एक नई मां के रूप में, आपको स्तनपान के दौरान निप्पल की सामान्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। यदि आपके निप्पल में खरोंच आ गई है या फोड़े-फुंसियां हो गई हैं, तो यहां उनका इलाज करने का तरीका बताया गया है।
एक बच्चे को जन्म देने की खुशी की कोई सीमा नहीं होती है। आप बेहद खुश रहती हैं, लेकिन आपकी खुशी थोड़ी कम तब हो जाती है, जब आप बच्चे को स्तनपान शुरू कराती हैं और आपको कई तरह की समस्याओं का सामना (Nipple issues during Breastfeeding) करना पड़ता है। मांओं को अक्सर बताया जाता है कि स्तनपान से चोट लगना सामान्य बात है। इसलिए वे स्तनपान के दौरान होने वाली किसी भी परेशानी या दर्द को नज़रअंदाज कर देती हैं। अधिकांश नई माताओं के लिए यह दर्द एक चुनौती बन जाती है। निप्पल की समस्याओं के बारे में शायद ही कभी बात की जाती है।
इसलिए सभी नई मांओं को ब्रेस्टफीडिंग शुरू करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना चाहिए। उनके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि स्तनपान या निप्पल की समस्याओं का निवारण कैसे किया जाए।
निपल्स में खरोंच आ जाना या दर्द करना खराब लैच-ऑन के कारण होते हैं। इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है यदि मां बच्चे को लैच करने में अच्छी तरह मदद करें।
फटे हुए निप्पल तब होते हैं जब दर्द को ठीक नहीं किया जाता है। इससे निप्पल टिश्यूज में दरारें पड़ जाती हैं। निप्पल से रक्तस्राव भी हो सकता है। फटे हुए निप्पल स्तनपान को बेहद दर्दनाक बना देते हैं। इससे मां को बहुत परेशानी हो सकती है।
फटे हुए निपल्स पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि लैच-ऑन का आकलन किया जा सके और उसे ठीक किया जा सके। ब्रेस्टमिल्क को स्तनपान के बाद निपल्स पर लगाया जा सकता है, ताकि दरारें ठीक हो सकें। स्तन के दूध में विटामिन ई होता है, जो उपचार में सहायक होता है।
लैक्टेशन कंसल्टेंट के गाइडलाइन में निप्पल क्रीम और निप्पल शील्ड का उपयोग किया जा सकता है।
निप्पल पर फफोले या ब्लब्स अल्को गलत लैच-ऑन के कारण होते हैं। इससे मां के निपल्स पर दूध से भरे छोटे-छोटे फुंसी जैसे दिखाई देने लगते हैं। निप्पल ब्लिस्टर से निपटने का सबसे अच्छा तरीका है लैच-ऑन तकनीक को ठीक करना।
फफोले को ठीक करने के लिए निपल्स पर गर्म नारियल या जैतून का तेल लगाना और उस पर मोटे कपड़े से हल्के हाथों से मालिश करना। यदि ब्लब/ब्लिस्टर 3-4 दिनों से अधिक समय तक बने रहते हैं, तो मां को एक लैक्टेशन कंसल्टेंट या प्राथमिक स्त्री रोग विशेषज्ञ की गाइडलाइन जरूर लेनी चाहिए। वे स्टीराइल नीड्ल द्वारा छाले को खत्म करने में मदद करेंगी। निप्पल ब्लिस्टर के बावजूद ब्रेस्टफीडिंग जारी रखा जा सकता है।
इसे रेनॉड फेनोमेनन के रूप में भी जाना जाता है। इसे समझना आसान है, क्योंकि स्तनपान के बाद निप्पल सफेद हो जाते हैं। स्तनपान की प्रक्रिया के दौरान निप्पल के रक्त की आपूर्ति बाधित होती है, जिससे निप्पल टिश्यू सफेद या निप्पल टिश्यू की ब्लैंचिंग हो जाती है।
गर्म कपड़े या हीट पैड का उपयोग करके गर्माहट देने से ब्लड फ्लो को सुचारू रूप से किया जा सकता है और मां को को भी बेहतर महसूस होगा। प्रसव के बाद होने वाली किसी भी प्रकार की निप्पल समस्या के लिए नई मांओं को ब्रेस्टफीडिंग कंसल्टेंट की सलाह लेनी जरूरी है। इससे उन्हें ब्रेस्टफीडिंग में मदद मिलेगी। निप्पल शील्ड के इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योंकि यदि इसका सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया, तो निप्पल की समस्या पैदा हो सकती है।
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि स्तनपान एक अद्भुत अनुभव और प्रकृति का सबसे अच्छा उपहार है, जो हर मां अपने बच्चे को प्रदान कर सकती है। हालांकि स्तनपान साइकिल चलाना सीखने जैसा ही है। आराम के साथ सफल स्तनपान का अनुभव होना जरूरी है, इसके लिए सही तकनीक का ज्ञान होना भी जरूरी है।
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