इस मॉडर्न लाइफस्टाइल में स्मोकिंग को कूल और ट्रेंडिंग माना जाने लगा है। कई बार 18 साल से कम उम्र के बच्चों में भी स्मोकिंग की लत देखने को मिली है। वहीं टीनएज क्रॉस करने के बाद एक बड़े आंकड़े में बच्चे स्मोकिंग का शिकार हो रहे हैं। आब बात यदि बड़ों की करे तो लंबे समय से चले आ रहे स्मोकिंग की लत को कोई भी छोड़ने को तैयार नहीं है। साथ ही बढ़ती बीमारियों की स्थिति में स्मोकिंग का भी एक बड़ा रोल है। इन्हीं बीमारियों में से एक है डायबिटीज। अब आपके मन में यह सवाल आना अनिवार्य है कि डायबिटीज और स्मोकिंग का क्या कनेक्शन हो सकता है।
यदि आप एक बार डायबिटीज की स्तिथि में आ जाएं तो यह जीवन भर आपके साथ रहती है। आपको इसकी स्थिति में सुधार देखने को मिल सकता है। परंतु इससे पूरी तरह रिकवर कर पाना बहुत मुश्किल है। वहीं स्मोकिंग डायबिटीज की स्थिति को और ज्यादा कठिन बना देती है। इसलिए धूम्रपान से जितना हो सके उतना परहेज रखने की कोशिश करें।।और यदि आपको इसकी लत है तो आप धीरे-धीरे कर के इसे कम कर सकती हैं। हालांकि, स्मोकिंग न केवल डायबिटीज के लिए बल्कि दिल की सेहत से लेकर आंखों की सेहत तक को प्रभावित कर सकता है।
आज हम लेकर आए हैं स्मोकिंग और डायबिटीज से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स। तो चलिए जानते हैं की स्मोकिंग किस तरह डायबिटीज की स्थिति में हो सकता है खतरनाक (smoking effect on blood sugar)।
नॉनस्मोकर्स की तुलना में स्मोकर्स को डायबिटीज का खतरा 30 से 40% तक ज्यादा होता है। स्मोकिंग करने से इंसुलिन लेवल को मेंटेन रख पाना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि शरीर में निकोटीन का बढ़ता स्तर इंसुलिन के प्रभाव को कम कर देता है। जिस वजह से स्मोकर्स के शरीर को ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने के लिए ज्यादा से ज्यादा इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
न्यूट्रीशनिस्ट और हेल्थ टोटल की फाउंडर अंजली मुखर्जी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए डायबिटीज पर स्मोकिंग के प्रभाव को लेकर कुछ जरूरी बात बताइ है। तो चलिए जानते हैं यह किस तरह डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकती है।
रिसर्च की माने तो सिगरेट और तंबाकू का सेवन आर्टिरीज को सख्त कर देता है। जिस वजह से डायबिटीज के मरीजों का खतरा 2 गुना बढ़ जाता है। इसके साथ ही एक्सपर्ट के अनुसार स्मोकिंग करने वाले डायबिटीज के मरीजों में दिल से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा काफी ज्यादा होता है। वहीं किडनी रोग और आंखों से जुड़ी समस्या की संभावना भी बनी रहती है। साथ ही डायबिटीज की स्थिति पर भी काफी नकारात्मक असर पड़ता है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड डायबिटीज द्वारा प्रकाशित रिसर्च के अनुसार डायबिटीज की स्थिति में स्मोकिंग करने से ग्लूकोस इनटोलरेंस और इंपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोस की संभावना बढ़ जाती है। वहीं यूरिन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ सकती है। जिस वजह से नर्व आसानी से डैमेज हो सकते हैं। साथ ही साथ डायबिटीज के मरीजों में घाव भरने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
दिल से जुड़ी बीमारी
किडनी रोग
शरीर में सही तरह से ब्लड क्यों न हो पाना। खासकर के पैरों में जिस वजह से इन्फेक्शन और अल्सर जैसी समस्याएं होने की संभावना बनी रहती है।
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कस्टमाइज़ करेंहीलिंग प्रोसेस का धीमा हो जाना। ऐसे में घाव और चोट लगने पर वह काफी तेजी से फैलते हैं। वहीं कभी कबार परिणाम स्वरूप उस अंग को काटकर हटाना भी पड़ता है।
रेटिनोपैथी यह आंखों से जुड़ी एक प्रकार की समस्या है जो अंत में आप को अंधा कर सकती हैं।
पेरीफेरल न्यूरोथेरेपी इस स्थिति में पैर, हाथ, बाजू के नर्व डैमेज हो जाते हैं जिस वजह से दर्द, कमजोरी, इत्यादि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
यदि आप डायबिटीज की समस्या से दूर रहना चाहती हैं, तो सबसे पहले धूम्रपान की आदत को पूरी तरह छोड़ दें।
यदि आप मोटापे से ग्रसित हैं तो अपने वजन को संतुलित रखने की कोशिश करें। अन्यथा डायबिटीज आपको आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है।
खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। क्योंकि आपका स्थित शरीर डायबिटीज के खतरे को बढ़ा सकता है।
एक हेल्दी डाइट सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके साथ ही कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने का प्रयास करें।
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