ट्रेंड कर रहे स्मोकी, कैटी और कट क्रीज आई मेकअप के इस दौर में कहीं आप अपनी आंखों की सेहत को तो नहीं खो रहीं। मेकअप आपकी आंखों को जितना खूबसूरत बनाता है उससे कहीं ज्यादा इसे प्रभावित भी करता है। यदि आप नियमित रूप से आई मेकअप कर रही हैं, तो यह आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है। ऐसे में आई मेकअप करने से पहले कुछ आवश्यक जानकारी होना जरूरी है। आपकी आंखों के स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है रेगुलर आई मेकअप (can makeup cause blurry vision), आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
आंखों के मेकअप को लेकर अक्सर महिलाएं यह सवाल करती हैं कि क्या आई मेकअप केवल आंखों की बाहरी स्किन को प्रभावित करता है? या इसका प्रभाव आंखों के अंदर भी पड़ सकता है। तो इस बात का उचित जवाब ढूंढने के लिए हमने पारस हॉस्पिटल, गुरुग्राम के एचओडी और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ ऋषि भारद्वाज से बात की। उन्होंने इस बारे में कुछ जरूरी बातें बताई हैं, जिसकी जानकारी सभी महिलाओं को होनी चाहिए। तो चलिए जानते हैं मेकअप और आई से जुड़े कुछ जरूरी फैक्ट्स।
डॉ ऋषि भारद्वाज इस बात पर सहमति जताते हैं कि रेगुलर आई मेकअप न केवल आपकी आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। बल्कि लंबे समय तक इनका इस्तेमाल आपके विज़न को भी प्रभावित करता है। ज्यादा आईमेकअप केमिकल युक्त प्रोडक्ट के इस्तेमाल से होते हैं। जिनका लोड सिर्फ बाहरी स्किन पर ही नहीं पड़ता, बल्कि ये आंखों के अंदरूनी हिस्से को भी प्रभावित करते हैं।
डॉ ऋषि भारद्वाज बताते हैं, “मेकअप प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल आंखों के लिए नुकसानदेह होते हैं। मेकअप लगाते वक्त बरती गई लापरवाही आपकी आंखों के इनर एरिया में होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बन सकती है। मस्कारा, आईलाइनर, आईशैडो जैसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आंखों को बैक्टीरिया और जर्म्स का घर बना सकता है।”
वे आगे कहते हैं, “यदि आप नियमित रूप से लंबे समय तक इन मेकअप प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल कर रही हैं, तो आपके लिए बैक्टीरियल इनफेक्शन का जोखिम ज्यादा हो सकता है। यदि आप एक बार आई इन्फेक्शन का शिकार हो चुकी हैं, तो दोबारा अपने पुराने आई मेकअप का इस्तेमाल न करें। आंखों पर इस्तेमाल होने वाले मेकअप प्रोडक्ट्स को कभी भी शेयर न करें क्योंकि यह इन्फेक्शन को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक ट्रांसफर कर सकता है।”
मेइबोमियन ग्लैंड आपके आईलिड के बिल्कुल किनारे पर होती है। आईलैशेस के नीचे की लाइनिंग काफी सेंसिटिव होती है। परंतु आई लाइनर और आर्टिफिशियल आई लेंस का प्रयोग भी सबसे ज्यादा इन्हीं पर किया जाता है। मेइबोमियन ग्लैंड एक प्रकार का ऑइली सब्सटेंस रिलीज करता है जिसकी वजह से आपकी आंखों में आंसू आते हैं।
पर जरूरत से ज्यादा और लंबे समय तक मेकअप का इस्तेमाल ग्लैंड के अंदर जाकर इन्हें ब्लॉक कर देता है और ऑयली सब्सटेंस बाहर नहीं आ पाते। जिस वजह से आंखों के किनारे सूजन की समस्या हो सकती है। ड्राई आई, इरिटेशन, धुंधलापन और आंखों के लाल होने जैसी समस्याएं भी इससे पैदा हो सकती हैं।
आजकल आंखों को खूबसूरत दिखाने के लिए महिलाएं तरह-तरह के कलरफुल लेंसेज का इस्तेमाल कर रही हैं। ऐसे में मेकअप और लेंस दोनों को एक साथ लगाने से आंखों के प्रभावित होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है। जब आप मेकअप करती है और फिर लेंस लगाती है, तो मेकअप के महीन कण आपकी आंखों के अंदर चले जाते हैं। लैंस के पीछे इनके लंबे समय तक दबे रहने के कारण आंखों में इरिटेशन और इन्फेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है।
यदि आप इसका इस्तेमाल कर रही हैं, तो मेकअप ब्रश को बिल्कुल फ्रेश रखें। ताकि मेकअप के पार्टिकल आपकी आंखों के अंदर न जाएं। हमेशा मेकअप करने के बाद लेंस लगाने से पहले आंखों के अंदर के एरिया को साफ कर लें।
एलर्जी रिएक्शन
इंफेक्शन
आईलैशेस का झड़ना
ब्लरी विजन
ड्राई आइस
कॉर्निया पर स्क्रैच आना
ब्लेफेराइटिस की समस्या हो सकती है।
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कस्टमाइज़ करेंसबसे पहले जितना हो सके उतना आंखों पर मेकअप लगाने से बचें। यदि लगा भी रही हैं, तो नियमित रूप से आंखों पर मेकअप न करें। साथ ही मेकअप लगाते हुए इन बातों का ध्यान जरूर रखें :
सोने से पहले मेकअप हटाना कभी न भूलें।
आई मेकअप प्रोडक्ट्स और आई ब्रश को किसी भी कीमत पर शेयर न करें।
आंखों पर ज्यादा पुराने मेकअप का इस्तेमाल न करें।
आई ग्लैंड का ध्यान रखते हुए ऑयल फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
मेकअप करते वक्त पूरी तरह सावधानी बरतने की कोशिश करें। ताकि मेकअप आंखों के अंदर न जाए।
आई मेकअप ब्रश को हर बार मेकअप करने के बाद साफ करें।
इन दिनों तरह-तरह के आई लैंस बाजार में हैं। इनके इस्तेमाल के प्रति पूरी तरह सतर्क रहें।
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