एक हेल्दी प्रेगनेंसी के लिए फैमिली प्लानिंग बहुत जरूरी है। अनसेफ सेक्स और अनप्लांड प्रेगनेंसी मैटरनल मोर्टालिटी का कारण बन सकती हैं। क्या आपको “मैटरनल मोर्टालिटी” के बारे में मालूम है? यदि नहीं तो आपको इस बारे में जरूर जानना चाहिए। हालांकि, आज के समय में भारत में लोग सेहत के प्रति जागरुक हो रहे हैं, और मेडिकल संबंधी सुविधाएं भी विकसित हो रही हैं, जिसकी वजह से मैटरनल मोर्टालिटी रेट में कमी आई है। नेशनल सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा प्रकाशित डेटा के अनुसार 2018 से 2020 में 97/100000 लाइव बर्थ के आंकड़े सामने आए, वहीं 2014 से 16 में 130/100000 के आंकड़े थें। यानी की दोनों डेटा में लगभग 33 पॉइंट से कमी देखने को मिली।
हालांकि, यदि मैटरनल मोर्टालिटी (Maternal Mortality) की समस्या के मुख्य कारणों को समझ लिया जाए, या इनसे बचाव के तरीके मालूम हो तो इसे पूरी तरह से रोका जा सकता है। इस विषय पर अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थ शॉट्स ने सीके बिरला हॉस्पिटल गुरुग्राम की गाइनेकोलॉजिस्ट डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉक्टर दीपिका अग्रवाल से बात की। तो चलिए जानते हैं, मैटरनल मोर्टालिटी के कारण और उपचार को लेकर क्या है एक्सपर्ट की राय।
मातृ मृत्यु दर यानी की मैटरनल मोर्टालिटी को प्रेगनेंसी के दौरान, चाइल्ड बर्थ के दौरान या प्रेगनेंसी टर्मिनेशन के 42 दिनों के भीतर महिला की असामयिक मृत्यु के रूप में परिभाषित किया गया है। यह एक ग्लोबल हेल्थ कंसर्न बना हुआ है। इसमें महिलाएं अपने जीवन के एक बेहद खूबसूरत जर्नी के दौरान अपनी जान गवां देती हैं। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं, जिसे लेकर महिला एवं पुरुष दोनों कपल्स को जागरूक रहना चाहिए, खासकर यदि आप बेबी प्लान कर रहे हैं।
मातृ मृत्यु के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। मैटरनल मोर्टालिटी के प्रमुख कारणों में ऑब्स्ट्रक्टेड लेबर, अधिक ब्लीडिंग और संक्रमण शामिल हैं, खासकर उन क्षेत्रों में इसकी संख्या बढ़ जाती है, जहां इमरजेंसी हेल्थ केयर या चाइल्डबर्थ अटेंडेंट की सुविधा उपलब्ध नहीं है।
मैटरनल हेल्थ के लिए एक और बड़ा खतरा अनसेफ अबॉर्शन है। अबॉर्शन को लेकर बने कानून के प्रति जागरूक न होने के कारण भी बहुत सी महिलाएं हैं, जो अनसेफ अबॉर्शन करवाती हैं। इसके अलावा हेल्थ केयर की सुविधा उपलब्ध न होने से भी इसका खतरा बढ़ जाता है।
प्रेगनेंसी में यदि प्री-एक्लम्पसिया और एक्लम्पसिया जैसी हाइपरटेंसिव डिसऑर्डर का समाधान नहीं किया जाए, तो मां और बच्चे दोनों के लिए गंभीर कठिनाइयां पैदा हो सकती हैं। मैटरनल मोर्टालिटी रेट्स संक्रमणों से और अधिक प्रभावित होती है, जो अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल बुनियादी ढांचे और खराब स्वच्छता के कारण और भी बदतर हो जाती है।
सामाजिक-आर्थिक कारक जो प्रेगनेंसी और चाइल्डबर्थ के दौरान कठिनाइयों के प्रति एक महिला की संवेदनशीलता को बढ़ा देते हैं। उपचार तक उसकी पहुंच को प्रतिबंधित कर देते हैं। गरीबी, शिक्षा की कमी और पोषक तत्वों से भरपूर भोजन न मिलना, इन सभी फैक्टर्स की वजह से मैटरनल मोर्टालिटी के जोखिम का स्तर बढ़ जाता है।
मैटरनल मोर्टालिटी का एक सबसे बड़ा कारण है “अबॉर्शन”। इस स्थिति को अवॉइड करने के लिए हमेशा अनप्लांड प्रेगनेंसी से बचने का प्रयास करना चाहिए। अनप्लांड प्रेगनेंसी को अवॉइड करने के लिए महिलाएं तरह-तरह के कांट्रेसेप्टिव पिल्स लेना शुरू कर देती हैं। इसके अलावा अनसेफ अबॉर्शन प्रैक्टिस जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में सबसे जरूरी है की आप जब तक पूरी तरह से मां बनने को तैयार नहीं हों तब तक सेक्स करते हुए प्रोटेक्शन का पूरा ध्यान रखें।
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वहीं यदि अनप्लांड प्रेगनेंसी को अवॉइड करना चाह रही हैं, तो इससे पहले सेफ अबॉर्शन सर्विसेज को ठीक से समझें और इसके बारे में अच्छी तरह जान लें। साथ ही साथ पोस्ट अबॉर्शन केयर की क्वालिटी पर ध्यान देना भी बेहद महत्वपूर्ण है।
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कस्टमाइज़ करेंबेबी प्लान करने से पहले या कंसीव करने के पहले यह अवश्य सुनिश्चित करें कि आपके आसपास इमरजेंसी डिलीवरी, चिकित्सा देखभाल और प्रेगनेंसी जांच केंद्र की सुविधा उपलब्ध हो। इससे किसी भी आपातकालीन समय में बेहतर इलाज प्राप्त करना आसान होता है, और इससे मैटरनल मोर्टालिटी रेट को कम किया जा सकता है।
महिलाओं की बॉडी को चाइल्डबर्थ के बाद विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। वहीं बहुत सी महिला ऐसी हैं, जो प्रेगनेंसी के बाद अपने शरीर पर ध्यान देना कम कर देती हैं या शरीर को नजरअंदाज करना शुरू कर देती हैं, जो आगे चलकर महिलाओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पोस्टपार्टम केयर न मिलने के कारण बहुत सी महिलाएं गंभीर समस्याओं का शिकार हो जाती हैं, वहीं ऐसे में कुछ महिलाएं अपनी जान भी गवां देती हैं।
पोस्टपार्टम केयर के तौर पर अपने शरीर को उचित आराम दें, साथ ही पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इतना ही नहीं डिलीवरी के बाद महिलाओं को अपनी इंटिमेट हेल्थ का भी उतना ही ध्यान रखना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार का संक्रमण उन्हें परेशान न कर सके।
हॉस्पिटल्स और हेल्थकेयर सेंटर्स में सर्विस क्वालिटी इंप्रूवमेंट की सख्त आवश्यकता है। कई बार स्टाफ की गलती और लापरवाही की वजह से पेशेंट को अपनी जान गवानी पड़ती है। खासकर प्रेगनेंसी के केस में अधिक एक्टिव रहने की आवश्यकता होती है, इसके प्रति बरती गई छोटी सी लापरवाही भी हैवी ब्लड लॉस, प्रीमेच्योर बर्थ, मैटरनल मोर्टालिटी का कारण बन सकती है। एक्सपीरियंस्ड और वेल वर्किंग स्टाफ्स को सिलेक्ट करें।
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