डॉ. श्रीकांत के अनुसार ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ में सही समय तक डॉक्टर को दिखाना बहुत आवश्यक है। यदि आप भी इस असमंजस में हैं कि आपको होने वाली समस्या आम कॉन्स्टिपेशन है या ‘क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन’ तो आपको सही लक्षण समझ के तुरंत उसका उपचार कराना चाहिए।
यदि अचानक से बिना किसी कारण के आपका वजन घटने लगे तो यह एक संवेदनशील समस्या है, ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
-मलाशय से खून आएं, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
-पेट में लगातार दर्द होना
-गैस पास करने में समस्या होना
-बार-बार उलटी लगना या बुखार की समस्या होना
-पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
1 बढ़ सकती है बोवेल समस्याएं: लंबे समय तक होने वाली कब्ज़ की परेशानी के चलते पाइल्स, फिस्चर और बोवेल प्रोलैप्स जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
2 गैस्ट्रिक समस्याओं में हो सकती है वृद्धि: लंबे समय तक कब्ज़ रहने से में कई गैस्ट्रिक समस्याएं जैसे एसिडिटी, गेस्टोइंटेस्टाइनल रिफ्लक्स और आँतों की प्रोब्लेम्स जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
3 मानसिक समस्याएं: लंबे समय तक कब्ज़ से स्ट्रेस, डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं।
4 असहनीय दर्द: कब्ज़ के कारण पेट में असहनीय दर्द हो सकता है।
यह भी पढ़ें: खराब पोश्चर भी हो सकता है कब्ज और पाचन संबंधी समस्याओं का कारण, जानिए कैसे
डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।