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डायबिटीज है और आलू खाने की शौकीन हैं, तो जानिए इसे आहार में शामिल करने का सही तरीका 

वेट लॉस करना हो या डायबिटीज के मरीज हो, सबसे पहले लोग आलू पर प्रतिबंध लगाने लगते हैं। पर क्या ये वाकई जरूरी है या ये सिर्फ एक मिथ है? 
Updated On: 20 Oct 2023, 09:12 am IST
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galat cooking method aloo ke side effects badha deta hai
गलत तरीके से पकाना आलू के साइड इफेक्ट्स बढ़ा देता है। चित्र:शटरस्टॉक

भारतीय भोजन में आलू वह खास खाद्य पदार्थ है, जिससे आप स्नैक्स, सब्जी और मिठाई सब कुछ बना सकती हैं। मध्यम वर्गीय रसोई में जब सब्जी कम पड़ने लगती है, तो उसमें आलू मिलाकर उसे बढ़ाया जाता है। यहां तक कि आलू के परांठे छोटे से लेकर बड़ों तक सभी को बहुत पसंद होते हैं। पर तब क्या हो जब आपके परिवार में किसी को डायबिटीज हो? मधुमेह होने पर अकसर आलू खाने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। पर अगर आप आलू की फैन हैं और डायबिटीज कंट्रोल (Potatoes in diabetes) में रखना चाहती हैं, तो जानिए क्या है आलू को आहार में शामिल करने का सही तरीका।  इसके लिए हमने बात की नोएडा इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के एम डी मेडिसिन और असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमोल रत्न से। 

हर स्वाद में है आलू 

काली मिर्च और नमक मिक्स उबले आलू, आलू-चाट, आलू-गोभी की सब्जी, आलू के पकोड़े…। अनगिनत नाम हैं आलू के सुस्वादु व्यंजनों के। पर डायबिटीज के मरीजों के लिए सबसे अधिक पाबंदी आलू के सेवन पर होती है। पर क्या वाकई डायबिटीज के मरीजों को आलू पूरी तरह से अपनी डाइट से बाहर कर देना चाहिए? आइए चेक करते हैं। 

डायबिटीज होने पर आपके बहुत सारे पसंदीदा फूड्स पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इसकी वजह है उन फूड्स में शुगर और फैट का होना। पर आहार सिर्फ पेट ही नहीं भरता, बल्कि मन को भी संतुष्टि देता है। यही वजह है कि बैन होने के बावजूद हम उन चीजों को खाने के लिए मचलने लगते हैं। खासकर आलू खाने की इच्छा किसे नहीं होती? 

सबसे पहले जानते हैं आलू क्यों है इतना खास 

डॉ. सुमोल कहते हैं, ‘आलू को अक्सर फैट बढ़ाने वाला फूड माना जाता है, जबकि वास्तव में यह काफी पोषण प्रदान करता है। यदि कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा वर्कआउट करता है, तो उसके लिए हेल्दी कार्बोहाइड्रेट आलू से बहुत आसानी से मिल जाता है। शरीर कार्बोहाइड्रेट को मांसपेशियों में स्टोर करता है। ताकि आगे वर्कआउट के दौरान एनर्जी मिल सके। आलू को किसी भी डाइट में शामिल किया जा सकता है, क्योंकि यह पोषक तत्वों से भरपूर है।’

इसमें उच्च गुणवत्ता वाले कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट पाए जाते हैं, जिनसे हमें मिलता है: 

3 ग्राम प्लांट बेस्ड प्रोटीन प्रति सर्विंग

रोज लिए जा सकने वाले विटामिन सी का 30%

बिना छिले हुए आलू में अंडर कंंज्यूम्ड न्यूट्रीएंट्स होते हैं, जिनमें पोटेशियम (डेली वैल्यू का 15%) और फाइबर (डेली वैल्यू का 7%) प्रति 5.3 औंस होता है।  यदि किसी व्यक्ति को टाइप 2 डायबिटीज है, तो वह आलू को अपने आहार में शामिल कर सकता है और हेल्दी लाइफ स्टाइल अपना सकता है। उन्हें अपनी डाइट को प्रोटीन, सब्जियों और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के साथ संतुलित करना सुनिश्चित करना चाहिए।

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क्या है आलू का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 

ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर इस बात से निर्धारित होता है कि किसी भोजन के 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट खाने पर ब्लड शुगर कितनी जल्दी बढ़ जाता है। स्कोर 0 से 100 तक होता है। यदि 100 स्कोर वाले भोजन को लिया जाता है, तो इससे ब्लड शुगर भी तेजी से बढ़ता है। कम स्कोर वाले खाद्य पदार्थ अक्सर फाइबर, प्रोटीन या वसा में अधिक होते हैं, जो धीरे-धीरे पचते हैं।

किसी भोजन की ग्लाइसेमिक इंडेक्स रैंकिंग तब बढ़ जाती है जब वह भोजन खाली पेट लिया जाता है। एक मध्यम आलू में 37 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और केवल 5 ग्राम फाइबर होता है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स स्कोर तब अधिक हो जाता है, जब इसे खाली पेट या बिना किसी और चीज के साथ खाया जाता है।

आलू और डायबिटीज के बारे में क्या कहता है शोध?

वर्ष 2020 में अमेरिका की संस्था एलायंस फॉर पोटैटो रिसर्च एंड एजुकेशन द्वारा आलू की न्यूट्रिशनल वैल्यू पर रिसर्च किया गया। रिसर्च रिपोर्ट को क्लिनिकल न्यूट्रीशन जर्नल में प्रकाशित भी किया गया। इसमें टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित 24 वयस्क पुरुषों और महिलाओं द्वारा भोजन लेने के बाद अध्ययन के लिए चार प्रयोगात्मक परीक्षण किए गए। 

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यदि हेल्दी रूप में आलू लिया जाए, तो सेहत के लिए यह फायदेमंद है। चित्र:शटरस्टॉक

कुछ लोगों को रात के खाने में या तो उबला हुआ आलू, भुना हुआ आलू या 24 घंटे का ठंडा उबला आलू दिया गया। इसमें आलू के साथ अन्य खाद्य पदार्थ भी शामिल थे। वहीं कुछ लोगों को खाने में अन्य सामग्रियों के साथ बासमती चावल (लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले) दिए गए। 

प्रत्येक भोजन में 50% कार्बोहाइड्रेट, 30% वसा और 20% प्रोटीन था। रिसर्च से प्राप्त डेटा के आधार पर यह बताया गया कि टाइप 2 डायबिटीज वाले एडल्ट जिन्होंने रात के भोजन में छिला हुआ आलू खाया था, उनमें ब्लड ग्लूकोज रेस्पॉन्स जीआई (Glycemic index) बासमती चावल वाले भोजन की तुलना में कम पाया गया। 

इस शोध से यह पता चला कि आलू डायबिटीज से पीड़ित लोगों के आहार का एक उपयुक्त हिस्सा हो सकता है। ये निष्कर्ष उस डायेटरी गाइडेंस के उलट है, जिसमें कहा जाता है कि  आलू टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए उपयुक्त विकल्प नहीं हैं। यदि बैलेंस डाइट ली जाए और शुगर को कंट्रोल रखा जाए, तो जीआई की चिंता किए बिना कभी-कभी सभी खाद्य पदार्थों का आनंद लिया जा सकता है। 

 डायबिटीज के मरीजों के लिए क्या है आलू खाने का सही तरीका 

डॉ. सुमोल सलाह देते हैं कि “आलू के सेवन के साथ संयम बरतना आवश्यक है। बैलेंस डाइट में आलू का आनंद लिया जा सकता है, यदि उसे प्रोटीन, हेल्दी फैट और फाइबर के साथ लिया जाए।” अगर आप मधुमेह से ग्रस्त हैं और आलू खा रहीं हैं तो कुछ चीजों का ध्यान जरूर रखें –

उबले आलू, बेक किए हुए आलू या हल्के तेल में भुने हुए मीडियम साइज के 1 आलू का स्वाद डायबिटीज पेशेंट ले सकते हैं, लेकिन भोजन में वे सिर्फ आलू पर निर्भर न रहें। 

इसे खाली पेट खाने की बजाए संतुलित भोजन में या प्रोटीन डाइट के साथ शामिल करें। 

जिस तरह सिर्फ चावल, रोटी, मकई या किसी भी भोजन को सिंगल डाइट के रूप में नहीं लिया जा सकता है, उसी तरह आलू को भी सिंगल डाइट के रूप में न लें। 

तलने की बजाय बेक किया हुआ या ताजे पके आलू को प्राथमिकता दें। बार-बार तेल में तले गए आलू के व्यंजन आपके लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। 

यहां पढ़ें:-डाइट में एड करें ये 5 तरह के कोलेजन वाले फूड, 40 के बाद भी दिखेंगी 20 की 

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

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लेखक के बारे में
स्मिता सिंह
स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।

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