चाइल्डबर्थ के बाद महिलाओं को कम से कम 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग की सलाह दी जाती है। मां का दूध बच्चों के हेल्दी ग्रोथ के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, परंतु ब्रेस्टफीडिंग करवाना मां की सेहत के लिए भी उतना ही महत्व रखता है। यदि महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाती तो उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बच्चों के जन्म के बाद उन्हें कम से कम 6 महीने तक ब्रेस्टफीड जरूर करवाएं। आज हम बात करेंगे की महिलाओं की सेहत के लिए ब्रेस्टफीडिंग किस तरह फायदेमंद हो सकता है। साथ ही जानेंगे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपने ब्रेस्ट का ध्यान कैसे रखना है (breast care during breastfeeding)।
हेल्थ शॉट्स ने इस विषय पर अब्स्टेट्रिशन और गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर नीरज शर्मा से बातचीत की। तो चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं, आखिर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान अपने ब्रेस्ट का ध्यान कैसे रखना चाहिए।
प्रेगनेंसी के बाद बहुत सी महिलाओं का वजन बढ़ जाता है, ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग महिलाएं नॉन लेक्टेटिंग महिलाओं की तुलना में अधिक कैलोरी बर्न करती हैं, जिससे कि उन्हें वेट लॉस में मदद मिलती है। प्रेगनेंसी के बाद एक संतुलित वेट मेंटेन करना बहुत जरूरी है।
चाइल्डबर्थ के बाद पोस्टपार्टम डिप्रेशन होना बिल्कुल कॉमन है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग नहीं करवाने वाली महिलाओं की तुलना में पोस्टमार्टम डिप्रेशन का खतरा कम होता है। यदि किसी महिला को पोस्टपार्टम डिप्रेशन है, तो उनके लिए ब्रेस्टफीडिंग मुश्किल हो सकता है, परंतु उन्हें इसे स्किप नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये उनकी स्थिति में सुधार लेकर आता है।
ब्रेस्टफीडिंग आपकी बॉडी को कैंसर और अन्य प्रकार की बीमारियों से लॉन्ग टर्म प्रोटेक्शन देता है। महिला जितनी अधिक समय तक ब्रेस्टफीडिंग करवाती हैं, उनमें ब्रेस्ट और ओवेरियन कैंसर का खतरा उतना ही कम होता है। इसके अलावा ब्रेस्टफीडिंग हाई ब्लड प्रेशर, अर्थराइटिस, हाई ब्लड फैट्स, हार्ट डिजीज ओर टाइप टू डायबिटीज के खतरे को भी कम कर देती है।
दूध को स्तन से बाहर निकलना बहुत जरूरी है, अन्यथा सूजन, दर्द और गांठे पड़ने के साथ ही कैंसर जैसी गंभीर समस्या का खतरा बढ़ जाता है। अगर आप किसी कारण अपने बच्चे को दूध नहीं पीला पाती हैं, तो आपको ब्रेस्ट पंप की मदद से इन्हे निकाल लेना चाहिए। हालांकि, बीमार जन पर ब्रेस्टफीडिंग से परहेज करें।
डॉक्टर कहती हैं कि बच्चे को ब्रेस्टफीड करवाने के बाद दूध की 2-4 बूंदों से निप्पल और उसके आसपास की त्वचा को मसाज देना जरूरी है। इससे आपके ब्रेस्ट स्किन में नमी बरकरार रहती है और आपकी त्वचा ड्राई नहीं होती। वहीं आपके स्किन को पर्याप्त पोषण मिलता है। ब्रेस्ट मिल्क में कई ऐसे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो संक्रमण फ़ैलाने वाले कीटाणुओं के ग्रोथ को कम कर देते हैं।
कोई भी महिला पूरे दिन ब्रेस्टफीड नहीं करवा सकती है। बहुत सी महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें ऑफिस भी जाना होता है। पर उनके ब्रेस्ट से मिल्क लीक करता रहता है, यानी की मां बनने के कुछ महीनें बाद तक स्तन से दूध बाहर निकलता रहता है। जिसकी वजह से कपड़ों के आसपास दूध का दाग लग जाता है, और लंबे समय तक नमी बनी रहने के कारण संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।
बहुत सी महिलाओं को इरिटेशन और इचिंग की शिकायत रहती है। खासकर वर्किंग वुमन के लिए इसे हैंडल करना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर ब्रेस्ट पैड का इस्तेमाल करने की सलाह देती हैं।
नियमित गतिविधियों को करते हुए महिलाओं के शरीर से पसीना आता है, साथ ही वातावरण में मौजूद जर्म्स त्वचा पर बैठ जाते हैं। ऐसे में जब आप ब्रेस्टफीड करवाती हैं, तो आपके बच्चे में ये जर्म्स ट्रास्फर हो सकते हैं। इसलिए ब्रेस्टफीड करने से पहले और बाद में किसी सूती कपड़े को गीला करके अपने स्तन को अच्छी तरह से साफ करें।
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