30 की उम्र पार कर रही हैं, तो अपनी बोन्स को हेल्दी और यंग बनाए रखने के लिए याद रखें ये 6 बातें
बढ़ती उम्र के साथ सभी की बॉडी में कई सारे बदलाव आते हैं। त्वचा पर झुर्रियां आने के साथ बालों का सफेद होना, वजन बढ़ाना और आंखों की रोशनी के कम होने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। 30 से 35 की उम्र के बाद डायबिटीज, हृदय संबंधी समस्याएं, कैंसर आदि सहित हड्डियों से जुड़ी बीमारी लोगों को अधिक प्रभावित करती है। यदि आपकी भी उम्र बढ़ रही है, और आप अपनी हड्डियों की सेहत को बनाए रखना चाहती हैं, तो इसमें चिंता की कोईबात नहीं है। कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखा जाए तो बढ़ती उम्र के साथ भी हड्डियों से जुड़ी समस्याओं का खतरा कम हो सकता है। तो क्यों न लापरवाही को छोड़ कर अपनी सेहत के प्रति सचेत हो जाएं, ताकि एक स्वस्थ एवं संतुलित जीवन जिया जा सके (How to make bones and joints strong)।
हेल्थशॉट्स ने इस विषय पर मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के एसोसिएट डायरेक्टर – आर्थोपेडिक्स एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट, डॉ. अखिलेश यादव से सलाह ली। तो चलिए जानते हैं, इस विषय पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट।
जानें बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों को कैसे रखना है स्वस्थ (How to make bones and joints strong)
1. वेट मेंटेन करना है जरूरी
लोगों के लिए वेट लॉस की बात करना आसान है, परंतु इसे असल में खुदपर लागू करना बेहद मुश्किल। बढ़ती उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती है, ऐसे में अधिक वजन होने पर हड्डियों पर अधिक भार पड़ता है, और वे अधिक कमजोर हो सकती हैं। यदि आप चाहें तो वेट मैनेजमेंट तकनीक को फॉलो कर अपने वजन को संतुलित रख सकती हैं। एक स्वस्थ वजन आपकी हड्डियों की सेहत और गतिशीलता को सामान्य रहने में मदद करता है। आपको एक सामान्य वजन बनाए रखने की आवश्यकता होती है, न अधिक और न कम।
कम वजन होने से ओस्टियोपेनिया और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। मोटापे से हड्डियों की गुणवत्ता खराब होती है और अतिरिक्त वजन के तनाव के कारण फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। वजन घटाने और बढ़ाने के बीच उतार-चढ़ाव भी हड्डियों के नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए वेट लॉस हो या वेट गेन दोनों को ही अधिक सावधानी से करें।
2. हेल्दी डाइट है जरूरी
कैल्शियम और विटामिन डी से भरपूर संतुलित आहार आपके समग्र स्वास्थ्य के साथ-साथ आपकी हड्डियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में कैल्शियम और विटामिन डी जैसे पोषक तत्वों की उचित मात्रा हड्डियों की गुणवत्ता में सुधार करती हैं और इन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रखती हैं।
फल और सब्जियों की 5 सर्विंग और डेयरी, जैसे कम फैट वाले या बिना फैट वाले दूध की कम से कम 3 सर्विंग और दही और पनीर, और हर हफ्ते लगभग नौ सर्विंग प्रोटीन का लक्ष्य रखें। प्रोसेस्ड, शुगर, नमक, फैट या कार्बोहाइड्रेट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
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3. शराब, कैफीन और स्मोकिंग से परहेज करें
हम सभी में कुछ बुरी आदतें होती हैं, लेकिन कुछ ऐसी आदते हैं जिनसे दूरी बनाए रखना बेहद जरूरी है। जो लोग धूम्रपान करते हैं और बहुत ज़्यादा शराब और कैफीन पीते हैं, उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस होने का ज़्यादा जोखिम होता है। बढ़ती उम्र के साथ इन हानिकारक पदार्थों का सेवन आपकी हड्डियों को अधिक कमजोर कर सकता है। इसलिए इससे जितना हो सके परहेज करें, और स्वस्थ एवं संतुलित आहार पर निर्भर रहें।
4. स्कैन करवाएं बोन डेंसिटी (scan bone density)
यदि आप 30 वर्ष से अधिक हैं, तो अपनी सेहत के लिए जरूरी चिकित्सीय जांच करवाती रहे ताकि गंभीर समस्याओं से बचा जा सके। अगर आप अपनी हड्डियों के स्वास्थ्य या ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम कारकों के बारे में चिंतित रहती हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अगर उन्हें लगता है कि आपको जोखिम हो सकता है, तो वे बोन डेंसिटी टेस्ट की सलाह देंगे, जिसे DEXA (DXA) बोन डेंसिटोमेट्री स्कैन भी कहते हैं।
हालांकि, स्कैन आपकी हड्डियों को मज़बूत नहीं करेगा, लेकिन यह आपको आपकी हड्डियों की स्थिति बता सकता है, कि वे कितनी मज़बूत या डेंस हैं और आपको ऑस्टियोपोरोसिस होने का जोखिम है या नहीं।
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कस्टमाइज़ करें5. प्रयाप्त प्रोटीन लें (take protein)
प्रोटीन हड्डियों के निर्माण में मदद करता है। जबकि ज़्यादातर लोगों को अपने आहार में भरपूर प्रोटीन मिलता है, कुछ लोगों को यह नहीं मिल पाता। सुनिश्चित करें कि आपके आहार में प्रोटीन के लीन स्रोत शामिल हों, जैसे अंडे, दाल, व्हाइट मीट, लीन मीट, डेयरी, झींगा और सोया। इनका नियमित आपकी हड्डियों को समय के साथ कमजोर होने से रोकता है।
6. लो कैलोरी डायट से बचें (don’t take low calorie diet)
वेट लॉस में सीमित मात्रा में कैलोरी लेने की सलाह दी जाती है, परंतु बहुत से लोग कैलोरी से पूरी तरह परहेज करना शुरू कर देते हैं। बहुत कम मात्रा में कैलोरी लेना भी अच्छा नहीं है। आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा करने, बार-बार भूख लगने और मांसपेशियों के नुकसान का कारण बनने के अलावा, यह हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक हो सकता है।
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