गर्मियों के मौसम में आप चाहे सुबह बाहर निकल जाएं या शाम को दोनों समय गर्म हवाओं के थपेड़ों से आप बच नहीं सकते है। ये लू अगर एक बार आपको लग गई तो हल्के से बहुत ज्यादा तक बीमार कर सकती है। इसलिए इस लू से बचना बहुत जरूरी है। इसके लिए आपको कुछ उपाय अपनाने चाहिए जैसे बाहर न निकलना, अगर बहुत जरूरी है तो अपने शरीर को हाइड्रेट रखने पर ध्यान देना जरूरा है। अगर आपको लू लग जाती है तो आपके इसके कुछ लक्षण दिखते है। हल्के लक्षणों को आप खुद ठीक कर सकते है, लेकिन लक्षण खराब होने पर डॉक्टर से मिलने की जरूरत होती है।
हीट स्ट्रोक काफी गंभीर मेडिकल स्थिति है। जो तब होती है जब शरीर का तापमान खतरनाक रूप से उच्च स्तर तक बढ़ जाता है, आमतौर पर 104 डिग्री फ़ारेनहाइट से ऊपर। यह गर्मी से संबंधित बीमारी का सबसे गंभीर रूप है और इसके लिए समय से इलाज की जरूरत होती है क्योंकि ये आपके जीवन के लिए खतरनाक है।
कंसलटेंस क्रीटिकल केयर मेडिसन और एमबीबीएस डॉ. रिचा तिवारी ने बताती है कि हीट स्ट्रोक तेजी से विकसित हो सकता है, खासकर गर्म और उमस वाले वातावरण में या ज़ोरदार शारीरिक एक्टिविटी के दौरान जब शरीर की पसीने के माध्यम से खुद को ठंडा करने की क्षमता खत्म हो जाती है। सामान्य लक्षणों में शरीर का उच्च तापमान, मानसिक स्थिति या व्यवहार में बदलाव, गर्म और सूखी त्वचा, तेज़ पल्स, सिरदर्द, चक्कर आना, उलटी हो सकते है।
अत्यधिक गर्मी में निकलने से, खास तौर पर हीटवेव के दौरान या गर्म वातावरण में, शरीर की तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। अगर गर्मी में निकलने के बाद आपने शरीर के तापमान के कम नहीं कर पा रहें है तो हीटस्ट्रोक का खतरा रहता है।
जब शरीर पसीने के माध्यम से तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे सोडियम और पोटेशियम) को तेजी से खो देता है, तो डिहाइड्रेशन होता है। इससे शरीर की पसीना बहाने और खुद को ठंडा करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
बहुत अधिक गर्म वातावरण में ज़ोरदार शारीरिक एक्टिविटी में शामिल होने से हीट स्ट्रोक हो सकता है, खासकर अगर व्यक्ति गर्मी को सहन करने के अनुकूल नहीं है या आराम करने और ठंडा होने के लिए पर्याप्त ब्रेक नहीं लेता है।
डॉ. रिचा तिवारी कहती है कि अगर आप अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक एक्सरसाइज करते है तो आपके शरीर में बहुत गर्मी पैदा हो जाती है जिसे बाहर निकालना मुश्किल हो जाता है। जिससे हीट स्ट्रोक हो सकता है।
शिशु, छोटे बच्चे, बुजुर्ग व्यक्ति और कमज़ोर इम्यूनिटी वाले लोग हीट स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनके शरीर में तापमान को नियंत्रित करने की कम क्षमता होती है। उनका शरीर गर्मी के तनाव को भी नहीं झेल पाता है।
अत्यधिक कपड़े पहनना जो गर्मी को रोकते हैं या बहुत अधिक उमस वाले वातावरण में रहना जो पसीने के सूखने या बाहत निकलने को बाधित करता है, हीट स्ट्रोक में भी योगदान दे सकता है।
शरीर का तापमान 103 डिग्री फ़ारेनहाइट या उससे ज़्यादा होना
समझने में परेशानी होना
होश में न रहना
गर्म और सूखी त्वचा जो लाल दिखाई देती है
तेज़ पल्स
भारी सांस लेना
तेज़ सिरदर्द
चक्कर आना या सिर हल्का महसूस होना
बेचैनी या उल्टी
कमज़ोरी
थकान
ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
अगर आपको ऐसा लग रहा है कि किसी को हीट स्ट्रोक है, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। अगर आपको शरीर का तापमान बहुत अधिक लग रहा है, बेहोशी हो रही है, पल्स रेट बहुत तेज है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो ऐसी स्थिति मे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। हीट स्ट्रोक एक गंभीर मेडिकल कंडीशन है जिसमें बहुत अधिक तबीयत खराब हो सकती है। इसमें अगर समय रहते इलाज नहीं मिला तो हालत और अधिक खराब हो सकती है।
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