कमर और पेट की चर्बी बढ़ा देती है स्तन कैंसर का जोखिम, जानिए ओबेसिटी और कैंसर का कनेक्शन

फैट सेल्स एस्ट्रोजन हार्मोन का भी स्राव करते हैं। जब ये स्राव अपेक्षा से अधिक बढ़ जाता है, तो स्तन कैंसर के कारणों को ट्रिगर करने लगता है।
belly aur waist fat breast cancer ka risk badha dete hain
हॉर्मोनल असंतुलन वजन घटाना मुश्किल बना देता है। चित्र: शटरस्टॉक
Written by: Dr Vedant Kabra
Updated On: 31 Oct 2022, 12:11 pm IST
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पिछले कुछ दशकों के दौरान, लाइफस्‍टाइल में बदलाव जैसे कि जंक फूड का सेवन बढ़ने और टैक्‍नोलॉजी पर अधिक निर्भरता का नतीजा यह हुआ है कि शारीरिक गतिविधियां काफी कम रह गई हैं। जिससे लोग व्‍यायामरहित जीवन जीने लगे हैं। अंतत: इसके परिणाम के रूप में दुनिया भर में मोटापे से ग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ी है। 2016 के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया की करीब 40 फीसदी आबादी ओवरवेट है। यानि उनका वजन अपनी उम्र और कद-काठी के हिसाब से सामान्‍य से अधिक है। जबकि 13 फीसदी लोग मोटापाग्रस्‍त हैं। इस अध्‍ययन के अनुसार, 2030 तक दुनिया की करीब 60 फीसदी आबादी ओवरवेट हो जाएगी। ऐसे में मोटापा इस सदी की सबसे ज्‍यादा खतरनाक महामारी साबित होगा। पर क्या ये ब्रेस्ट कैंसर (Obesity and breast cancer) के जोखिम को भी बढ़ा सकता है? जवाब है हां!

समझिए आपके शरीर को कैसे खोखला बनाता है मोटापा 

मोटापे के चलते शरीर में अन्‍य कई मेटाबॉलिक रोगों की शुरुआत हो जाती है, जैसे मधुमेह, फैटी लीवर, हृदय रोग तथा स्‍तन (ब्रैस्‍ट), बड़ी आंत (कोलन), बच्‍चेदानी (युट्रस) समेत अन्‍य कई प्रकार के कैंसर रोग भी जकड़ लेते हैं। मोटापे के पीछे प्राय: खानपान की गैर-सेहतमंद आदतें, शराब का सेवन, धूम्रपान जिम्‍मेदार है जो कि कैंसर की आशंका को और बढ़ाता है।

BREAST CANCER
अक्टूबर ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस मंथ है। चित्र:शटरस्टॉक

स्‍तन कैंसर (Breast Cancer) महिलाओं को प्रभावित करने वाला सर्वाधिक सामान्‍य किस्‍म का कैंसर है और GLOBOCAN (दुनियाभर में कैंसर के मामलों का लेखा-जोखा) 2020 के अनुसार, 2019 में करीब 23 लाख लोग स्‍तन कैंसर के मरीज़ घोषित हुए जिनमें 7 लाख की मौत उसी साल हो गई।

हार्मोन का स्राव करते हैं फैट सेल्स 

मोटापे को लो-ग्रेड क्रोनिक इंफ्लेमेटरी (यानि लंबे समय तक कम तीव्रता और सूजन के साथ बना रहने वाला) रोग माना जाता है, जिसमें फैट सैल्‍स में जरूरत से ज्‍यादा पोषण जमा हो जाता है और इसकी वजह से हमारा इम्‍यून सिस्‍टम प्रभावित होता है। जो कैंसर समेत अन्‍य बहुत से रोगों का कारण बनता है। फैट सैल्‍स से इस्‍ट्रोजेन बनता है। इसकी अधिकता भी एक खास किस्‍म के स्‍तन कैंसर (हार्मोन रिसेप्‍टर-पॉज़ि‍टिव कैंसर) का कारण बनती है। इस प्रकार के कैंसर की हिस्‍सेदारी सभी स्‍तन कैंसर में लगभग 70 फीसदी है।

