बच्चों को पालना कठिन होता है और अगर संतान इकलौती हो तो ये और भी जटिल कार्य हो जाता है। ऐसा देखा गया है कि ज्यादातर इकलौते बच्चे अंतर्मुखी होते हैं। इसमें उनका दोष नहीं, अपितु माता- पिता की परवरिश और उनके वातावरण का होता है, यही बच्चे बड़े होकर अपने आप को अकेला और समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं। साथ ही सामाजिक तौर पर इनका विकास नहीं हो पता है।
किट्जमैन और लॉकवुड 2020 (Kitzman and Lockwood 2020) के जर्नल ऑफ सोशल एंड पर्सनल रिलेशनशिप (Journal of Social and Personal Relationships) में एक शोध में पाया गया कि जो बच्चे भाई-बहनों के बिना बड़े होते हैं, वे अपने साथियों के साथ अक्सर लड़ाई झगड़े में शामिल रहते हैं और उसे सुलझा नहीं पाते। साथ ही यह भी देखा गया कि भाई-बहन के साथ बड़े हुए बच्चे या वयस्क ज्यादा सामाजिक, बहिर्मुखी और खुश मिज़ाज होते हैं।
इकलौते बच्चे माता-पिता के प्रिय होते हैं। इसलिए वे सहेज कर रख जाते हैं और आप उन्हें हर मुसीबत से बचाना चाहती हैं। हालांकि, ये स्वभाविक है, लेकिन आति हर चीज़ की बुरी होती है और बड़े होकर ऐसे लोग सामाजिक तौर पर खुल नहीं पाते।
इस लेख के माध्यम से हम कुछ ऐसी टिप्स बताएंगे जो आपको इकलौते बच्चों का पालन पोषण करने में मदद कर सकते हैं। तो आइये जानते हैं…
इकलौती संतान होने से उन्हें हर चीज़ अति में मिलने की आदत पड़ जाती है। फिर चाहें वह खिलौने हो या गिफ्ट्स। हालांकि इसमें आपकी या उनकी कोई गलती नहीं है लेकिन, ऐसा करने से बच्चे जाने-अनजाने बिगड़ सकते हैं।
आप उनके लिए एक सीमा निर्धारित करें। साथ ही उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का अहसास करवाते हुए रिवॉर्ड की तरह दें। ऐसा करने से बच्चे बिगड़ेंगे भी नहीं और उन्हें अच्छा भी लगेगा। साथ ही मेहनत करने की आदत भी पड़ जाएगी।
अगर घर में एक ही संतान हो तो मां-बाप अक्सर उनके साथ उम्र से पहले ही बड़ों जैसा व्यवहार करने लगते हैं। काफी बार यह भी देखा गया है कि ऐसे बच्चे भी खुद को 8-9 साल की उम्र में ही बड़ा समझने लगते हैं और उनके अन्दर का बचपना कहीं खो सा जाता है।
आपको समझना होगा कि आखिर वो हैं तो बच्चे ही और उन्हें भी गलतियां करने का अधिकार है। इसलिए, उनके साथ बड़ों जैसा बर्ताव न करें वर्ना वे जिद्दी और झगड़ालू हो सकते हैं।
देखा गया है कि जब भी घर में कोई रिश्तेदार आता है बच्चों के लिए गिफ्ट लेकर आते हैं। जिस पर बच्चा पूरी तरह से अपना अधिकार समझने लगता है। ऐसे में अगर कोई पड़ोस का बच्चा या कजिन आ जाये तो वह उस गिफ्ट को शेयर करना नहीं चाहते। चाहें वो गिफ्ट गेम हो या चॉकलेट और मिठाई। ऐसे में माता-पिता को शर्मींदगी महसूस होती है। इसलिए, उसे बचपन से ही शेयरिंग की आदत डलवाएं। कभी खुद शेयर करके तो कभी फ्रेंड्स के साथ शेयर करना सिखाएं।
इकलौते बच्चे खुद में ही रहना पसंद करते हैं और ज्यादा किसी से बात करना नहीं चाहते। अक्सर ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों के भाई-बहन नहीं होते हैं उनको समाज में घुलने-मिलने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वे हमेशा अपने माता-पिता की ही छत्र-छाया में रहते हैं।
आप उन्हें बाहर ले जाएं, लोगों से मिलवाएं धीरे-धीरे उनके दोस्त बनने लगेंगे और खुद को सुधार पाएंगे।
ज़्यादातर मां-बाप बच्चों को वो बनते देखना चाहते हैं, जो वो खुद नहीं बन पाए। वो ये नहीं देखते हैं कि उनके बच्चे में उतना सामर्थ्य है या नहीं। अगर इकलौती संतान है तो अपेक्षाएं और बढ़ जाती हैं। ऐसा करने से बच्चा बोझिल महसूस कर सकता हैं। इसलिए आपको उनकी क्षमताओं का आकलन करके उस दिशा में प्रयास करने चाहिए।
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