गलसुआ या कनफेड (Mumps) रोग वास्तव में बच्चे को मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान कर देता है। यह गालों के नीचे पेरोटिड ग्रंथियों में संक्रमण के कारण होता है। ये ग्रंथियां लार बनाती हैं। कानों के आसपास बढ़ आई सूजन दर्दनाक होती है। वहीं संक्रामक होने के कारण बच्चे को आइसोलेट करना पड़ता है। यही वजह है कि इससे बच्चे बहुत परेशान हो जाते हैं। इन दिनों दिल्ली और अन्य राज्यों में मम्प्स अर्थात कनफेड़ फैल रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि आप इस स्थिति में बच्चे (How to care for someone with mumps) की देखभाल कैसे करनी है, इस बारे में जानें।
कनफेड़ एक संक्रामक रोग है, जो आमतौर पर कान के पास लार ग्रंथियों में सूजन और कोमलता के साथ-साथ बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और भूख न लगना जैसे लक्षणों के साथ होता है।
यह श्वसन या संक्रमित लार के सीधे संपर्क से फैलता है। कनफेड़ से मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, ऑर्काइटिस और बहरापन जैसी जटिलताएं हो सकती हैं। यह संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकलने वाले तरल पदार्थ की छोटी बूंदों से फैलता है। बात करने या हंसने के अलावा उनके द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं जैसे गंदे टिश्यू, स्ट्रॉ, या पीने के गिलास के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।
यदि संक्रमित व्यक्ति अपने हाथ नहीं धोता और सतह को छू देता हैं, तो उसे छूने वाले अन्य लोगों में कनफेड़ से संक्रमित हो सकते हैं। कनफेड़ से पीड़ित व्यक्ति लक्षण शुरू होने से 2 दिन पहले से लेकर ख़त्म होने के 5 दिन बाद तक सबसे अधिक संक्रामक होते हैं।
कई बच्चों में कोई लक्षण नहीं होते हैं, या बहुत हल्के लक्षण होते हैं जो सर्दी की तरह महसूस होते हैं। लेकिन कुछ लोगों में लक्षण दिख सकते है
कनफेड के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। लेकिन लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता है
अपने बच्चे को भरपूर मात्रा में तरल पदार्थ और मुलायम भोजन दें, जिन्हें चबाना आसान हो। तीखा या अम्लीय फलों का रस (जैसे संतरे का रस, अंगूर का रस या नींबू पानी) न दें जो पैरोटिड ग्रंथि के दर्द को बढ़ा सकते हैं।
यदि आपका बच्चा असहज है, तो बुखार कम करने या दर्द कम करने के लिए एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन जैसी दवाएं दें। ऐसे बच्चे को कभी भी एस्पिरिन न दें जिसे वायरल बीमारी हो।
गर्म या ठंडे सेक से सूजी हुई पैरोटिड ग्रंथियों को शांत करें। अगर आपके बच्चे को ठंडे सेक से आराम मिलता है तो ठंडे सेक का इस्तेमाल करें, लेकिन अगर गर्म सेक से आराम मिल रहा है तो उसका इस्तेमाल करें।
अपने बच्चे को भरपूर आराम दे। उन्हे इस दैरान स्कूल न भेजें इससे वो परेशान हो सकता है। ये रोग संक्रामक होता है इससे दुसरे बच्चों को भी खतरा हो सकता है। बच्चे को बाहर खेलने भेजने की बजाय घर पर ही छोटे मोटे खेल खिलाएं।
कनफेड से पीड़ित बच्चों को पैरोटिड ग्रंथि की सूजन की शुरुआत से 5 दिनों तक घर पर रहना चाहिए। अपने डॉक्टर से पूछें कि आपका बच्चा स्कूल या चाइल्डकैअर में कब लौट सकता है।
ये भी पढ़े- जिद्दी खांसी और गले की खराश को दूर कर सकती हैं ये खास जड़ी-बूटियां, जानें कैसे करें प्रयोग