मेनोपॉज के साथ बढ़ जाता है जोखिम 

कई अध्‍ययनों में, प्रीमेनॉपॉज़ल और पोस्‍टमेनॉपॉज़ल महिलाओं में स्‍तन कैंसर के विकास में मोटापे का काफी रहस्‍मयी और अलग-अलग किस्‍म का प्रभाव देखा गया है। कई अध्‍ययनों से यह पता चला है कि जहां मोटापा पोस्‍टमेनॉपॉज़ल महिलाओं में स्‍तन कैंसर के प्रमुख कारणों में से है, वहीं मोटापाग्रस्‍त प्रीमेनॉपॉज़ल महिलाओं में स्‍तन कैंसर के मामले, उन महिलाओं के मुकाबले कम सामने आए हैं, जो मोटापे की शिकार नहीं हैं।

इसका कारण इन महिला समूहों में इस्‍ट्रोजेन के अलग-अलग स्रोत हो सकते हैं, जहां प्रीमेनॉपॉज़ल महिलाओं में ओवरी (अंडकोष) ही इस्‍ट्रोजेन का प्रमुख स्रोत होता है। वहीं पोस्‍टमेनॉपॉज़ल महिलाओं में एडिपोज़ टिश्‍यू (फैट) इसका मुख्‍य स्रोत है।

सबसे ज्यादा रिस्की है शरीर के मध्य भाग में मौजूद चर्बी 

कुछ अध्‍ययनों से यह भी पता चला है कि मोटापा स्‍तन कैंसर का कारण है। भले ही मेनोपॉज़ हुआ हो या नहीं और ऐसे कई अध्‍ययनों की समीक्षा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि हाथ या पांव की बजाय शरीर के मध्‍य भाग में चर्बी जमा होने से उम्र के हर दौर में जोखिम बढ़ जाता है। सामान्‍य तौर पर, मोटापे से ग्रस्‍त महिलाओं में स्‍तन कैंसर की आशंका उन महिलाओं की तुलना में 30% अधिक होती है जो मोटापे का शिकार नहीं होती।

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प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

बेशक, मोटापाग्रस्‍त प्रीमेनॉपॉज़ल महिलाओं में स्‍तन कैंसर की आशंका अपेक्षाकृत कम होती है, लेकिन युवतियों में बचाव के लिए इसे बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है, क्‍योंकि मोटापे की वजह से अन्‍य कई विकार जैसे कि मधुमेह, हृदय रोग आदि भी होते हैं जो शरीर के लिए काफी खतरनाक भी साबित होते हैं।

breast cancer ke karan
मेनोपॉज के साथ यह जोखिम भी बढ़ता जाता है। चित्र : शटरस्टॉक

शरीर में पनप चुके स्‍तन कैंसर की मोटापे के चलते फैलने की आशंका बढ़ जाती है। मोटापे के शिकार स्‍तन कैंसर रोगियों के इलाज में भी कई जटिलताएं पेश आती हैं, हार्मोन उपचार कम प्रभावी होता है, और इस तरह इलाज के बाद दोबारा कैंसर पनपने की आशंका अधिक रहती है।

अंत में 

निष्‍कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि मोटापा न सिर्फ अधिकांश महिलाओं में स्‍तन कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है, बल्कि इसकी वजह से इलाज संबंधी जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं, दोबारा कैंसर फैलने का जोखिम बढ़ता है और साथ ही, अन्‍य बहुत से रोग भी पनप सकते हैं। सेहतमंद जीवनशैली और संतुलित खानपान तथा पर्याप्‍त मात्रा में शारीरिक गतिवधियों से शरीर का सामान्‍य वज़न बरकरार रखने में मदद मिलती है और यह स्‍तन कैंसर समेत अन्‍य कई गंभीर रोगों से शरीर का बचाव करता है।

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लेखक के बारे में
Dr Vedant Kabra
Dr Vedant Kabra

Dr Vedant Kabra is Principal Director, Department of Surgical Oncology, Fortis Memorial Research Institute, Gurugram

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