पूरी दुनिया में अनचाहे गर्भधारण की दर काफी ज़्यादा है। लैंसेट में प्रकाशित अनुमान के अनुसार वर्ष 2015 में भारत में 15-49 आयु वर्ग की प्रति 1000 महिलाओं में 70 को अनचाहा गर्भधारण हुआ था। रिसर्च से पता चला है कि महिलाओं में गरीबी, शिक्षा की कमी, गर्भनिरोधकों के बारे में जानकारी के अभाव या गर्भधारण रोकने के मामले में जिम्मेदारी की कमी के कारण अनचाहे गर्भ का खतरा बढ़ जाता है।
अनचाहे गर्भ के कारण गर्भपात के मामले बढ़ते हैं। रिसर्च से पता चला है कि अनचाहे गर्भधारण के बाद गर्भपात कराने से महिलाओं में अवसाद, चिंता या पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर होने के जोखिम में बढ़ोतरी होती है।
2015 में बीएमसी में छपे लेख के मुताबिक लगातार अनचाहा गर्भधारण होने से मां को होने वाले अवसाद और पेरेंटिंग स्ट्रेस का जोखिम बढ़ जाता है। इस कारण घरेलू हिंसा के मामले सामने आते हैं, क्योंकि महिला हिंसक व्यवहार वाले जोड़ीदार के साथ रहने के लिए मजबूर होती है और इससे महिलाओं व उनके बच्चों पर खतरा बढ़ जाता है।
अनचाहे बच्चे को सामाजिक, भावनात्मक और कॉग्निटिव कमी का सामना करना पड़ता है। इस तरह के बच्चों में बड़े होने पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव दिखाई देने की संभावना बढ़ जाती है, जैसे कि आपराधिक व्यवहार में लिप्त होना, समाज में काम करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना और शादी का स्थायी न रह पाना।
जिन महिलाओं को गर्भपात नहीं करवाने दिया जाता उनमें गर्भपात करवाने वाली महिलाओं की तुलना में शुरुआत में ज़्यादा अवसाद तथा जीवन को लेकर संतुष्टि और आत्मसम्मान की भावना में कमी देखी जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन और गुट्टमचर संस्थान (Guttmacher institute) द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि जिन देशों में मोट तौर से गर्भपात करवाना कानूनी है वहां गर्भपात करवाना सुरक्षित है। जबकि जिन देशों में गर्भपात पर कठोर प्रतिबंध है वहां इसे करवाना असुरक्षित है।
अनुमान के मुताबिक अमेरिका में गर्भपात के कानूनी होने से पहले हर साल लगभग 1 मिलियन गर्भपात किए जाते थे। इनमे से कुछ कानूनी गर्भपात थे और कहीं-कहीं गर्भपात करने के ख़राब तरीकों के कारण हर वर्ष 1,000 और 10,000 के बीच महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी।
वैसे भी गर्भपात की प्रक्रिया में खून बहने, यूटरिन पेर्फोरेशन, सर्वाइकल में चोट और संक्रमण आदि का खतरा बढ़ जाता है।
अविवाहित महिलाओं तथा प्रजनन काल के शुरुआत या अंत समय के दौरान अनचाहे गर्भधारण के मामले ज़्यादा देखे जाते हैं। इस कारण बच्चों और उनके माता-पिता पर इलाज और सामाज का दबाव बढ़ जाता है। मां को प्रसव पूर्व देखभाल मिलने की संभावना बहुत कम होती है, जिससे उन्हें धूम्रपान और शराब की लत लगने की संभावना बढ़ जाती है।
मां के ख़ुद को शारीरिक चोट पहुंचाने और जोड़ीदार के साथ उसका संबंध टूटने का भी जोखिम बढ़ जाता है। बेहतर परिणाम पाने के लिए ज़रूरी है कि गर्भनिरोधकों के बारे में पूरी जानकरी और सलाह देने के साथ-साथ गर्भपात के लिए सही स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएं।
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