शरीर के विकास के लिए कार्ब के साथ-साथ प्रोटीन की भी जरूरत पड़ती है। शरीर की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रोटीन नहीं लेने पर प्रोटीन की कमी हो सकती है। आहार में प्रोटीन की कमी स्वास्थ्य पर काफी असर डाल सकती है। प्रोटीन की कमी के संकेत और लक्षण दिखने लगते हैं। इसके कारण सूजन, अवरुद्ध विकास और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (symptoms of protein deficiency) हो सकती है।
प्रोटीन एक आवश्यक मैक्रोन्यूट्रिएंट है। यह एक पोषक तत्व है, जिसकी शरीर को बड़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। यह कोशिकाओं को संरचना और सहायता प्रदान करता है। कोशिकाओं को संचार करने में मदद करता है। यह शरीर को वायरस और बैक्टीरिया से बचाता है। प्रोटीन बच्चों, किशोरों और गर्भवती लोगों को वृद्धि और विकास में भी मदद करता है। इसकी कमी होने पर शरीर में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं।
प्रोटीन की कमी से शरीर में सूजन जैसी स्थिति होने लगती है। इसके कारण क्वाशियोरकोर (kwashiorkor) हो जाता है। इसके कारण शरीर के दोनों तरफ सूजन हो जाती है। क्वाशियोरकोर से पीड़ित लोगों में एल्ब्यूमिन नामक पदार्थ का स्तर कम हो जाता है। एल्बुमिन ब्लड वेसल के अंदर तरल पदार्थ को बनाए रखने में मदद करता है। एल्बुमिन की कमी से शरीर के लिए ब्लड वेसल में तरल पदार्थ को संतुलित करना मुश्किल हो सकता है। परिणामस्वरूप शरीर अधिक पानी और सोडियम को बनाए रखने की कोशिश करता है। इससे सूजन हो जाती है।
यह त्वचा और बालों का एक प्रमुख घटक है। यही कारण है कि प्रोटीन की कमी त्वचा और बालों के स्वास्थ्य को बहुत प्रभावित कर सकती है। प्रोटीन की कमी से त्वचा पीली, रूखी या परतदार दिखाई दे सकती है। बाल अधिक टूटने लग सकते हैं। बालों के झड़ने या सफेद होने का अनुभव भी हो सकता है। इसके कारण स्किन सूखी, पतली या परतदार हो सकती है। वजन कम होने से त्वचा में झुर्रियां पड़ जाती हैं। कान, बगल, कमर और जननांगों पर त्वचा के घाव या सूजन हो सकती है। कम प्रोटीन का सेवन टेलोजन एफ्लुवियम को ट्रिगर कर सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जो अत्यधिक बालों के झड़ने का कारण बनती है।
इसकी बहुत ज्यादा कमी प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब कर सकती है। प्रोटीन एंटीबॉडी बनाने में मदद करता है। यह संक्रमण और अन्य बीमारियों से बचाता है। प्रोटीन की कमी से एंटीबॉडीज कम हो जाती हैं। इससे संक्रमण विकसित होने का खतरा बढ़ सकता है। कम प्रोटीन सेवन का मतलब अक्सर अन्य पोषक तत्वों का कम सेवन होता है। पोषक तत्वों की कमी सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव से जुड़ी होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित कर सकती है। ऑक्सीडेटिव तनाव तब होता है जब शरीर में उन्हें हटाने के लिए उपलब्ध एंटीऑक्सीडेंट की तुलना में अधिक मुक्त कण होते हैं। पाचन के दौरान मुक्त कण उत्पन्न होते हैं। वे कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
स्केलेटल मसल बोन से जुड़ी मांसपेशी है, जो शरीर को चलने में मदद करती है। अधिक मात्रा में प्रोटीन का सेवन स्केलेटल मसल्स और ताकत को बनाए रखने में मदद कर सकता है। जब उपयोग के लिए पर्याप्त प्रोटीन नहीं होता है, तो शरीर ऊर्जा के लिए स्केलेटल मसल्स के ऊतकों को तोड़ देता है। इससे मांसपेशियों में कमी हो जाती है। सरकोपेनिया मांसपेशियों और ताकत का क्रमिक नुकसान है। यह आमतौर पर प्राकृतिक उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के कारण विकसित होता है। पर्याप्त प्रोटीन का सेवन (प्रति दिन शरीर के वजन के प्रति किलोग्राम लगभग 1.6-1.8 ग्राम प्रोटीन) नहीं करने पर सरकोपेनिया की प्रगति तेज हो जाती है।
प्रोटीन मांसपेशियों और हड्डियों का एक आवश्यक घटक है। बोन मुख्य रूप से कोलेजन प्रोटीन से बनी होती हैं। प्रोटीन की कमी से मांसपेशियों और हड्डियों का मास कम हो सकता है। इससे आप थका हुआ और कमजोर महसूस कर सकती हैं। हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों से प्राप्त प्रोटीन की आवश्यकता होती है। खासकर छोटे बच्चों में। बोन डेंसिटी या बोन मिनरल डेंसिटी काफी हद तक आनुवंशिक है। पर्याप्त प्रोटीन का सेवन बच्चों को बॉन डेंसिटी के लिए उनकी जरूरी आनुवंशिक क्षमता तक पहुंचने में मदद करता है। वृद्ध वयस्कों में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है।
प्रत्येक भोजन और ब्रेकफास्ट में प्रोटीन शामिल करें। बीन्स अधिक खाएं। हाई -प्रोटीन विकल्पों के लिए अनाज बदलें। कॉफी और चाय में कोलेजन मिलाएं। नट्स का प्रयोग करें और प्लांट बेस्ड फ़ूड में ड्राई फ्रूट्स और सीड्स का उपयोग करें। नियमित रूप से ग्रीक योगर्ट खाएं। हाई-प्रोटीन कार्ब्स खाएं।
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