अधिकांश भारतीय खाना पकाने के तरीके में तेल एक प्रमुख घटक है। अकसर रसोई में किसी फ़ूड को तल कर उस तेल का दोबारा इस्तेमाल कर लिया जाता है। इसके पीछे सोच होती है-तेल को बर्बाद नहीं होने देना। पहली बात कि फ़ूड को बार-बार तलना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। यदि इस कुकिंग आयल का दोबारा इस्तेमाल किया जाता है, तो यह हमारे स्वास्थ्य को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा देता है। इससे कोलेस्ट्रॉल लेवल हाई होता है। हार्ट हेल्थ प्रभावित होता है। विशेषज्ञ से जानते हैं कि कुकिंग आयल का दोबारा इस्तेमाल किस तरह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा (reusing cooking oil effect ) सकता है।
खाद्य तेल के बार-बार उपयोग करने और तलने से टोटल पोलर कंपाउंड या टीपीसी का निर्माण होता है। यह कंपाउंड स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। तेल को दोबारा गर्म करने के कारण कुकिंग आयल के पोषण और रासायनिक गुण काफी प्रभावित होते हैं।
न्यूट्रिशन जर्नल के अध्ययन बताते हैं कि खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से हानिकारक विषाक्त पदार्थ निकल सकते हैं। इसमें ट्रांस-फैट का प्रतिशत बढ़ सकता है। इसके कारण फ्री रेडिकल्स अधिक मात्रा में प्रोडूस होते हैं। यह हानिकारक प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है। इसके कारण कई गंभीर रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार, तेल को कई बार गर्म करने से एडलेहाइड उत्पन्न होता है, जो एक प्रकार का टॉक्सिक पदार्थ है। यह शरीर में कैंसर कोशिकाएं बना सकता है।
कुकिंग आयल को दोबारा गर्म करने से ब्लड सेल्स में फ्री रेडिकल्स सर्ज हो जाते हैं। इससे न सिर्फ ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है, बल्कि इन्फ्लेमेशन भी बढ़ जाता है। इन्फ्लेमेशन कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सूजन उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन क्रोनिक सूजन कुछ कैंसर, जॉइंट इन्फ्लेमेशन, एथेरोस्क्लेरोसिस, पेरियोडोंटाइटिस और हे फीवर सहित विभिन्न बीमारियों के खतरे को बढ़ा सकती है।
तेल में किसी भी प्रकार का फ़ूड पार्टिकल नहीं रहना चाहिए, क्योंकि बैक्टीरिया उन पर फ़ीड करते हैं या बढ़ते हैं। जब इस्तेमाल किए गए तेल को रेफ्रिजरेटनहीं किया जाता है, तो क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिनम बैक्टीरिया की वृद्धि देखी जा सकती है। इससे बोटुलिज़्म हो जाता है, जिससे फ़ूड पॉइजन का खतरा बढ़ जाता है।
तेल के दोबारा उपयोग करने या दोबारा गर्म करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- बार-बार एसिडिटी का अनुभव होना और कोलेस्ट्रॉल लेवल में वृद्धि। तेल में मौजूद सैचुरेटेड फैट कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकते हैं। नारियल तेल, पाम आयल यहां तक कि सरसों तेल या किसी भी प्रकार के खाद्य तेल को दोबारा गर्म किया जाता है, तो तेल में पाए जाने वाले संतृप्त वसा बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को बढ़ा सकते हैं।
तेल को दोबारा गर्म करने से लोगों के स्वास्थ्य पर कई हानिकारक प्रभाव पड़ सकते हैं। तेल को बहुत अधिक समय तक गर्म न करना, तलने से पहले खाद्य पदार्थों में नमक न मिलाना, तेल में फ़ूड पार्टिकल के जमा होने से बचाना फ़ूड रीहीटिंग के दुष्प्रभाव से बचा सकता है। एफएसएसएआई यानी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल को इकट्ठा करके उसे बायो-डीजल में बदलने के लिए राष्ट्रव्यापी इको-सिस्टम बनाने के लिए कहा है।
1 जुलाई 2019 से, देश के सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को तलने के लिए उपयोग किए जाने वाले तेल की गुणवत्ता की सख्ती से निगरानी करने के लिए कहा गया है। खाद्य प्राधिकरण ने फ़ूड टेस्ट के लिए परीक्षण प्रोटोकॉल भी बनाए हैं।
तेल का दोबारा उपयोग करने से बचने के लिए भोजन को कम मात्रा में पकाएं।
खाना पकाने के तेल का दोबारा उपयोग करने से बचने के लिए ताजा भोजन पकाने और खाने की कोशिश करें।
सड़क किनारे मिलने वाले स्ट्रीट फ़ूड, जंक फूड, तले-भुने भोजन खाने से बचें।
तेल को ठंडा होने दें और फिर इसे पेपर कॉफ़ी फ़िल्टर या पेपर टॉवल के माध्यम से छान लें और उसे सही आकार के कंटेनर में रखें।
तेल को किसी ठंडी, अंधेरी जगह में रखें।
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