तेल, घी और मसाले भी बढ़ा सकते हैं फेफड़ों के लिए मुश्किलें? एक्सपर्ट बता रहे हैं इसका कारण

सांसें अनमोल हैं। और इन पर सिर्फ प्रदूषकों का ही नहीं आपके आहार का भी असर होता है। इसलिए आपको उन फूड्स के बारे में जानना चाहिए, जो सांस लेना मुश्किल बना सकते हैं।
bahut zyada fried food apki wind pipe ko nuksan pahucha sakta hai
एक ही तेल में बार बार फ्राई करने से इसका प्रभाव हार्ट और डाइजेशन सिस्टम पर पड़ने लगता है। चित्र: शटरस्टॉक
योगिता यादव Updated: 29 Oct 2023, 20:21 pm IST
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अकसर ठंड के मौसम में, देर रात जागने पर या कुछ फ्राइड खा लेने पर आपने महसूस किया होगा कि आपके गले और छाती में कफ (Cough) ज्यादा बनने लगा है। मेडिकल टर्म में इसे माइक्रोएस्‍पिरेशन की समस्या (microaspiration problem) कहते हैं। जो श्वास नली में म्‍यूकोसा के क्षतिग्रस्‍त होने के कारण होती है। अगर इसमें लापरवाही की जाए, तो समस्या और भी गंभीर हो सकती है। इसलिए यह जरूरी है कि अगर आप या आपके परिवार में किसी को भी कफ ज्यादा (Cough in chest) बनने या श्वास संबंधी अन्य समस्याएं (Breathing problems) हैं, तो आहार का भी विशेष ध्यान रखें। क्योंकि अधिक तेल और मसालों वाले भोजन (foods that cause asthma) आपको ब्रीदिंग में समस्या (Microaspiration) दे सकता है।

फेफड़ों के स्वास्थ्य (Lungs health) को समझने और श्वास संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए हमने डॉ रवि शेखर झा से बात की। डॉ झा फोर्टिस एस्‍कॉर्ट्स हॉस्‍पिटल, फरीदाबाद में एडिशनल डायरेक्‍टर एवं यूनिट हैड पल्‍मोनोलॉजी हैं। आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में जिन्हें दूर कर आप अस्थमा (Asthma causes) में राहत पा सकते हैं।

पर्यावरणीय कारण और सांस लेने में समस्या 

डाॅ झा कहते हैं, “फेफड़े हमारे शरीर के अद्भुत आंतरिक अंग हैं, जो लगातार बाहरी वातावरण के संपर्क में रहते हैं। ये तापमान, नमी और प्रदूषकों के संपर्क में आते हैं। यही कारण है कि जब मौसम बदलता है और वातावरण में धूल, मिट्टी और प्रदूषक बढ़ने लगते हैं, तो फेफड़ों से जुड़ी समस्‍याएं भी बढ़ने लगती हैं।”

kuchh chize asthma ko trigger kar sakti hain
कुछ चीजें अस्थ्मा को ट्रिगर कर सकती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

यहां हैं वे तरीके जिन्हें अपनाकर आप फेफड़ों के जीवन को बेहतर बना सकती हैं 

  1. सबसे पहले तो हमें जहां तक हो सके, फेफड़ों को एक्‍सपोज़र से बचाना चाहिए और दूसरे, हम अपने फेफड़ों की कार्यक्षमता भी बढ़ा सकते हैं ताकि ये हर परिस्थिति का सामना कर सकें।
  2. धूम्रपान छोड़कर हम अपने फेफड़ों को सबसे बड़ा उपहार देते हैं। हमें न सिर्फ धूम्रपान छोड़ना चाहिए बल्कि पैसिव स्‍मोकिंग यानि परोक्ष रूप से धुंआ पीने से भी बचना चाहिए।
  3. जब एक्‍यूआई (Air quality index) खराब हो तो मास्‍क लगाकर हम खतरनाक रसायनों को अपने फेफड़ों में जाने से रोक सकते हैं।
  4. हवा की गुणवत्‍ता खराब होने पर बाहर व्‍यायाम करने से बचें, क्‍योंकि जब हम शारीरिक व्‍यायाम करते हैं, तो ज्‍यादा तेजी से सांस लेते हैं। जिससे ज्‍यादा धूल-धक्‍कड़ हमारे शरीर में प्रविष्‍ट होती है।
  5. अपने फेफड़ों को स्‍वस्‍थ रखने के लिए हमें नियमित रूप से श्‍वसन व्‍यायाम (Breathing Exercise) करना चाहिए। कुछ खास तरह की श्‍वसन क्रियाएं (Pranayama) जैसे पर्स्‍ड लिप ब्रीदिंग और डायफ्रैमेटिक ब्रीदिंग उन लोगों के लिए अच्‍छी होती हैं, जिनके लंग्‍स रोगग्रस्‍त होते हैं।
  6. यहां तक कि स्‍वस्‍थ फेफड़ों को भी नियमित बैलून ब्‍लोइंग (balloon blowing) की जरूरत होती है और डायफ्रेमेटिक ब्रीदिंग (diaphragmatic breathing) के अभ्‍याय से आपके फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
jab aap zyada fat aur spices ka sewan karti hain toh lungs ki problem ho sakti hai
जब आप ज्यादा तेल-मसाले वाला भोजन करती हैं तो फेफड़ों में समस्या हो सकती है। चित्र शटरस्टॉक।

क्यों नहीं खाना चाहिए तेल मसाले वाला भोजन 

डॉ झा सुझाव देते हैं, “हमें ऐसा भोजन करना चाहिए जिससे ब्‍लोटिंग (Bloating) और एसिड रिफ्लक्‍स (acid reflux) न हो। एसिड रिफ्लक्‍स वाले मरीज़ों को बार-बार माइक्रोएस्‍पिरेशन की समस्‍या होती है, जिसकी वजह से हमारी श्‍वसन नली की म्‍यूकोसा लगातार क्षतिग्रस्‍त होती रहती है। इसलिए हमें रेशेदार और बिना तेल-मसालेयुक्‍त भोजन करना चाहिए। अधिक तेल और मसाले कफ की मात्रा बढ़ाकर सांस लेने में दिक्कत पैदा करते हैं।”

इससे बचने के लिए सादा और सामान्य तापमान वाला भोजन करें। बहुत ज्यादा ठंडा या फैट वाला भोजन भी माइक्रोएस्‍पिरेशन की समस्या को बढ़ा सकता है। यही वजह है कि आप सर्दियों के दिनों में या देर रात पार्टी से लौटकर कफ का ज्यादा अनुभव करते हैं। इससे बचना जरूरी है।

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कंटेंट हेड, हेल्थ शॉट्स हिंदी। वर्ष 2003 से पत्रकारिता में सक्रिय। ...और पढ़ें

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