कभी-कभी पेट में लगातार दर्द होता है। यह दर्द मरोड़ की तरह होता है और फिर वॉशरूम जाने की इच्छा होती है। पूप (Poop) को चेक करने पर आपको पता चलता है कि पूप का कलर सामान्य से अलग है। यहां पर आपको सावधान होने की जरूरत है। यह बॉवेल कैंसर (Bowel Cancer) के भी लक्षण हो सकते हैं। इसे कोलोरेक्टल कैंसर (Colorectal cancer) भी कहा जाता है। जरूरी है कि आप पूप के माध्यम से आने वाले इसके संकेतों (Colorectal cancer signs) को पहचानें।
अमेरिका में यह तीसरा सबसे प्रचलित कैंसर है। जब हम भारत की बात करते हैं, तो आंकड़े बताते हैं कि कोलोरेक्टल कैंसर दुनिया भर में एक आम कैंसर है। इसके अधिकांश मामले विकसित देशों में पाये जाते हैं।
भारत में कोलोरेक्टल कैंसर का प्रसार अभी तक कम है। एनुअल इंसिडेंस रेट्स बताते हैं कि भारत में कुल 1 लाख लोगों की अनुमानित जनसंख्या में 4.4 प्रतिशत पुरुष और 3.9 प्रतिशत महिलाएं कोलन कैंसर की मरीज हैं।
पूप के रंग और प्रकार का आपकी सेहत से क्या कनेक्शन है यह जानने के लिए हमने बात की गैस्ट्रोइन्टेरोलॉजिस्ट डॉ. अजय खन्ना से। डॉ. अजय खन्ना चिंता जताते हैं कि खराब खानपान के कारण अब भारत में भी बॉवेल कैंसर (Bowel cancer in India) के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
डायजेस्टिव ट्रैक्ट का अंतिम भाग है कोलन। शुरुआत में कोलन के अंदर एक छोटा नन कैंसरस क्लम्प सेल्स (Non Cancerous Clump Cells) बन जाता है। इसे पॉलिप(Polyp) कहा जाता है। यही पॉलिप आगे चलकर कॉलन कैंसर बन जाता है। कैंसर के कारण मल में खून आने लगता है। इसके कारण बार-बार मल आने लगते हैं। मल ढीला भी हो सकता है।कोलन कैंसर के कारण पेट में दर्द भी होता है।
डॉ. खन्ना बताते हैं कि कोलन कैंसर के कारण पूप के स्ट्रक्चर और कलर में काफी बदलाव आ सकता है।
कोलन कैंसर के कारण पूप की आदतों में पूरी तरह बदलाव आ जाएगा। आप सुबह-शाम जाने के अलावा, कई बार मल त्याग की जरूरत महसूस करने लगेंगी। इससे दस्त भी हो सकता है और आप बार-बार शौच जाने लगेंगी। वहीं इसके उलट कई बार मल सख्त होने या न होने अर्थात कब्ज की समस्या भी हो सकती है।
इसके कारण डायजेसटिव ट्रैक्ट में ब्लीडिंग होने लगती है। जरूरी नहीं है कि रेक्टल ब्लीडिंग हमेशा कैंसर से रिलेटेड होती हो। पाइल्स या फिशर के कारण भी खून गिरता है। कैंसर के कारण होने वाले स्टूल डार्क ब्राउन, मरून और ब्लैक दिखाई देने लगते हैं। यदि आपको किसी भी प्रकार की आशंका हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।
कोलन लार्ज इंटेस्टाइन भी कहलाता है। वेस्ट मैटीरियल जब रेक्टम से पास करता है, तो ट्यूमर की उपस्थिति के कारण यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है। इससे स्टूल का साइज और शेप भी बदल जाएगा। इससे पेंसिल जैसा पतला पूप हो सकता है।
यदि जोर लगाने के बावजूद पूप नहीं निकाल पा रही है, तो इसकी वजह से कॉन्स्टिपेशन हो सकता है।
कब्ज के बावजूद निश्चित समय पर वॉशरूम जाएं। क्योंकि नियमित रूप से वॉशरूम जाने की आपकी आदत छूट जा सकती है। इसे दोबारा पटरी पर लाने में समय लगेगा।
ऊपर बताई गई किसी भी स्थिति से सामना करने पर घरेलू उपचार करने की बजाय डॉक्टर से संपर्क करें।
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