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आजकल तरह-तरह के महंगे हेडफोन, ईयरबड्स, ईयर फोन इत्यादि लॉन्च किए जा रहे हैं। इन्हें पहले से काफी ज्यादा इनोवेट किया गया है और नई टेक्नोलॉजी के साथ कानों पर होने वाले इसके प्रभाव को कम करने की कोशिश की जा रही है। परंतु आज भी हेडफ़ोन से कानों को उतना ही नुकसान पहुंचता है जितना अन्य तेज़ आवाज़ों से होता है। इसके परिणाम को “नॉइस इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस” के रूप में संदर्भित किया जा सकता है।
कान के अंदर के छोटे हेयर सेल्स जो सुनने के लिए रिसेप्टर्स के तौर पर काम करते हैं, समय के साथ हेडफ़ोन के तेज़ आवाज़ के संपर्क में आने पर पूरी तरह झुक जाते हैं। वहीं यदि तेज आवाज सुनने के बाद इन्हें पर्याप्त समय दिया जाए तो ये हेयर सेल्स वपास से ठीक हो सकती हैं, यदि नहीं, तो परमानेंट डैमेज का सामना करना पड़ सकता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपके लिए लेकर आए हैं हेडफोन के अधिक इस्तेमाल से होने वाले नुकसान की जानकारी।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर सर एनएच रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल, मुंबई के कंसलटेंट सेक्शन कोआर्डिनेटर ईएनटी डॉ स्मिता नागौंकर से बातचीत की। उन्होंने इससे जुड़ी कुछ अहम जानकारियां दी हैं। तो चलिए जानते हैं, हेडफोन से कानों पर होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव (Side effects of headphone) के बारे में साथ ही जानेंगे इसके प्रभाव से किस तरह बचा जा सकता है।
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आमतौर पर लोग कहते हैं कि हेडफोन के आवाज को कम रखने से ये कानों को नुकसान नहीं पहुंचाता। परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कई मामले सामने आए हैं जिनमें कम आवाज में भी हेडफोन का इस्तेमाल करने से समय के साथ सुनने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कानों को होने वाला नुकसान सिर्फ शोर की तीव्रता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एक्सपोजर की लंबाई से भी है। खुली जगह पर लंबे समय तक कॉन्सर्ट में भाग लेने से कान के पास बंदूक की गोली या विस्फोट होने से ज्यादा नुकसान हो सकता है। इस प्रकार, एक्सपोज़र का ड्यूरेशन भी उतना ही मायने रखता है जितना कि वॉल्यूम।
किए गए विभिन्न अध्ययन में देखा गया कि हेडफ़ोन और ईयरबड्स जैसे ऑडियो डिवाइस के अत्यधिक उपयोग के कारण 1 मिलियन से अधिक युवाओं को हियरिंग लॉस का खतरा है। दुर्भाग्य से, बहुत तेज शोर के संपर्क में आने से होने वाले हियरिंग लॉस को वापस से प्रिवेंट नहीं किया जा सकता। इसलिए सचेत रहें।
लंबे समय तक हेडफोन का इस्तेमाल करने से नजर आ सकते हैं ये लक्षण
कान में घंटी बजने, दहाड़ने, फुफकारने और गूंजने की आवाजें आना।
शोर-शराबे वाली जगहों पर स्पष्ट रूप से सुनाई न देना।
दबी हुई आवाजें आना और ऐसा महसूस होना कि आपका कान बंद है।
पहले की तुलना में अधिक आवाज में टीवी देखना।
हियरिंग डैमेज को ठीक करने का हियरिंग टेस्ट और मेडिकल एग्जामिनेशन ही एकमात्र उपाय है। यदि आप ईयरफोन और ईयर बर्ड्स के इस्तेमाल को सीमित रखती हैं, तो इससे होने वाली हानि के प्रभाव को कम किया जा सकता है। डॉक्टर 60%/60-मिनट कांसेप्ट को अपनाने की सलाह देते हैं। मैक्सिमम वॉल्यूम के 60% से अधिक वॉल्यूम पर म्यूजिक, गेम और मूवी न देखें। वहीं अपने कानों में ईयरबड लगाकर दिन का ज्यादा से ज्यादा 60 मिनट का समय व्यतीत करें। इससे अधिक वॉल्यूम पर म्यूजिक सुनना और 60 मिनट से अधिक देर तक ईयरबड्स को लगाए रखना आपके लिए बहुत हानिकारक हो सकता है।
कई बार ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं, जहां आपके लिए हेडफोन और इयरबड्स लगाना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इन टिप्स के साथ इससे होने वाले नुकसान को आप कम कर सकती हैं।
अधिकांश लोग बाहरी आवाज से बचने के लिए हेडफोन के वॉल्यूम को मैक्सिमम कर लेते हैं। ऐसे में मैक्सिमम वॉल्यूम से होने वाले नुकसान से बचने के लिए नॉइज़-कैंसलेशन हेडफोन का इस्तेमाल करना उचित रहेगा। यह स्पेशल डिवाइस लोगों को काफी ज्यादा पसंद आ रहा है। यज बाहरी आवाज को ब्लॉक कर देता है और आप मिनिमम वॉल्यूम में भी अपनी म्यूजिक को इंजॉय कर सकती हैं।
डॉक्टर के अनुसार यदि आप के लिए हेडफोन, इयरबड्स और इयरफोन जैसे डिवाइस को इस्तेमाल करना जरूरी है। तो ऐसे में हमेशा हेडफोन का इस्तेमाल करें। क्योंकि यह ईयरबर्ड्स और ईयरफोन की तुलना में कम हानिकारक होता है।
नॉइज इंड्यूस्ड हियरिंग लॉस को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। बहरहाल, इसका मतलब यह नहीं है कि आप दोबारा कभी अच्छी तरह से सुन नहीं सकती। परंतु सचेत रहना बहुत जरूरी है। ऐसे में हेडफोन का इस्तेमाल करते हुए एक उचित समय के बाद इसे निकाल कर रख दें। साथ ही मैक्सिमम वॉल्यूम के 60% वॉल्यूम से अधिक पर म्यूजिक न सुनें।
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