छोटी उम्र और किशोरावस्था में ही आंखों का कमजोर हो जाना आज के टाइम पर एक बड़ी समस्या है। एक वक्त पर जब आंखों की रोशनी सिर्फ बुजुर्गों में कम होती थी, लेकिन अब छोटे-छोटे बच्चे भी चश्मा लगाए हुए दिख जाते हैं। हो सकता है कि आपके घर में ही कोई ऐसा व्यक्ति हो या आप खुद हो जिसकी उम्र से पहले ही आंखों की रोशनी कम होने लगी है। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की कि आखिर आंखों की रोशनी कम होने के पीछे का कारण क्या है?
आमतौर पर आंखों की रोशनी खराब होने के पीछे का कारण रिफ्रेक्टिव एरर होता है। जिसके कारण मायोपिया, हाइपरोपिया की समस्या बढ़ जाती है। अपवर्तक त्रुटियां तब विकसित होती हैं जब आंख सीधे रेटिना पर प्रकाश केंद्रित करने में असमर्थ होती है।
आज के वक्त में ज्यादा स्क्रीन टाइम बिताना बच्चों में कमजोर दृष्टि का मुख्य कारण बन रहा है। उम्र 5 साल हो या 22 साल हर कोई अपने दिन के आधा से ज्यादा वक्त स्क्रीन टाइम पर बिता रहा है। फिर चाहे वो टीवी हो मोबाइल हो या फिर लैपटॉप। कोरोना वायरस संक्रमण के काल में वर्क फ्रॉम होम के कारण युवाओं का भी स्क्रीन टाइम काफी बड़ा जिसके कारण भी आंखें कमजोर हो गई और चश्मा पहनने की नौबत आ गई।
हां! आप क्या खाती हैं यह भी आपकी आंखों की रोशनी कम होने के पीछे का कारण हो सकता है। हमारे शरीर के हर अंग को बेहतर तरीके से काम करने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है। आंखों के लिए विटामिन और मिनरल्स बहुत जरूरी है। डाइट में इनकी कमी आंखों की समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं। हावर्ड हेल्थ पब्लिशिंग पर मौजूद जानकारी के अनुसार विटामिन ए, सी, और ई, साथ ही खनिज जस्ता में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जो मैकुलर डिजनरेशन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
गाजर,लाल मिर्च, ब्रोकोली, पालक, स्ट्रॉबेरीज, शकरकंद साइट्रस व बेहतर आंखों के स्वास्थ्य के लिए ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे अलसी की भी सिफारिश की जाती है।
नेशनल आई इंस्टीट्यूट के अनुसार टाइप 2 मधुमेह, जो अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त लोगों में आंखों की रोशनी कम हो जाना अधिक आम है। दरअसल मधुमेह के कारण आंखों में छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इस स्थिति को डायबिटिक रेटिनोपैथी कहा जाता है। यदि आप की उम्र 30 से 40 के अंदर है और आपको डायबिटीज की समस्या है तो आपको अपनी आंखों का भी विशेष ध्यान देना अनिवार्य है।
एक बेहतर स्वास्थ ही बेहतर जीवन की जरूरत है। अस्वस्थ बने रहने के कारण कई रोग ऐसे उत्पन्न हो जाते हैं जो हमारी आंखों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में स्वस्थ रहने का प्रयास करें और योग व कसरत के माध्यम से अपनी सेहत को बनाए रखें।
बच्चे हो या बड़े ज्यादा स्क्रीन टाइम आपकी आंखों के लिए बिल्कुल भी फायदेमंद नहीं है। कोशिश करें की अपने दिनचर्या से इस टाइम में कटौती करें। जब भी मोबाइल या लैपटॉप पर काम करें तो ध्यान रहें कमरे में अंधेरा ना हो और मोबाइल में मौजूद रीडिंग मोड ऑन हो। यह आपकी आंखों पर पड़ने वाले प्रभाव को कुछ प्रतिशत तक कम करने में सहायता दे सकता है।
अपनी आंखों को बेहतर बनाने के लिए आंखों की कुछ एक्सरसाइज भी मौजूद है जिनको अपनाकर आप अपनी आंखों से जुड़ी समस्याओं से निजात पा सकते हैं। हालांकि एक बार आंखें कमजोर होने के बाद चश्मा या लेंस लगाना जरूरी होता है लेकिन कसरत के माध्यम से आंखों की शक्ति बढ़ाना संभव है। आंखों की एक्सरसाइज में शामिल है :
जब आप देर तक लैपटॉप या किसी स्क्रीन के सामने हो तो कोशिश करें कि ज्यादा देर तक आपकी आंखें फोकस ना करें। पलक झपकाना आपकी इसमें सहायता कर सकता है। यह आखों की एक अच्छी एक्सरसाइज है जिससे आंखे सूखती नहीं और धुंधलापन नहीं होता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए आप पेंसिल पुशअप का सहारा ले सकती हैं। यह आपकी आंखों की फोकस को बढ़ाने में मदद करेगा। इसमें आपको एक पेंसिल या पेन लेना है और अपने आंखों के सामने रखना है उसके बाद पेंसिल की टिप पर फोकस करना है। आंखों की एक्सरसाइज प्रेसबायोपिया को रोकने में भी सक्षम है।
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