गर्भावस्था एक जटिल समय है। इस समय में शरीर में कई बदलाव हो रहे होते हैं। इस समय मां और गर्भ में पल रहे बच्चे की देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है। जबकि महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान इम्युनिटी भी कमजोर हो जाती है। इसलिए किसी भी तरह का संक्रमण उनके लिए अधिक घातक हो सकता है। मच्छरों के काटने से फैलने वाले मलेरिया के संदर्भ में यही वास्तविकता है। हर साल 10 हज़ार से ज्यादा मातृत्व मृत्यु का कारण बनता है मलेरिया। आइए जानें इस नुकसान काे कैसे रोका जा सकता है।
मलेरिया परजीवी संक्रमण है जो एनोफिलीज मच्छर के काटने (anopheles mosquito bites) से फैलता है। इसकी वजह से हर साल 1 मिलियन से अधिक लोगों की मौतें होती है। इस तरह, तपेदिक के बाद मौत का दूसरा सबसे बड़ा संक्रामक रोग मलेरिया ही है। गर्भवती महिलाओं की प्रतिरोधी क्षमता में कमी के चलते वे इस बीमारी और कई बार इसके कारण मौत की शिकार बनती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया को गरीबी के कारण होने वाला रोग बताया है।
गर्भवती महिलाओं में इसके लक्षण कहीं अधिक गंभीर होते हैं और उनमें जोखिम तथा गर्भपात का खतरा भी होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मलेरिया की वजह से हर साल 10,000 से अधिक मातृत्व मौतें होती हैं। गर्भवती महिलाओं में इसकी वजह से अधिक मौतों की आशंका बढ़ जाती है और उनकी मृत्यु दर 50% तक है। गर्भधारण के दूसरी तिमाही में संक्रमणों की सबसे ज्यादा आशंका रहती है।
1- प्रेगनेंसी में प्रतिरोधक क्षमता कम होना
2- संक्रमित आरबीसी का प्लेसेंटल सीक्वेंस्ट्रेशन
ये परिणाम संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। गर्भवती महिलाओं में एनीमिया और अत्यधिक ग्रोथ रिटार्डेशन/प्री-टर्म डिलीवरी आम है। कम संक्रमण वाले क्षेत्रों में, जहां नॉन-इम्यून प्रेगनेंट महिला मलेरिया की शिकार बनती है, उसकी हालत बिगड़ सकती है और आपातकालीन उपचार की जरूरत हो सकती है।
इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं में मलेरिया की वजह से फेफड़ों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है, वे गंभीर रूप से हाइपोग्लाइसीमिया और कोमा की भी शिकार बन सकती हैं, गर्भपात या मृत शिशु का जन्म भी आम है। संभवत: मलेरिया को गर्भवती महिलाओं की मौतों के जिम्मेदार के रूप में ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया है।
1. खून की माइक्रोस्कोपिक जांच
2. ब्लड की पीसीआर मलेरिया जांच से काफी कम मात्रा में मलेरिया इंफेक्शन का भी पता लगाया जा सकता है।
3. प्लेसेंटल हिस्टोलॉजी – डिलीवरी के बाद प्लेसेंटा को TIPE के लिए भेजा जा सकता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तीन स्तरीय रणनीति को अमल में लाने की सलाह दी गई है-
1- बेहद कारगर दवाओं की मदद से तत्काल इलाज
2- कीटनाशक उपचारित मच्छरदानियों/जालियों का प्रयोग
3- बचाव हेतु उपचार – गर्भावस्था के दौरान जांच के दौरान, बीच-बीच में, जो कि एक-एक महीने के अंतराल पर हो सकता है, नियमत रूप से एंटी-मलेरिया कोर्स करवाया जाए
सबसे बड़ी प्राथमिकता मरीज़ का जीवन बचाने की होती है और इसके लिए उन्हें एंटी-मलेरिया दवाओं को इंजेक्शन से दिया जाना जरूरी है। जब रिकवरी होने लगे तब भी एंटी-मलेरिया दवाओं (गोलियों) जैसे कि कुनैन को जारी रखना, खासतौर से गर्भावस्था की पहली तिमाही में समुचित उपाय है। गर्भवती महिला का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि गर्भावस्था की कौन-सी तिमाही चल रही है और मलेरिया कितना गंभीर है।
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