दिल्ली एनसीआर में डेंगू के मामले बढ़ रहे (Dengue fever Cases rise in Delhi NCR) हैं। इस सीज़न में दिल्ली एनसीआर में अब तक 300 से अधिक मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं। कई ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें बूढों, बच्चों और जवान लोगों के लिए डेंगू प्राणघातक (Deadly Dengue Fever) बन गया। आने वाले हफ्तों में यह संख्या और अधिक होने की उम्मीद जताई जा रही है। दरअसल, डेंगू के कारण प्लेटलेट्स की संख्या बहुत तेजी से घटने (Dengue causes decrease in platelets count immediately) लगती है। इसलिए डेंगू के खतरे को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना जरूरी (Precaution for Dengue) बन जाता है। इससे पहले विशेषज्ञ से यह जानना जरूरी है कि डेंगू के कारण प्लेटलेट्स की संख्या क्यों कम (Dengue decrease the platelets count) हो जाती है।
डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो डेंगू वायरस (DENV) के कारण होता है। यह संक्रमित मच्छरों के काटने से मनुष्यों में फैलता है। दुनिया की लगभग आधी आबादी डेंगू के खतरे में है। वर्ल्ड हेल्थ ओर्गेनाइजेशन के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 10-40 करोड़ लोग इससे संक्रमित हो जाते हैं।
दिल्ली के प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल (Primus Super Speciality Hospital) में एचओडी-इंटरनल मेडिसिन डॉ. अनुराग सक्सेना बताते हैं, ‘ डेंगू से प्रभावित व्यक्ति में प्लेटलेट्स महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्लेटलेट्स अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में ब्लड सेल्स हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति में 1.5 लाख से 4 लाख तक ब्लड प्लेटलेट्स (Blood Platelets) होते हैं। डेंगू के कारण प्लेटलेट काउंट में कमी हो सकती है। इससे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (thrombocytopenia) स्थिति उत्पन्न हो सकती है। प्लेटलेट्स ब्लड के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार होते हैं। कम प्लेटलेट काउंट से ब्लीडिंग और इससे होने वाली जटिलता ( bleeding and haemorrhage) का खतरा बढ़ सकता है। जटिलता से बचने के लिए प्लेटलेट लेवल का सही स्तर बना रहना जरूरी है।’
डॉ. अनुराग सक्सेना बताते हैं, ‘ डेंगू बुखार के कारण प्लेटलेट काउंट में कमी हो जाती है, जिसे थ्रोम्बोसाइटोपेनिया कहा जाता है। डेंगू वायरस सीधे बोन मैरो को प्रभावित करता है, जहां प्लेटलेट्स का उत्पादन होता है। इससे प्लेटलेट्स प्रोडक्शन कम हो जाता है। इसके अलावा, वायरस ब्लड फ्लो में प्लेटलेट्स की तोड़फोड़ (dengue virus causes platelets damage) बढ़ा देता है।
डेंगू संक्रमण के कारण इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है, जिससे प्लेटलेट लेवल में गिरावट हो जाती है। इसका बुरा प्रभाव सभी जीवनरक्षक अंगों पर पड़ने लगता है। धीरे-धीरे किडनी, हार्ट, ब्रेन जैसे जरूरी अंग काम करना बंद कर देते हैं और आदमी की मौत हो जाती है। ध्यान रखना जरूरी है कि डेंगू से संबंधित थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के ज्यादातर मामले क्षणिक होते हैं। संक्रमण कम होने पर यह समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाती है।’
डॉ. अनुराग सक्सेना के अनुसार, प्लेटलेट काउंट लाखों से घटकर हजारों में आ सकता है। इससे प्रभावित व्यक्ति के लिए यह एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है। लक्षणों को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल उपचार और दवा लेना बहुत जरूरी है। बीमारी के चौथे या पांचवें दिन के बाद प्लेटलेट्स कम होने लगते हैं, जिससे मरीज को पूरा दिन कमजोरी महसूस होती है।’
डॉ. अनुराग सक्सेना ने माना कि डेंगू में ब्लड प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाने का सबसे कारगर उपाय ब्लड ट्रांसफ्यूज़न (Blood transfusion to increase blood platelets count) है। रोगी को दिया जाने वाला ब्लड इंजेक्शन प्लेटलेट काउंट को बढ़ाने में मदद करता है। यह रोगी को जल्दी ठीक होने में मदद करता है। प्लेटलेट काउंट अपने ओरिजनल रूप में कम से कम 72 घंटों के बाद आ पाती है। यह प्रक्रिया कुछ दिनों तक भी चल सकती है। रोगी की स्थिति के आधार पर डॉक्टर ब्लड ट्रांसफ्यूज़न की मात्रा का निर्णय लेते हैं।
ब्लड ट्रांसफ्यूज़न के बावजूद डेंगू के मरीज को उचित खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी है। इससे भी ब्लड प्लेटलेट्स को बढ़ाया जा सकता है। पत्तेदार सब्जियां, आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ, दाल, कद्दू के बीज, पपीता और पपीता के पत्ते, डेयरी उत्पाद और कई अन्य पोषक तत्वों से भरपूर फल और सब्जियां स्वाभाविक रूप से ब्लड प्लेटलेट काउंट बढ़ाने (Foods tobone increase blood platelets count) में मदद करते हैं।
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