ज्यादा तेल-मसालेदार भोजन, जंक फूड, अत्यधिक मांसाहार का सेवन कब्ज का कारण बन सकता है। कब्ज के कारण हमें बावेल मूवमेंट (Bowel movement) के लिए अत्यधिक प्रेशर लगाना पड़ता है। पर अगर आप हार्ट या पाइल्स के मरीज हैं, तो आपको अतिरिक्त प्रेशर से बचने की सलाह दी जाती है। ऐसी स्थिति में स्टूल सॉफ्टनर (Stool softener) आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं। जानिए क्या है ये और ये कैसे काम करता है।
एब्डोमिनल, पेल्विक, रेक्टल सर्जरी, हर्निया और भयंकर दर्द वाले पाइल्स से पीड़ित लोग तनाव से बचने के लिए स्टूल सॉफ्टनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। यदि आहार में हाई फाइबर, लिक्विड इंटेक, पानी की मात्रा बढ़ा दी जाए और नियमित तौर पर योग और व्यायाम किए जाएं, तो कब्ज की समस्या दूर हो सकती है।
मल सॉफ्टनर कैप्सूल, टैबलेट, लिक्विड और सिरप के रूप में आते हैं।
स्टूल सॉफ्टनर एक प्रकार का लैक्सेटिव है, जिनका उपयोग कब्ज (Constipation) दूर करने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से पानी और तेल सॉलिड स्टूल में प्रवेश कर जाता है, जिससे स्टूल का सर्फेस टेंशन कम हो जाता है। परिणामस्वरूप स्टूल सॉफ्ट हो जाता है।
इनके इस्तेमाल के लिए जरूरी है कि अपने डॉक्टर की सलाह पर ध्यान दें। तभी लें, जब डॉक्टर बताएं और उतनी ही मात्रा में। यदि कुछ समझ में नहीं आ रहा है, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। इसे अधिक या कम मात्रा में नहीं लिया जा सकता है। कितनी बार लिया जाए, डॉक्टर द्वारा निर्धारित किया जाता है, इससे अधिक बार लेना दूसरी तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।
स्टूल सॉफ़्टनर आमतौर पर सोते समय लिए जाते हैं। खाना खाने के बाद इसे लिया जाता है, ताकि लार्ज इंटेस्टाइन में यह अच्छी तरह काम कर सके। जिन्हें भयंकर कब्ज है या एब्डोमिनल सर्जरी हुई है, उन्हें एक से अधिक बार इसे लेने की सलाह दी जाती है।
स्टूल सॉफ़्नर को अपना काम करना शुरू करने में 6-12 घंटे लग सकते हैं। जबकि कुछ को 24-48 घंटे भी लग सकते हैं। फाइबर-आधारित स्टूल सॉफ़्टनर, जिनमें फाइबरकॉन और मेटामुसिल शामिल हैं, को 12-72 घंटे भी लग जाते हैं।
हर दिन इसे लेना ठीक नहीं होता है, क्योंकि ये एक अस्थायी उपचार है। ओवर-द-काउंटर स्टूल सॉफ़्टनर कुछ लोगों के लिए प्रभावी होते हैं। हालांकि, क्लिनिकल ट्रायल्स में इस बात के कोई सबूत नहीं मिलते हैं कि इसके लगातार प्रयोग से स्थिति में सुधार होता है। यह कब्ज से शॉर्ट टर्म रिलीफ देता है।
जैसे ही स्टूल सॉफ्टनर लिया जाता है, बॉडी में स्टिमुलेंट मेडिकेशन के साथ शरीर की मेटाबॉलिक क्रिया भी शुरू हो जाती है। इसकी आधी मात्रा लगभग 16 घंटे के बाद निकल जाती है और आधी मात्रा अगले 16 घंटों के बाद शरीर से निकल पाती है। दवा का लेवल गिरने पर इसका इफेक्ट भी कम हो जाता है।
लेक्सेटिव या स्टूल सॉफ्टनर उपचार के एक विकल्प मात्र हैं। ये स्टूल को सॉफ्ट बनाने का काम करते हैं, जिससे स्टूल पास करने में आसानी हो जाती है। यदि इनका सेवन लंबे समय तक किया जाता है, तो बॉडी उस पर निर्भर हो जाती है और स्वास्थ्य पर कई दुष्प्रभाव भी पड़ते हैं। डायरिया, सूजन, ब्लोटिंग, पेट में दर्द आदि इसके साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
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