कांस्टीपेशन यानी की कब्ज एक बेहद कॉमन प्रॉब्लम बन चुका है। आजकल की लाइफस्टाइल और खान पान की आदतों की वजह से लोग बेहद फ्रिक्वेंटली इसके शिकार हो रहे हैं। वहीं कुछ लोगों में नियमित रूप से कब्ज की शिकायत रहती है। हालांकि, टेंपरेरी बेसिस पर हमें कुछ घरेलू नुस्खे और दवाइयों की मदद से इस परेशानी से राहत मिल जाती है, परंतु कुछ दिनों के बाद यह समस्या वापस से परेशान करने लग जाती है।
इसका सबसे बड़ा कारण है की हम उपचार के बारे में तो बात करते हैं, परंतु इसके कारणों पर किसी तरह की चर्चा नहीं करते हैं। अगर आप इसका परमानेंट सॉल्यूशन ढूंढ रही हैं, तो पहले इसके कारण जानना जरूरी है की आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, फिर जानेंगे इसके कुछ प्रभावी उपचार।
न्यूट्रीशनिस्ट और होम्योपैथ एक्सपर्ट स्मिता पाटिल ने कांस्टीपेशन के कुछ सामान्य कारण बताते हुए, इनके कुछ प्रभावी उपचार भी सुझाए हैं। तो चलिए जानते हैं, आखिर कब्ज की समस्या आपको क्यों परेशान करती है साथ ही जानेंगे इन्हें ट्रीट करने के कुछ जरूरी टिप्स।
डाइट में फाइबर की कमी कब्ज में योगदान कर सकती है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य फ्लूइड का सेवन न करने से डिहाइड्रेशन हो सकता है, जिससे स्टूल सख्त हो सकता है और मल त्याग करने में कठिनाई हो सकती है। साथ ही कब्ज हो जाता है, और बार बार ये आपको परेशान कर सकता है।
शारीरिक गतिविधि की कमी या लंबे समय तक बैठे रहना मल त्याग को धीमा कर सकता है। वर्क फ्रॉम होम में लंबे समय तक स्थिर बैठे रहना भी परेशानी को बढ़ा सकता है और कब्ज में योगदान कर सकता है।
कुछ दवाएं, जैसे ओपिओइड, कैल्शियम या एल्युमीनियम युक्त एंटासिड, एंटीडिप्रेसेंट और ब्लड प्रेशर की दवाओं के साइड इफेक्ट के रूप में कब्ज का कारण बन सकती हैं। दवाइयों के प्रति सचेत रहना भी बहुत जरूरी है।
लंबी यात्रा करना, दैनिक दिनचर्या में बदलाव, या नियमित भोजन के समय में व्यवधान से आंत की आदतें प्रभावित हो सकती है, इसके कारण कब्ज की समस्या हो सकती है।
कुछ चिकित्सीय स्थितियां जैसे इरीटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आईबीएस), हाइपोथायरायडिज्म, डायबिटीज और डाइजेस्टिव डिसऑर्डर कब्ज में योगदान कर सकते हैं।
स्टूल को चिकना करने और इसे नियमित रखने के लिए पाचन स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है। नियमित शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने और खुदको शारीरिक रूप से सक्रिय रखने से पाचन क्रिया स्वस्थ रहती है। साथ ही खाद्य पदार्थ को पचाने में आसानी होती है, जिससे कि बॉवेल मूवमेंट नियमित रहता है।
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अपने ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर का एक उचित समय बनाएं और उसी समय पर खाने की आदत बनाएं। साथ ही मल त्याग करने का भी समय निर्धारित करना बहुत जरूरी है। यह आपके शरीर के प्राकृतिक आंत पैटर्न को विनियमित करने में मदद करता है।
अपने आहार में फाइबर की मात्रा को बनाएं रखना जरूरी है। इसके लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों जैसे की फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियों को शामिल करें। प्रतिदिन 25 से 30 ग्राम फाइबर खाने का लक्ष्य रखें। फाइबर पाचन क्रिया को संतुलित रखता है, और बॉवेल मूमेंट को रेगुलेट करता है।
डिहाइड्रेशन कब्ज का एक सबसे बड़ा कारण है। पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड और अन्य हाइड्रेटिंग ड्रिंक का सेवन करें। बॉडी में पर्याप्त मात्रा में पानी रहने से मल को नरम रखने में मदद मिलती है, और कब्ज की समस्या नहीं होती।
भारतीय शैली के शौचालय का उपयोग करें या पॉटी स्टूल का उपयोग करें। यह आसानी से मल त्यागने के लिए आपके शरीर की स्थिति को सही करता है।
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